पशुओं की गिनती के लिए हरियाणा में पशुधन जनगणना अभियान का शुभारंभ किया गया है. इसके तहत डोर-टू-डोर जाकर पशुओं की संख्या का आंकड़ा दर्ज किया जाएगा. पता लगाया जाएगा की राज्य में किसके पशुपालक के पास कितने पशुधन हैं. इसमें गाय, भैंस, बकरी, ऊंट, घोड़ा, मुर्गी समेत अन्य पशुधन शामिल हैं. इससे घरेलू पशुओं की कुल संख्या का सटीक आंकड़ा पता चलेगा, जिससे पशु विकास के साथ ही पशुपालकों के विकास के लिए योजना पर काम शुरू हो सकेगा.
हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने रादौर के सरकारी पशु चिकित्सालय में 21वीं पशुधन जनगणना अभियान का उद्घाटन किया. कार्यक्रम के साथ ही घरेलू पशुओं और मुर्गी पालन पर व्यापक डेटा एकत्र करने के लिए राज्यव्यापी डोर-टू-डोर सर्वेक्षण की आधिकारिक शुरुआत हुई. 1919 में इसकी शुरुआत के बाद से पशुधन जनगणना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राणा ने कहा कि हर पांच साल में आयोजित की जाने वाली यह जनगणना पशुधन क्षेत्र में नीति निर्माण और कार्यान्वयन की रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करती है”.
कृषि मंत्री ने कहा कि सर्वेक्षण में विभिन्न पशुधन प्रजातियों जिनमें मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, ऊंट और घोड़े के साथ-साथ मुर्गी पालन पक्षियों पर डेटा एकत्र किया जाएगा. इसके अलावा यह पशुपालन में लगे नागरिकों के स्वामित्व वाले डेयरी उपकरणों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा, जो प्रभावी नीतियों और कार्यक्रमों को आकार देने के लिए महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि इस व्यापक जनगणना के साथ हरियाणा का टारगेट डेटा ऑपरेटेड पशुधन प्रबंधन में नया मानदंड स्थापित करना है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास और समृद्धि को पक्का किया जा सके.
2700 अस्पतालों के साथ पशु चिकित्सा बेहतर करने
कृषि मंत्री ने हरियाणा में मजबूत पशु चिकित्सा बुनियादी ढांचे के बारे में बताया कि 1,079 पशु चिकित्सा अस्पताल, 1,796 औषधालय, सात पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक और 41 पैरा-क्लिनिकल संस्थान शामिल हैं. उन्होंने कहा कि हिसार में सरकारी स्वामित्व वाले पशुधन फार्म के साथ मिलकर इस नेटवर्क ने बीमारी की रोकथाम और उपचार में उल्लेखनीय सुधार किया है, जिससे पशुधन उत्पादकता में बढ़ोत्तरी हुई है.
दूध उत्पादन दोगुना करने का टारगेट
आधिकारिक बयान में कहा गया कि सरकारी पहल और पशुधन मालिकों के प्रगतिशील प्रयासों की बदौलत हरियाणा का वार्षिक दूध उत्पादन 119.65 लाख टन तक पहुंच गया है. राज्य में प्रति व्यक्ति दैनिक दूध की उपलब्धता 1,098 ग्राम है, जो राष्ट्रीय औसत 459 ग्राम से दोगुना से भी अधिक है. हमें विकसित देशों के उन्नत स्तरों से मेल खाने के लिए दूध उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए. सरकार ने पशुधन मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए 2024-25 में मुफ्त पशु चिकित्सा दवाओं के लिए 30 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
गणना को लेकर ट्रेनिंग: हरियाणा में कुछ ही दिनों में पशुधन गणना शुरू होने जा रही है. जिसको लेकर पशुपालन विभाग के द्वारा सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. गणना की ट्रेनिंग को लेकर पूरे भारत में सभी राज्यों को अलग-अलग चरण में बांटा गया था. उत्तरी भारत के कई राज्यों की गणना को लेकर कर्मचारी और अधिकारियों की ट्रेनिंग पंजाब के अमृतसर में हुई थी. जहां पर उनको यह बताया गया था कि किस प्रकार जनगणना की जाएगी और इसमें कितने प्रजाति के पशु शामिल रहेंगे.
