तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में बारिश नहीं होने से सिंचाई की किल्लत हो गई है. खेतों में खड़ी फसल पानी के अभाव में सूख रही है. ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान होने का खतरा मडरा रहा है. 65 वर्षीय किसान मन्ने लिंगैया को लंबे समय तक सूखे के बाद बारिश की उम्मीद थी, जो अब खत्म हो गई. वे धान की नर्सरी को बचाने के लिए टैंकर से सिंचाई कर रहे हैं. उन्हें एक टैंकर के लिए 2,000 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. उन्होंने पिछले चार दिनों में सिंचाई के लिए चार टैंकर पानी मंगवाए हैं.
तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, चौटाकुर मंडल मुख्यालय में 2.5 एकड़ जमीन रखने वाले लिंगैया ने गांव के एक किसान से 3 एकड़ जमीन लीज पर ली थी. ये तीन एकड़ जमीन चौटाकुर के बाहरी इलाके में स्थित नयनी चेरुवु के आयाकट का हिस्सा थी. हालांकि, 70 एकड़ आयाकट वाले लघु सिंचाई टैंक नयनी चेरुवु में इस सीजन में पानी नहीं आया है. मंजीरा नदी पर बने सिंगुर जलाशय में पर्याप्त पानी नहीं होने के कारण सिंचाई अधिकारी छोटे सिंचाई टैंकों में पानी नहीं छोड़ रहे हैं. लिंगैया के खेत के बगल में स्थित किसान गामिनी जोगिया की नर्सरी भी लंबे समय से सूखे के कारण सूखने लगी है.
10 दिनों से क्षेत्र में बारिश नहीं हुई
तेलंगाना टुडे से बात करते हुए लिंगैया ने कहा कि उन्होंने 10,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से तीन एकड़ जमीन किराए पर ली थी, साथ ही नर्सरी लगाने के लिए जमीन की जुताई, बीज और मजदूरी पर 10,000 रुपये अतिरिक्त खर्च किए. पानी के टैंकरों पर खर्च अब अतिरिक्त खर्च है. चूंकि पिछले 10 दिनों से क्षेत्र में बारिश नहीं हुई है, इसलिए नर्सरी सूखने लगी है. इसलिए वे 30 अगस्त तक टैंकरों को काम पर रखने की योजना बना रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि तब तक मॉनसून मजबूत हो सकता है.
क्या कहते हैं किसान
उन्होंने कहा कि अगर सिंगुर जलाशय में मंजीरा नदी से पानी आ जाए तो किसानों का संघर्ष खत्म हो जाएगा. उन्होंने याद किया कि पिछले वनकालम और यासांगी सीजन में उन्हें धान की बंपर फसल मिली थी, क्योंकि सिंगुर परियोजना में पर्याप्त पानी था. गांव के किसानों को दो से तीन बार कपास के बीज बोने पड़े, क्योंकि वे अंकुरित नहीं हो पाए. लिंगैया ने तीन बार बुवाई की जिससे फसल पर उनका खर्च तीन गुना बढ़ गया. हालांकि, कपास की फसल तब भी ठीक से अंकुरित नहीं हुई. संगारेड्डी के किसानों की भी लिंगैया जैसी ही कहानी है, क्योंकि जिले में लंबे समय से सूखा जारी है.