एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत प्रदेश के करीब 4,000 बागवानों को साल 2014-15 या इसके बाद पावर टिल्लर, पावर स्प्रेयर, वीडर, एंटीहेल नेट खरीदने पर मिलने वाला 50 फीसदी अनुदान अभी तक नहीं मिला है। कुछ बागवानों ने कर्ज लेकर उपकरण खरीदे थे, अब वे ब्याज के साथ उपदान की भी मांग उठा रहे हैं। ऐसे में वीरभद्र और जयराम सरकार के समय की देनदारियों को बोझ अब सुक्खू सरकार पर आ गया है। राज्य सरकार आर्थिक तंगहाली और केंद्रीय योजनाओं में कई तरह की कटौती की लगातार बात दोहरा रही है।4,000 बागवानों को साल 2014-15 या इसके बाद पावर टिल्लर, पावर स्प्रेयर, वीडर, एंटीहेल नेट खरीदने पर मिलने वाला 50 फीसदी अनुदान अभी तक नहीं मिला है।
वीरभद्र सरकार के समय तत्कालीन बागवानी मंत्री विद्या स्टोक्स के हलके ठियोग से ही उपदान के हजारों मामले लटके हैं। बागवानों का कहना है कि डबल इंजन की जयराम सरकार के समय किसानों की आमदनी दोगुनी करने के दावे किए गए, पर बागवानों के हक का पैसा नहीं मिला। अब आर्थिक तंगहाली से जूझ रही सुक्खू सरकार पर बोझ पड़ गया है। 2014-15 या इसके बाद जिन बागवानों ने उपकरण खरीदे उनसे उस वक्त पहले ही अप्रत्यक्ष कर वसूला जा चुका है, अब जीएसटी काट कर उन्हें उपदान देने की बात हो रही है। जो कि बिल्कुल गलत है।
मंत्री भी हुए हैरान, बोले – निदेशक से लेंगे रिपोर्ट
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने भी इस बात से हैरान हैं कि 10 साल पुराने सब्सिडी के मामले लंबित हैं। बोले- उन्हें तो केवल तीन से चार साल के लंबित मामले होने की ही सूचना है। आखिर क्यों इतने पुराने मामले नहीं निपटाए गए, इसकी जांच की जाएगी। बागवानी विभाग के निदेशक से इसे लेकर रिपोर्ट ली जाएगी।
एमआईडीएच के तहत 2014-15 या इसके बाद खरीदे उपकरणों का अनुदान 10 साल बाद भी बागवानों को नहीं मिला है। खराब होने के बाद बागवान नए उपकरण खरीद चुके हैं, लेकिन पुराने उपकरणों का उपदान नहीं मिला। ठियोग विकास खंड से ही 35 से 40 फीसदी मामले लटके हुए हैं। अन्य क्षेत्रों का भी यही हाल है। सरकार को तुरंत ब्याज समेत बागवानों के खाते में पैसा डालना चाहिए। – हरीश चौहान, संयोजक संयुक्त किसान मंच