कपास की बंपर उपज लेने के लिए किसान नई किस्म HBt cotton 40 का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह ऐसी किस्म है जो जल्दी तैयार होती है और उपज भी अधिक देती है. कपास की इस किस्म की खेती सिंचित क्षेत्रों में कर सकते हैं. जिन इलाकों में बारिश के पानी से सिंचाई होती है, वहां इस किस्म की खेती कर सकते हैं. एच बीटी कपास 40 प्रति हेक्टेयर 17.30 क्विंटल की पैदावार देता है. खास बात ये कि यह किस्म 140 से 150 दिनों में तैयार हो जाती है.एच बीटी कॉटन 40 किस्म कई रोगों और कीटों के लिए प्रतिरोधी है. इसे कई रोगों और कीटों की प्रतिरोधी किस्म के तौर पर विकसित किया गया है. कपास की इस किस्म पर लीफहॉपर कीट का प्रकोप नहीं होता. यह कीट पत्तियों पर बैठक रस चूसता है. यह आमतौर पर हरे, पीले या भूरे रंग का कीट होता है. कपास को इस कीट से सबसे अधिक नुकसान होता है.
एच बीटी कॉटन 40 किस्म कई रोगों और कीटों के लिए प्रतिरोधी है. इसे कई रोगों और कीटों की प्रतिरोधी किस्म के तौर पर विकसित किया गया है. कपास की इस किस्म पर लीफहॉपर कीट का प्रकोप नहीं होता. यह कीट पत्तियों पर बैठक रस चूसता है. यह आमतौर पर हरे, पीले या भूरे रंग का कीट होता है. कपास को इस कीट से सबसे अधिक नुकसान होता है. इसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने एच बीटी कॉटन 40 किस्म को लीफहॉपर कीट के लिए प्रतिरोधी बनाया है.
कीट-बीमारियों का प्रकोप नहीं
कपास की यह किस्म तेला यानी कि थ्रिप्स के लिए भी प्रतिरोधी है. थ्रिप्स यानी कि तेला छोटे और पतले कीड़े होते हैं जो कपास की पत्तियों की ऊपरी सतह पर छोटे, चांदी के रंग के धब्बे बनाते हैं. इससे कपास की फसल को बहुत अधिक नुकसान होता है. एच बीटी 40 किस्म इस कीट के लिए भी प्रतिरोधी है. इसके अलावा सफेद मक्खी और माहू का प्रकोप भी नहीं होता.
रोगों की बात करें तो एच बीटी 40 किस्म बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी लीफ ब्लाइट (झुलसा रोग) और अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट के लिए भी प्रतिरोधी है. ये दोनों रोग कपास की इस किस्म को प्रभावित नहीं करते. इस किस्म पर ग्रे मिल्ड्यू रोग का प्रकोप भी नहीं होता है. ये ऐसे रोग हैं जो कपास की उपज को प्रभावित करते हैं जिससे किसानों की आय घटती है. इन रोगों और कीटों के प्रभाव को देखते हुए वैज्ञानिकों ने एच बीटी 40 किस्म को तैयार किया है.
दक्षिणी राज्यों के लिए उपयुक्त
देश के दक्षिणी राज्यों के लिए कपास की किस्म एच बीटी 40 को विकसित किया गया है. दक्षिणी राज्यों के किसान इस किस्म की खेती करके अच्छी उपज ले सकते हैं. हालांकि अन्य क्षेत्रों में भी इस किस्म को लगा सकते हैं. लेकिन वैज्ञानिक इसे दक्षिणी क्षेत्र में खेती के लिए सिफारिश करते हैं क्योंकि वहां की जलवायु और मौसम इसके लिए बेहतर है. दरअसल, कपास गर्म क्षेत्रों में उगने वाली फसल है जो नकदी श्रेणी में आती है. किसान इससे प्राकृतिक फाइबर प्राप्त करते हैं और उसे बाजार में बेचकर मुनाफा कमाते हैं.