वरदान साबित हुई ड्रिप सिंचाई:लहराई 50 एकड़ की खेती

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खेती के दौरान फसल की सिंचाई सबसे महत्वपूर्ण होती है. खासकर तब आपके क्षेत्र में पानी की कमी हो. मौजूदा वक्त में कई किसान इसी समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसी स्थिति में किसान ड्रिप सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, किसानों के बीच ड्रिप सिंचाई प्रणाली को लेकर एक गलत धारणा भी है. सिंचाई की इस प्रणाली को छोटी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. जबकि, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. सफल किसान की सीरीज में आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी बताएंगे, जिनके लिए ड्रिप सिंचाई वरदान साबित हुई.

हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के रहने वाले किसान विंस्टन की, जो 50 एकड़ में खेती करते हैं. कृषि जागरण की टीम से बात करते हुए विंस्टन ने बताया कि उनके क्षेत्र में बारिश बहुत कम होती है. ऐसे में उन्हें सिंचाई के लिए एक बेहतर व्यवस्था चाहिए थी. लेकिन, यहां बड़ी समस्या ये थी की क्षेत्र में न ही कोई नदी थी और न ही कोई प्राकृतिक स्रोत. सिंचाई के लिए उनके पास था तो मात्र एक कुंआ. जिस पर वह पूरी तरह निर्भर थे. तभी उन्हें ड्रिप सिंचाई का ख्याल आया. शुरुआत में उन्होंने ट्रायल के तौर पर ड्रिप सिंचाई प्रणाली के जरिए खेती करनी शुरू की. जिससे उन्हें काफी अच्छे परिणाम मिले.

विंस्टन ने बताया कि ट्रायल सफल होने के बाद उन्होंने इसका दायरा बढ़ाया और आज वह 50 एकड़ में इस प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह 50 एकड़ में कसावा की खेती करते हैं. जिससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफा हो रहा है. बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग कर चुके विंस्टन ने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने खेती की राह पड़की और आज वह सफल तरीके से खेती कर रहे हैं.

विंस्टन ने बताया कि उनके पिता भी खेती करते थे. उनके पास 10 एकड़ की जमीन थी. लेकिन, आज वह 50 एकड़ में खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 50 एकड़ में खेती करना आसान नहीं है. वह आधुनिक मशीनों और उन्नत कृषि तकनीक का इस्तेमाल कर आज लाखों की कमाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह ड्रोन तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं. जिससे उनका काम काफी आसान हो गया है.

बड़ी चुनौती थी 50 एकड़ में खेती

विंस्टन ने बताया कि वह 50 एकड़ में कसावा की खेती करते हैं. लेकिन, ये किसी चुनौती से कम नहीं था. बाजार में भले ही कसावा की डिमांड काफी हो, लेकिन शुरुआती समय में उन्हें विपणन समस्याओं का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि पहले वह बिचौलियों के जरिए अपनी उपज बेचा करते थे. लेकिन, अब वह बिना बिचौलियों के इसका निर्यात कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में वह भारत के लगभग सभी राज्यों में कसावा का निर्यात कर रहे हैं. जिससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.

उन्होंने बताया कि वह सिर्फ कसावा की खेती करते हैं. क्योंकि, कसावा की फसल को तैयार होने में 9 से 10 महीने का समय लगता है. इसलिए वह कोई अन्य फसल नहीं लगाते. हालांकि, कटाई से अगली फसल की बुवाई के बीच उन्हें दो महीनों का समय मिल जाता है. जिसमें वह टमटार समेत कई मौसमी सब्जियों की खेती करते हैं.

सरकार से मिली मदद

उन्होंने बताया कि ड्रिप सिंचाई के लिए उन्हें सरकार से काफी मदद मिली. ड्रिप सिंचाई पर उन्हें सरकार से 75 फीसदी सब्सिडी का लाभ मिला. जिससे उनकी लागत कम और मुनाफा डबल हुआ. उन्होंने बताया कि खेती के साथ-साथ वह पशुपालन और मछली पालन से भी जुड़े हैं.वह मुर्गी पालन भी करते हैं. जिससे उनकी कमाई लाखों में पहुंच जाती है. उन्होंने बताया कि खेती में किसानों को किसी एक चीज पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. किसान एकीकृत खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.