एफएमसी ने आगामी रबी सीजन के लिए गेहूं में इस्तेमाल होने वाले एंब्रिवा हर्बीसाइड के लॉन्च की घोषणा की है। यह लॉन्च चंडीगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किया गया।
एंब्रिवा हर्बीसाइड में आइसोफ्लेक्स एक्टिव, एक ग्रुप 13 हर्बीसाइड शामिल है, जो अनाज वाली फसलों में एक नया तरीका प्रस्तुत करता है और भारतीय किसानों को प्रतिरोध प्रबंधन के लिए एक नई तकनीक प्रदान करता है। शोध से पता चला है कि आइसोफ्लेक्स एक्टिव और मेट्रीब्यूजिन से तैयार किया गया यह हर्बीसाइड शुरुआती पोस्ट-इमर्जेंस में प्रभावी नतीजे और फलारिस माइनर (जिसे ‘गुल्ली डंडा’ या ‘मंडूसी’ भी कहा जाता है) के खिलाफ लंबे समय तक नियंत्रण प्रदान करता है, जिससे गेहूं की फसल को महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा के समय सुरक्षित रखा जा सके।
एफएमसी इंडिया और साउथ-वेस्ट एशिया के अध्यक्ष, रवि अन्नवरापू ने कहा, “पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के कुछ हिस्सों के गेहूं किसानों को फलारिस माइनर से बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पिछले कुछ दशकों में, इस हानिकारक खरपतवार ने कई हर्बीसाइड रसायनों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है, जिससे फसल उत्पादन प्रभावित हुआ है और किसानों के पास सीमित विकल्प बचे हैं। एफएमसी का एंब्रिवा® हर्बीसाइड भारतीय किसानों के लिए प्रतिरोध की इन चुनौतियों का समाधान लाने वाला एक अभिनव उत्पाद है।”
एंब्रिवा हर्बीसाइड को भारत में कई सीजन के दौरान गेहूं पर कठोर परीक्षणों के माध्यम से जांचा गया है, और इसने फलारिस माइनर और अन्य प्रमुख घास खरपतवारों के खिलाफ महत्वपूर्ण और लगातार प्रदर्शन किया है।
रवि अन्नवरापू ने कहा, “हमारा मानना है कि यह नया हर्बीसाइड किसानों को एक शक्तिशाली समाधान प्रदान करेगा, जो लंबे समय तक खरपतवार नियंत्रण और बेहतर उत्पादकता का वादा करता है।”