16 प्रजाति के 219 नस्ल के पशुओं गणना: उन्होंने बताया कि 2024 में होने जा रही 21वीं पशुधन गणना में 16 प्रजातियों के पशुओं की गणना की जाएगी. जिसमें 219 नस्ल के पशु आते हैं. इसमें मुख्यता तौर पर भैंस, गाय, शुगर, बकरी, भेड़, कुत्ते शामिल रहेंगे. इस गणना में इस प्रजाति के पशु चाहे किसी सरकारी विभाग में हो किसी गौशाला में हो या फिर किसी ने अपने घर पर फार्म पर कहीं भी रखे हो सभी की गणना की जाएगी.
गणना के लिए अधिकारियों की नियुक्ति: उन्होंने बताया कि हरियाणा में हाल ही में यह गणना शुरू होनी है. जिसको लेकर जिला स्तर पर गणना की जाने वाले कर्मचारी और अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी गई है. करनाल जिले में पशुपालन विभाग के 115 कर्मचारियों को फील्ड पर उतारा जाएगा. जिनकी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है और वह ड्राइव रन भी करके देख चुके हैं. इनके ऊपर 28 सुपरवाइजर तैनात किए गए हैं और यह सभी उपनिदेशक पशुपालन विभाग जिला करनाल की निगरानी में गणना करेंगे.
गणना करने का मुख्य उद्देश्य: उन्होंने बताया कि भारत शुरू से ही कृषि के साथ पशुपालन में अग्रणी देश रहा है और हरियाणा में भी बड़े स्तर पर पशुपालन किया जाता है. जिसके चलते भारत में दूध उत्पादन में हरियाणा दूसरे नंबर पर आता है. जबकि प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन में हरियाणा पहले नंबर पर आता है. गणना करने का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि सरकार के द्वारा पशुपालकों के लिए और पशुपालन के लिए जो योजनाएं चलाई जाती है.
उनका एक विवरण तैयार किया जा सके, कि कौन से जिले में और प्रदेश में कितनी संख्या में कौन सी प्रजाति के पशु है. ताकि उनके लिए योजनाओं को लागू किया जा सके. जिसमें किसानों के लिए और पशुपालकों के लिए बहुत सी योजनाएं हैं. जिसमें अनुदान दिए जाते हैं, या बीमारियों के लिए टीकाकरण किए जाते हैं. इन सभी चीजों के लिए ही इस प्रकार की गणना की जाती है.
पशुधन गणना से फायदा: पहले 1919 में पशु गणना हुई थी. इस बार 21वीं पशुधन गणना की जा रही है. हालांकि पशुओं की संख्या पहले से कुछ काम जरूर हुई है. लेकिन पशुपालन विभाग ने पशुओं की नस्ल सुधार पर अच्छा काम किया है. जिसके चलते हमारा दूध उत्पादन पहले से ज्यादा हुआ है और हरियाणा की मुर्रा नस्ल की भैंस भारत ही नहीं विदेशों में भी सबसे ज्यादा दूध देने वाले पशु में शामिल है. इसलिए निश्चित तौर पर अगर हम गणना के आधार पर योजनाएं शुरू करते हैं. तो उसका पशुपालकों को लाभ मिलता है और दूध उत्पादन और नस्ल सुधार में अच्छा काम होता है.
2019 पशुधन गणना: डॉ. अमित जिला नोडल अधिकारी ने बताया कि 2019 में 20वीं पशुधन गणना की गई थी. जिसमें करनाल जिले में 1 लाख 55000 के करीब सभी प्रजातियों की गाय की गणना की गई थी. तो वहीं, भैंसो की संख्या 2 लाख थी. इस बार भी अनुमान लगाया जा रहा है कि गए और भैंस का आंकड़ा इस बार भी 2019 के जितना ही रहेगा.