टारगेट से कम गन्ना उत्पादन की आशंका

0
23
xr:d:DAFT-2HGuhw:5991,j:2407598426226208026,t:24041011

कृषि मंत्रालय ने 2024-25 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के दौरान 47 करोड़ टन गन्ना उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. चालू वर्ष की तुलना में अगले सीजन के दौरान चीनी उत्पादन में गिरावट देखी जा सकती है. रिपोर्ट के अनुसार इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा कि 2022-23 में 49.53 करोड़ टन उत्पादन की तुलना में 2024-25 के लिए उत्पादन टारगेट कम है. जब 2022-23 चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन लगभग 33 करोड़ टन था और इथेनॉल में लगभग 4 करोड़ टन का डायवर्जन किया गया था. जब पेट्रोल के साथ इथेनॉल ब्लेंडिंग की दर अगले सीजन में 20 प्रतिशत तक बढ़ने वाली है तो कम गन्ना उत्पादन से अधिक चीनी पैदा होने की संभावना नहीं है.

सूत्रों ने बताया कि कृषि मंत्रालय को गन्ने के रकबे के बारे में जानकारी है, जिसे साप्ताहिक खरीफ रकबे के अपडेट के साथ जारी किया जाएगा, इसलिए संभावनाओं के आधार पर उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया गया है. सूत्रों ने बताया कि अगले साल के लिए अन्य फसलों के साथ-साथ गन्ने के उत्पादन का पहला अनुमान सितंबर में घोषित किया जाएगा.

47 करोड़ टन के गन्ना के उत्पादन स्तर को मानते हुए चीनी और इथेनॉल के लिए सुक्रोज का उत्पादन लगभग 3.6 करोड़ टन होगा, क्योंकि औसतन 70 प्रतिशत गन्ने की पेराई चीनी मिलें करती हैं, जबकि रिकवरी मौसम की स्थिति के आधार पर लगभग 11 प्रतिशत होती है. यदि अधिकतम 50 लाख टन इथेनॉल के लिए डायवर्ट किया जाता है तो भी चीनी उत्पादन 3.1 करोड़ टन से कम नहीं हो सकता है. चालू सीजन में चीनी उत्पादन इथेनॉल के लिए डायवर्ट की गई मात्रा को छोड़कर लगभग 3.2 करोड़ टन हो सकता है.

एक्सपर्ट बोले- खपत बढ़ने पर भी कमी नहीं होगी 

इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा कि अगर घरेलू खपत 3 करोड़ टन तक बढ़ जाती है तो भी कोई कमी नहीं होगी. क्योंकि, 2024-25 के लिए इस सीजन से सरप्लस स्टॉक 25 लाख टन से 30 लाख टन के बीच हो सकता है. हालांकि, सरकार को इस साल की तरह ही अगले साल भी इथेनॉल के लिए मात्रा आवंटित करने में सतर्कता बरतनी होगी. 

व्यापार संघ बोला- अनुमान लगाना जल्दबाजी

अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) के पदाधिकारी ने कहा कि अगले साल गन्ना उत्पादन के लिए अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा कि अगले साल इथेनॉल के लिए पर्याप्त चीनी होगी, क्योंकि हमारे पास इस साल से 30 लाख टन सरप्लस है, जो आवश्यक न्यूनतम स्टॉक से अधिक है. महाराष्ट्र और कर्नाटक के मराठवाड़ा में पहले ही मानसून से पहले बारिश हो चुकी है और मौसम ब्यूरो ने औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है. उन्होंने कहा कि ये सभी फसल की पैदावार के लिए सकारात्मक हैं.