चाय के कचरे से जैविक खाद बनाकर करें जबरदस्त कमाई

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देश में बड़े स्तर पर चाय का उत्पादन किया जाता है. लेकिन चाय की गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए चाय बोर्ड द्वारा चाय बागानों पर नजर रखी जाती है. ऐसे ही चाय बोर्ड के अधिकारियों की टीम उत्तर बंगाल के बागानों में निरीक्षण करने पहुंची. ताकि पत्तियों की गुणवत्ता का पता लगाया जा सके.

चाय बोर्ड के अधिकारियों की टीम उत्तर बंगाल के बागानों में निरीक्षण करने पहुंची. ताकि पत्तियों की गुणवत्ता का पता लगाया जा सके. इसके साथ ही चाय की पत्तियों के वेस्ट से ख़ाद बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है.

इसके साथ ही चाय की पत्तियों के वेस्ट से ख़ाद बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है.


चाय बागानों से नमूने लेकर जांची जाती है गुणवत्ता

चाय बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि बागानों से सैंपल लेकर उनकी गुणवत्ता निर्धारित की जाती है. पिछले काफी दिनों से चाय बोर्ड के अधिकारियों द्वारा बड़े स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है.

चाय बागानों के अपशिष्टों से बनता है खाद

बड़े स्तर पर चाय बागानों से अपशिष्ट निकलता है. जिसका इस्तेमाल खाद बनाने के लिए किया जाता है. जिससे कई लोग महीनों के लाखों कमा रहे हैं. ये जैविक ख़ाद फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. लेकिन कुछ लोग इन अपशिष्टों को खरीदकर चाय की हरी पत्तियों के साथ मिलाकर उन्हें अपने मार्जिन बढ़ाने के लिए बेच रहे हैं.

इस्तेमाल की गई चाय की पत्ती से भी बनता है उपयोगी ख़ाद

केवल चाय की पत्तियों से ही नहीं बल्कि इस्तेमाल की गई चाय के इस्तेमाल से भी खाद बनाई जा सकती है. भारत में रोजाना हर घर में चाय बनती है. इतना ही नहीं हर गली में चाय की छोटी-बड़ी दूकान मिल जाएगी. इस्तेमाल की गई चाय कचरे में चले जाती है. लेकिन इसे एकत्रित करके आप अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं.

खाद के रूप में करें इस्तेमाल

कई लोग इस्तेमाल की गई चाय की पत्ती को खाद के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. चाय पत्ती में पोटासियम, फॉस्फोरस के साथ ही 4 प्रतिशत नाइट्रोजन भी होता है. इसमें कई माइक्रोन्यूट्रिएंट भी होते हैं. जिसे पौधे में डालने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है.

कैसे बनता है ये खाद

इस्तेमाल की गई चाय की पत्ती को गीले कचरे के साथ मिलाकर स्टोर करके रखना होता है. कचरे में मिलाने से पहले उससे पानी से धोना पड़ता है ताकि उसमें से शक्कर और दूध के अवशेष अलग हो जाए. ऐसा नहीं करने से खाद में चीटियां लग सकती है. आजकल ये खाद की डिमांड भी बढ़ती जा रही है.

इस्तेमाल की गई चाय की पत्तियों को खाद के रूप में कैसे बनाएं

 चाय की पत्तियां पौधों के लिए  खाद का काम करती हैं।आइए जानते हैं कि चाय की पत्तियों का इस्तेमाल पौधों की वृद्धि के लिए कैसे किया जा सकता है। पौधों की वृद्धि के लिए जैविक खाद से बेहतर कुछ भी नहीं है। भारतीय रसोई में ऐसी कई सामग्रियां हैं, जो पौधों को पोषण देने का काम करती हैं। इनके इस्तेमाल से पेड़-पौधे हमेशा हरे-भरे दिखते हैं और दीमक या कीड़े जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। यही वजह है कि ज्यादातर महिलाएं जैविक खाद के तौर पर हल्दी, अंडे के छिलके, दूध आदि चीजों का इस्तेमाल करती हैं।   

वहीं, इन सबके अलावा चाय की पत्तियां पौधों की वृद्धि के लिए भी बहुत फायदेमंद होती हैं। इसमें पाए जाने वाले गुण  पौधों को बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं। इतना ही नहीं,  चाय की पत्ती की खाद मिट्टी के पीएच को अम्लीय बनाती है, जो  पौधों के लिए जरूरी है । भारत में लगभग हर घर में दिन में कम से कम एक बार  चाय जरूर बनती है। इसके अलावा आपको हर गली-नुक्कड़ पर  चाय परोसने वाले छोटे-बड़े स्टॉल मिल जाएंगे । अगर इस तरह से हिसाब लगाएं तो सोचिए इस्तेमाल के बाद कितनी चाय की पत्तियां कचरे में चली जाती होंगी।

