धान की कस्टम मिलिंग केवल कागजों पर ही,शासन के निर्देर्शों को नहीं मानते राइस, ऑयल और दाल मिलर्स

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बालाघाट। बालाघाट जिले में बिना मिल चलाए धान की कस्टम मिलिंग दिखाकर सरकार को चावल सप्लाई कर देने वाले मिलर्स पांच माह में बिजली की खपत की जानकारी नहीं दे पाए हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि बालाघाट में अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर किस तरह समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की कस्टम मिलिंग केवल कागजों पर ही की जा रही है। वास्तविकता यह है की राइस मिलों द्वारा मिले चलाई नहीं गई, बिजली का उपयोग नहीं किया गया और चावल जमा कर दिया गया।

इन विसंगतियों के चलते विद्युत खपत की जानकारी देना राइस मिलों के लिए गले की फांस बनाकर रह गया है। यही वजह है कि आज दिनांक किसी भी राइस मिलर्स द्वारा अपने क्षेत्र के कृषि मंडी में उनके द्वारा की गई बिजली खपत की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिसके कारण कृषि मंडी द्वारा आंचलिक कार्यालय द्वारा चाही गई जानकारी अपेक्षित समय में उपलब्ध नहीं कराई गई। राइस मिलर्स को विद्युत खपत की जानकारी देने में पसीना छूट रहा है। मार्च में मांगी गई थी जानकारी मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड के जबलपुर स्थित संयुक्त संचालक द्वारा जबलपुर संभाग की समस्त कृषि मंडियों से उनके क्षेत्रांतर्गत स्थापित संचालित संयत्रों तथा राइस मिल, आईल मिल तथा दाल मिल द्वारा अधिसूचित कृषि उपजों प्रसंस्करण हेतु उनके द्वारा किए गए विद्युत खपत की जानकारी चाही गई थी।

इस संबंध में मंडी बोर्ड/2023-24/7527 दिनांक 2 मार्च 2024 के माध्यम से संभाग की समस्त मंडियों के सचिवों को पत्र प्रेषित किया गया था लेकिन मंडियों की ओर से तत्संबंध में चाही गई जानकारी प्रेषित नहीं की गई। रिमाइंडर के बाद भी नहीं दी जानकारी मिलर्स की दबंगई और ऊपर तक पहुंच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रिमाइंडर के बाद भी अभी तक जानकारी नहीं दी गई है। दरअसल, जानकारी प्राप्त ना होने के तारतम्य में संयुक्त संचालक कृषि विपणन बोर्ड आंचलिक कार्यालय जबलपुर के द्वारा पत्र क्रमांक 140 दिनांक 3 अप्रैल के माध्यम से 15 अप्रैल तक अनिवार्य रूप से विद्युत खपत की जानकारी कार्यालय में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।

इस पत्र की प्राप्ति के पश्चात तीन माह से अधिक का समय बीत गया, लेकिन बालाघाट जिले में स्थित खैरलांजी, वारासिवनी, कटंगी, लालबर्रा, बालाघाट, परसवाडा, मोहगांव मलाजखण्ड की कृषि मंडी ने राइस मिलों से विद्युत खपत किए जाने संबंधित जानकारी आंचलिक कार्यालय को आज तक प्रेषित नहीं की। सूचना के अधिकार के तहत बालाघाट जिले की कृषि मंडियों के सचिव को आवेदन पत्र भेजकर उनके क्षेत्र में स्थित राइस मिलों द्वारा उष्णा और अरवा चावल बनाने के दौरान उपयोग की गई विद्युत खपत की जानकारी चाही गई है। क्षमता से कई गुना ज्यादा चावल की सप्लाई मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बालाघाट जिले के लगभग 102 राइस मिलों द्वारा कस्टम मिलिंग के माध्यम से नागरिक आपूर्ति निगम को चावल प्रदाय किया गया है। जिनमें से अधिकांश राइस मिलों द्वारा उनके मिलों की क्षमता की तुलना में कई गुना ज्यादा चावल की मात्रा प्रदाय की गई है। वास्तविकता यह है की कथित राइस मिलों द्वारा मिले चलाई नहीं गई, बिजली का उपयोग नहीं किया गया और चावल जमा कर दिया गया। इन विसंगतियों के चलते विद्युत खपत की जानकारी देना राइस मिलों के लिए गले की फांस बनाकर रह गया है। यही वजह है कि आज दिनांक किसी भी राइस मिलर्स द्वारा अपने क्षेत्र के कृषि मंडी में उनके द्वारा की गई बिजली खपत की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिसके कारण कृषि मंडी द्वारा आंचलिक कार्यालय द्वारा चाही गई जानकारी अपेक्षित समय में उपलब्ध नहीं कराई गई। राइस मिलर्स को विद्युत खपत की जानकारी देने में पसीना छूट रहा है।