गुजरात में एक साल में 689 टन से अधिक हुआ केसर आम का निर्यात

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गुजरात ने साल 2023-24 में 689.5 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया. जबकि, राज्य से साल 2019-20 से 2023-24 तक कुल 2,500 मीट्रिक टन से अधिक आम का निर्यात किया गया है. सरकार को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में निर्यात और बढ़ेगा. हालांकि, ऐसे गुजरात में कुल 449389 हेक्टेयर में बागवानी की जाती है. इसमें से 177,514 हेक्टेयर में सिर्फ आम की खेती की जाती है. ऐसे गुजरात में मुख्य रूप से वलसाड, नवसारी, गिर-सोमनाथ, कच्छ और सूरत जिलों में आम के बाग हैं. खास बात यह है कि तलाला गिर का केसर आम अपने स्वाद के लिए पूरी दुनिया में फेमस है. यह आम अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाती है. इसे भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग से मिला हुआ है.

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, केसर आम का उत्पादन कच्छ जिले में होता है. इसके अलावा गुजरात में किसान बड़े स्तर पर अल्फांसो, तोतापुरी और सोनपरी जैसी आम की किस्मों की भी खेती करते हैं. इस साल अहमदाबाद के बावला में गुजरात एग्रो रेडिएशन प्रोसेसिंग फैसिलिटी ने 210 मीट्रिक टन केसर आमों का रेडिएशन करके निर्यात किया है. खास बात यह है कि गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल के नेतृत्व में पिछले वर्ष 2 लाख किलोग्राम से अधिक केसर आमों का रेडिएशन करके निर्यात किया गया. 

पहले के मुकाबले ज्यादा मुनाफा होगा

हालांकि, अहमदाबाद के बावला में इस रेडिएशन इकाई के बनने से पहले, गुजरात के आम किसानों को विकिरण के लिए मुंबई जाना पड़ता था और फिर आमों का निर्यात करना पड़ता था, जिससे आमों की बर्बादी होती थी और परिवहन लागत भी अधिक होती थी. अब, बावला में नए रेडिएशन संयंत्र के साथ, किसान अपने आमों को स्थानीय स्तर पर प्रोसेस्ड कर सकते हैं, जिससे लागत में कमी आएगी और कीमत भी ज्यादा मिलेगी.

15 करोड़ रुपये आवंटिक किए गए

गुजरात बागवानी विभाग ने आम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता के रूप में 15.29 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. बागवानी विभाग कम उत्पादन क्षमता वाले पुराने आम के बागों और खेतों को नया रूप देने के लिए एक योजना लागू कर रहा है. इसके अलावा, विभाग विभिन्न योजनाओं में भी सहायता करता है, जिसमें गहन फल रोपण के लिए सहायता, कम अंतराल पर फल रोपण के लिए सहायता और उच्च लागत वाली खेती वाली फसलों को छोड़कर मानक अंतराल पर उगाई जाने वाली फल फसलों के लिए सहायता शामिल है. वित्तीय सहायता बागवानी फसलों के लिए 90 प्रतिशत तक गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री को कवर करती है, तथा फलों की फसलों के रोपण के लिए विशेष सहायता उपलब्ध है.