वैसे तो यह सच है कि चाय की पत्तियां आसानी से सड़ जाती हैं, लेकिन अगर इसे लैंडफिल में डाल दिया जाए तो कोई दिक्कत नहीं है। चाय की पत्तियों में 4% नाइट्रोजन होती है और साथ ही इसमें पोटैशियम और फॉस्फोरस भी होता है। इसके अलावा इसमें कई सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं। इसे पौधों में डालने से  पौधों को  भरपूर नाइट्रोजन मिलती है। अगर आप इसे मिट्टी में मिलाते हैं तो उसमें लाभदायक सूक्ष्मजीव भी पनपते हैं। तो आइए जानते हैं कि चाय की पत्तियों की  खाद का इस्तेमाल कैसे और कब करना चाहिए। 

खाद बनाने के लिए सामग्री:

  • प्रयुक्त  चायपत्ती
  • मिट्टी का घडा
  • ढक्कन से कवर तक
  • घड़े को छेदने के लिए एक तीखी वस्तु
  • चाय पत्ती खाद कैसे बनाएं

चाय बनाने के बाद जो चाय की पत्तियां बचती हैं, उनमें अदरक , तुलसी और इलायचीसाथ ही इसमें कुछ मात्रा में दूध और चीनी भी होती है। जड़ी-बूटियाँ पौधों को नुकसान नहीं पहुँचाती हैं, लेकिन दूध से दुर्गंध आ सकती है और चीनी से चींटियाँ आकर्षित हो सकती हैं। इसलिए सबसे पहले  चाय की पत्तियों को पूरे दिन एक जगह इकट्ठा करके रखें। फिर उसे पानी से धो लें।

 चाय की पत्तियों को पानी से धोने के बाद उन्हें अच्छी तरह निचोड़ लें।

  • अब इसे मिट्टी के बर्तन में डाल दें।
  • वैसे तो मिट्टी के बर्तन पहले से ही छिद्रयुक्त होते हैं, लेकिन फिर भी आप चाहें तो हवा के आवागमन के लिए एक या दो छेद कर सकते हैं।
  • इस घड़े को ढक्कन से ढककर ऐसी जगह रखें जहां सीधी धूप न पड़े और बारिश में भीग न जाए।
  • प्रतिदिन चायपत्ती का उपयोग करने के बाद उसे पानी से धोकर निचोड़ लें और उसमें डालते रहें।
  • आपको इसमें कुछ और मिलाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि  चाय की पत्तियां स्वयं ही बहुत जल्दी सड़ने लगती हैं।
  •  जब एक घड़ा चाय की पत्तियों से भर जाए तो उसे एक तरफ रख दें और दूसरे घड़े में चाय की पत्तियां डालना शुरू करें।
  • करीब डेढ़ महीने बाद जब आप पहला घड़ा देखेंगे तो उसके ऊपर आपको एक सफेद रंग की परत दिखाई देगी जो कि एक फंगस है और चाय की पत्तियां उससे खाद बनाना शुरू कर देती हैं।
  • चाय की पत्तियों से खाद बनाने में लगभग ढाई से तीन महीने का समय लगता है।
  • इतने दिनों के बाद जब आप घड़े को देखेंगे तो पाएंगे कि उसमें एकत्रित चाय की पत्तियां लगभग आधी तक सूख चुकी हैं।
  • अब आप इस खाद को घड़े से निकाल कर धूप में सुखा सकते हैं।
  • चाहें तो इसे मिक्सर में हल्का पीसकर या सीधे मिट्टी में मिलाकर पॉटिंग मिक्स तैयार कर लें।
  • चाय की पत्तियों का उपयोग कैसे करें

ध्यान रखें कि चाय की पत्तियों में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है, जिसका अधिक इस्तेमाल पौधों को नष्ट भी कर सकता है। ऐसे में महीने में एक बार इसकी थोड़ी मात्रा पौधों के आसपास छिड़कें। इसके लिए पौधों के आसपास की मिट्टी को हल्का सा हटाएं और हाथ में करीब आधा चम्मच चाय पत्ती की खाद लेकर उस पर छिड़क दें। अब उस मिट्टी को वापस ऊपर डाल दें। आपको महीने में एक बार ही पौधों के आसपास चाय की पत्तियों का छिड़काव करना चाहिए क्योंकि इसे मिट्टी में अवशोषित होने में समय लगता है। वहीं, पौधों की ऊंचाई के हिसाब से आप खाद की मात्रा बढ़ा सकते हैं।