देश का गेहूं भंडार खाली:आम आदमी और किसानों को लगेगा करंट?

0
28

केंद्रीय कृषि व किसान कल्‍याण मंत्रालय ने बीते दिनों कृषि फसलों के उत्‍पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया है, जिसके तहत इस साल 112 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं उत्‍पादन का अनुमान है, लेकिन गेहूं उत्‍पादन के इस अग्रिम अनुमान के बीच गेहूं खरीद और स्‍टॉक के आंकड़ें डरा रहे हैं, जिसे देख कर Wheat की Heat का अंदाजा लगाया जा सकता है. मतलब गेहूं की ये गर्माहट इस साल आम आदमी के साथ ही किसानों को भी मुश्‍किल में डाल सकती है. जिसे गेहूं इंपोर्ट की तरफ बढ़ता भारत संबंधी खबरों से पूरी तरह से समझा जा सकता है. आइए समझते हैं कि पूरा मामला क्‍या है. 

पहले समझें गेहूं खरीद और स्‍टॉक का गणित

देश का गेहूं भंडार खाली है. 1 अप्रैल को गेहूं का स्‍टॉक 75 लाख मीट्रिक टन था, जो बफर स्‍टॉक से थोड़ा सा अधिक और 16 सालों में सबसे कम था. इसी बीच गेहूं खरीद की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसके तहत इस साल 372 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्‍य रखा गया. इस लक्ष्‍य की पूर्ति के लिए अब तक 20 लाख से अधिक किसानों से 265 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हो चुकी है, जबकि कई राज्‍यों में गेहूं खरीद की प्रक्रिया बंंद हो चुकी है. समझा जा रहा है कि इस साल भी गेहूं खरीद का लक्ष्‍य पूरा नहीं होगा. इन हालातों में ये लगातार तीसरी बार होगा, जब गेहूं खरीद का लक्ष्‍य पूरा नहीं हो सकेगा. ऐसे में गेहूं का सरकारी स्‍टॉक भी 300 मीट्रिक टन होने का अनुमान है. इन सबके बीच खाद्य सुरक्षा के लिए 80 करोड़  लोगों के लिए फ्री अनाज का वितरण भी होना है, जिसके लिए 185 लाख मीट्रिक टन गेहूं का आंंवटन स्‍टॉक से ही किया जाना है. 

गेहूं इंपोर्ट की कहानी

गेहूं खरीद की सुस्‍त चाल, गेहूं स्‍टॉक की बेहाली के इस साल और देश में गेहूं की बनी हुई मांग के बीच गेहूं के दाम MSP से अधिक चल रहे हैं. गेहूं के दामों में ये तेजी MSP पर गेहूं की खरीदी के दौरान जारी है. इन हालातों को देखते हुए देश में गेहूं इंपोर्ट की पैरवी होने लगी है. आटा फ्लोर मिल्‍स एसोसिएशन ने गेहूं इंपोर्ट पर लगाई गई 44 फीसदी ड्यूटी हटाने की मांग की है, जिससे विदेशाें से सस्‍ता गेहूं भारत आ सके. हालांकि गेहूं इंपोर्ट पर नई सरकार पर फैसला लेना है, लेकिन माना जा रहा है कि अगर गेहूं इंपोर्ट होता है, तो 50 मीट्रिक टन इंपोर्ट किया जा सकता है. 

किसान और आम आदमी के लिए खतरा गेहूं इंपोर्ट

गेहूं इंपोर्ट काे लेकर बाजार गर्म है, लेकिन गेहूं इंपोर्ट को विशेषज्ञ किसान और आमआदमी के लिए खतरनाक बता रहे हैं. असल में अगर गेहूं इंपोर्ट होता है तो इससे जिन किसानों ने गेहूं को बेहतर दाम की चाह में स्‍टॉक किया हुआ है, उन्‍हें नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. गेहूं इंपोर्ट होने की स्‍थिति में एक निश्‍चित समय पर गेहूं के दामों में गिरावट आएगी. संभवत माना जा रहा है कि गेहूं इंपोर्ट की ये पॉलिसी किसान के स्‍टॉक गेहूं की व्‍यवस्‍था को डिरेल कर देगा.

वहीं गेहूं इंपोर्ट की पॉलिसी आमआदमी के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकती है. असल में गेहूं इंपोर्ट होने के दौरान तो दामों में कमी आएगी, लेकिन एक निश्‍चित समय के बाद देश में मांग के अनुरूप कमी होने का हवाला देते हुए दामों में कृत्रिम बढ़ोतरी की जा सकती है. इस सूरत में आम आदमी को गेहूं के अधिक दाम चुकाने पड़ सकते हैं. क्‍योंकि गेहूं की नई फसल अब अगले साल अप्रैल में आएगी.इन हालातों में स्‍टॉक लिमिट की सख्‍त बेहद ही जरूरी हो जाएगी.