2025 में खाद्यान्न उत्पादन नए शिखर पर पहुंचेगा

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अनुकूल मानसून के कारण भारत 2025 में खाद्यान्न उत्पादन में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है. हालांकि, दलहन और तिलहन उत्पादन में महत्वपूर्ण चुनौतियां बनी हुई हैं, क्योंकि देश के कृषि क्षेत्र में मजबूत सुधार के संकेत दिख रहे हैं. कृषि मंत्रालय के शुरुआती अनुमान अनुकूल तस्वीर पेश करते हैं, जिसमें जून, 2025 को समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ (ग्रीष्म) खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 16.47 करोड़ टन होने का अनुमान है.कृषि मंत्रालय के शुरुआती अनुमान अनुकूल तस्वीर पेश करते हैं, जिसमें जून, 2025 को समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ (ग्रीष्म) खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 16.47 करोड़ टन होने का अनुमान है.

अनुकूल मानसून के कारण भारत 2025 में देश के कृषि क्षेत्र में मजबूत सुधार के संकेत दिख रहे हैं और खाद्यान्न उत्पादन नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है। हालांकि, दालों और तिलहन उत्पादन में महत्वपूर्ण चुनौतियां बनी हुई हैं।

हम सभी नए साल 2025 में प्रवेश करने वाले हैं। ऐसे में हर कोई अपने क्षेत्र के विकास को लेकर मंथन कर रहा है। आज हम आपको बताएंगे कि इस नए साल में कृषि क्षेत्र में क्या और कैसे विकास होगा? किसानों को कितना फायदा मिलेगा? उत्पादन के लिए क्या संभावनाएं हैं और चुनौतियां क्या-क्या हैं? आइए जानते हैं… 
2025 को लेकर क्या हैं अनुमान?

  • दलहन और तिलहन फसलों के उत्पादन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।  
  • 2024-25 के खरीफ सीजन में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 16.47 करोड़ टन तक पहुंच सकता है।
  • कृषि क्षेत्र में 2024-25 में 3.5 से 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। बीते वित्तीय वर्ष में इस बढ़ोतरी का आंकड़ा केवल 1.4 फीसदी था। 
  • महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में बाढ़ और सूखे की चुनौतनी बनी रहेगी। 
  • जलवायु परिवर्तन के कारण प्याज और टमाटर के उत्पादन पर भी असर पड़ा है।

दलहन-तिलहन का क्या हाल होगा?
2025 में भी दलहन और तिलहन फसलों के मामले में कई संकट से गुजरना पड़ सकता है। अभी इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कई चुनौतियां हैं। केंद्र सरकार 2025 में राष्ट्रीय मिशन ऑन एडीबल ऑइल्स-ऑइलसीड्स (NMEO-Oilseeds) योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना के तहत 10,103 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इस योजना का उद्देश्य इन फसलों या उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम करना है। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए सरकार कई तरह के हस्तक्षेप और इन फसलों के समर्थन मूल्य को बढ़ाने का काम करेगी। 
खरीफ और रबी फसलों का हाल 
रबी फसलों (Rabi Crops) की बुवाई भी सामान्य रफ्तार से चल रही है। 2024 के दिसंबर के मध्य तक देश में गेहूं की बुवाई का रकबा 2.931 करोड़ हेक्टेयर था। इस दौरान रबी फसलों की कुल बुवाई का रकबा 5.588 करोड़ हेक्टेयर है। कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी के अनुसार, देश के पास अच्छी खरीफ फसलें हैं, क्योंकि इस बार का मानसून सामान्य रहा था। उन्होंने आगे कहा कि कुल मिलाकर, पूरे साल के लिए फसल का दृष्टिकोण सकारात्मक है, हालांकि, कृषि सचिव ने उन्होंने फरवरी-मार्च में संभावित हीटवेव के बारे में सतर्क किया, जो सर्दियों में गेहूं की फसल को प्रभावित कर सकती है।

बागवानी क्षेत्र की प्रगति
इस बार बागवानी क्षेत्र में भी अच्छा विकास हुआ है। भारत का फलों और सब्जियों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। बागवानी क्षेत्र की इस सफलता का श्रेय  बेहतर खेती प्रथाओं और योजनाओं के तहत तकनीकी सुधारों को दिया जा रहा है। बागवानी क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों जैसे ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित उपकरणों का उपयोग बढ़ा है। UPL सस्टेनेबल एग्रीसोल्यूशंस के CEO आशीष डोभाल के अनुसार खेती में इन नवाचारों से उत्पादकता बढ़ाने की संभावनाएं हैं।

किसानों के लिए सात नई योजनाएं
किसानों के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना जारी है। इस योजना के तहत 2018 से अब तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.46 लाख करोड़ रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है। इसके अलावा, सितंबर 2024 में सरकार ने 13 हजार 966 करोड़ रुपये के बजट में  सात नई कृषि योजनाओं का ऐलान किया है। ये योजनाएं कृषि में डिजिटल परिवर्तन, फसल विज्ञान, पशुपालन स्वास्थ्य और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं को कवर करेंगी।

पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के किसानों में असंतोष
इन योजनाओं और कृषि क्षेत्र में विकास के अच्छे आंकड़ों के बाद भी पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के किसानों में असंतोष अभी भी एक बड़ी चिंता बनी हुई है। इन राज्यों के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी मांग रहे हैं। एक संसदीय समिति ने PM-KISAN की सहायता राशि को बढ़ाकर 12,000 रुपये प्रति लाभार्थी करने और छोटे किसानों के लिए यूनिवर्सल फसल बीमा लागू करने का सुझाव दिया है।

किसान उत्पादक संगठन की चुनौतियां
किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) ने 9,204 रजिस्ट्रेशन के साथ विस्तार किया है। लेकिन इन संगठनों को बाजार में पहुंच और प्रबंधन क्षमता की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या लंबे समय में इन संगठनों को प्रभावित कर सकती हैं।

”सरकारी योजनाओं में सुधार की आवश्यकता”
कृषि मंत्रालय आने वाले समय में फसल बीमा योजना PMFBY की तुलना वैश्विक योजनाओं से करने के लिए एक बेंचमार्क अध्ययन करने की योजना बना रहा है, जिससे अच्छी प्रथाओं को अपनाया जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की कई योजनाओं में सुधार और हस्तक्षेप की आवश्यकता है, जिससे कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का प्रभावी तरीके से समाधान किया जा सकेगा। 

2025 में कृषि क्षेत्र की चुनौतियां और संभावनाएं
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है। इस साल पारंपरिक कृषि पद्धतियों और तकनीकी नवाचारों के बीच संतुलन बनाने के साथ के खाद्य सुरक्षा और किसान कल्याण के मुद्दों को हल करने की आवश्यकता होगी। नई योजनाओं की सफलता और उनका सही तरीके से कार्यान्वयन इस क्षेत्र की दिशा निर्धारित करेगा, जिससे 2025 तक खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता और सतत बढ़ोतरी संभव हो सकेगी।

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