भारत के कृषि बाजार पर है डोनाल्ड ट्रंप की नजर

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अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के ‘जैसा को तैसा’ टैक्‍स    को लागू करने के प्रस्ताव से दुनियाभर में हलचल मची हुई है. इससे कृषि समेत कई सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं. जबकि, उत्पादों की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है. कृषि एक्सपर्ट का मानना है कि अगर अमेरिका भारतीय कृषि उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो अमेरिकी बाजार में इन उत्पादों की कीमतें भी बढ़ेंगी, जिससे उनकी मांग में कमी आ सकती है. इससे भारतीय कृषि निर्यातकों को नुकसान हो सकता है. खासकर उन उत्पादों के लिए जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं. DGCIS के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2023-24 में भारत ने अमेर‍िका से 11,893 करोड़ रुपये के कृष‍ि उत्पादों का आयात क‍िया, जबकि इस दौरान भारत ने 12,435 करोड़ रुपये के कृषि उत्पादों का अमेरिका को निर्यात किया है. 

भारत ये कृषि उत्पाद अमेरिका से खरीदता है 

अमेरिका के प्रस्तावित पारस्परिक शुल्क भारतीय कृषि क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है. क्योंकि, इससे कीमतें प्रभावित होंगी. बता दें कि उन्होंने परस्पर शुल्क (reciprocal tariffs) एक देश दूसरे देश की ओर से लगाए गए शुल्कों के प्रत्युत्तर में लागू करता है. भारत अमेरिका से मसूर, मटर दाल समेत कपास, बादाम, अखरोट, मीट-मछली, सीफूड, कॉफ़ी, डेयरी उत्पाद और ताजे फलों को आयात करता है. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स के अनुसार साल 2023-24 में भारत ने अमेर‍िका से 11,893 करोड़ रुपये की कृष‍ि उत्पादों का आयात क‍िया, ज‍िसमें सबसे ज्यादा 8664 करोड़ का खर्च ताजे फलों पर किया गया था. 

भारत से 13 हजार करोड़ के कृषि उत्पाद खरीदता है US 

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के आंकड़े बताते हैं कि भारत अमेरिका को सालाना 12,435 करोड़ रुपये के खाद्यान्न, फल-सब्जियों का निर्यात करता है. इसमें मीट, डेयरी और दलहन उत्पाद भी शामिल हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 में भारत से अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात होने वाले कृषि उत्पाद में चावल शामिल है. 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 2,527 करोड़ रुपये का 2.34 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया है. जबकि, 373 करोड़ रुपये का 53,630 मीट्रिक टन गैर बासमती चावल निर्यात किया है. निर्यात किए गए अन्य कृषि उत्पादों में 1,489 करोड़ के डेयरी प्रोडक्ट, 1,129 करोड़ रुपये के प्रॉसेस फ्रूट और जूस, 758 करोड़ की प्रॉसेस सब्जियां, 478 करोड़ रुपये की दालें, 434 करोड़ रुपये के ताजा फल समेत कई उत्पाद शामिल हैं. DGCIS के अनुसार 2023-24 के दौरान भारत ने अमेरिका को 12,435 करोड़ रुपये के कृषि उत्पाद निर्यात किए. 

निर्यातकों और किसानों के लिए चुनौती बनेंगे शुल्क 

कृषि एक्सपर्ट ने बताया कि अमेरिका से आयात होने वाले कृषि उत्पादों पर भारत की ओर से लगाए गए टैरिफ में संभावित बदलाव से घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, जो भारतीय किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि पारस्परिक शुल्कों का भारतीय उद्योग के बड़े हिस्से पर सीमित प्रभाव होगा. कुछ विश्लेषकों के अनुसार अमेरिका के परस्पर टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है, लेकिन यह प्रभाव व्यापक नहीं होगा. पारस्परिक शुल्कों का सटीक अर विभिन्न फैक्टर्स पर निर्भर करेगा जैसे कि टैरिफ की दरें, प्रभावित उत्पादों की सूची और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों की स्थिति.

भारतीय कृषि निर्यात पर प्रभाव और घरेलू बाजार में अवसर

कृषि तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञ अक्षय खोब्रागड़े ने कहा कि अमेरिकी परस्पर शुल्कों के लागू होने की संभावना पर कहा कि इस तरह के शुल्कों से भारतीय कृषि निर्यातों पर कुछ चुनौतियां आ सकती हैं, लेकिन इसके साथ ही यह कुछ नई संभावनाओं के दरवाजे भी खोल सकता है. यदि अमेरिका भारतीय कृषि उत्पादों पर अधिक शुल्क लागू करता है, तो इससे भारतीय उत्पादों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा घट हो सकती है.

उन्होंने कहा कि अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भारतीय कृषि उत्पादों की कीमत बढ़ने से इन उत्पादों की मांग में कमी हो सकती है. इससे भारतीय निर्यातकों को निर्यात वॉल्यूम में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है, जो सीधे तौर पर उनकी आय को प्रभावित करेगा. इसके अलावा खोब्रागड़े का मानना है कि शुल्कों के चलते भारत के घरेलू कृषि क्षेत्र को एक नया अवसर मिल सकता है. यदि अमेरिका से निर्यात में कमी आती है तो भारतीय उपभोक्ताओं का रुझान स्थानीय उत्पादों की ओर हो सकता है, जिससे भारतीय किसानों को अपने उत्पादों के लिए एक नया बाजार मिल सकता है.

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