Cotton crisis …..कपास उत्पादकता की कमी से परेशान किसान और कंज्यूमर

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भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक माना जाता है लेकिन उत्पादकता के मामले में 35वें स्थान पर है. कंफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें किसानों, उद्योग के विशेषज्ञों और कृषि व कपड़ा मंत्रालय के अधिकारियों ने इस समस्या पर अपने विचार साझा किए.

कपास एक महत्वपूर्ण फसल है जिससे लगभग 60 लाख लोग सीधे जुड़े हुए हैं. यह भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन, भारत 130 लाख हेक्टेयर में कपास उगाने के बावजूद, चीन के 30 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम उत्पादन कर रहा है. चीन की उत्पादकता 1993 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि भारत में यह सिर्फ 436 किलोग्राम है.नई दिल्ली: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक माना जाता है लेकिन उत्पादकता के मामले में 35वें स्थान पर है उत्पादकता प्रति हेक्टेयर जमीन पर कपास की कुल उपज को मापी जाती है. कम उत्पादकता की स्थिति किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है और कपड़ा उद्योग को भी प्रभावित कर रही है. कंज्यूमर को सस्ता कपड़ा नहीं मिल रहा है और किसानों को कपास की खेती से ज्यादा लाभ नहीं हो रहा.

  • इस संदर्भ में कंफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें किसानों, उद्योग के विशेषज्ञों और कृषि व कपड़ा मंत्रालय के अधिकारियों ने इस समस्या पर अपने विचार साझा किए.

कपास एक महत्वपूर्ण फसल है, जिससे लगभग 60 लाख लोग सीधे जुड़े हुए हैं. यह भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन, भारत 130 लाख हेक्टेयर में कपास उगाने के बावजूद, चीन के 30 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम उत्पादन कर रहा है. चीन की उत्पादकता 1993 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि भारत में यह सिर्फ 436 किलोग्राम है. यदि हम उत्पादकता बढ़ा सकें तो इससे किसानों को बेहतर लाभ होगा और कंज्यूमर को सस्ते कपड़े मिलेंगे. लेकिन वर्तमान स्थिति सभी के लिए चुनौती बनी हुई है.

कपास की कम उत्पादकता के पीछे कई कारण हैं-जैसे कि गुणवत्ता वाले बीजों की कमी, सिंचाई की सुविधाओं का अभाव, और कीटनाशक प्रबंधन में कमी. इन समस्याओं के समाधान के लिए 8 राज्यों में विशेष प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं, जिनके अच्छे परिणाम सामने आए हैं. केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर हम हाई डेंसिटी प्लांटेशन और ड्रिप फर्टिगेशन जैसी सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों को अपनाएं, तो कपास की उत्पादकता को 1500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाया जा सकता है.
कपड़ा मंत्रालय की संयुक्त सचिव प्राजक्ता वर्मा ने भी इस बात पर जोर दिया कि भारत विश्व का 24 फीसदी कपास पैदा करता है, लेकिन उत्पादन में कमी के कारण टेक्सटाइल इंडस्ट्री को रॉ मैटीरियल की सुरक्षा नहीं मिल पा रही. उद्योग के लिए यह बेहद जरूरी है कि उन्हें सही दाम पर रॉ मैटीरियल मिले ताकि वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें. कपास संकट का समाधान नई बीज किस्मों और बेहतर प्रबंधन के जरिए संभव है.