सोयाबीन के दाम में गिरावट का सिलसिला जारी है. दाम इतने कम हो गए हैं कि लागत भी निकालना मुश्किल हो रहा है. जिससे किसान गुस्से में हैं. क्योंकि यह सब हो रहा है सरकारी नीति के कारण. इसे लेकर मध्य प्रदेश के किसान आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं तो दूसरी ओर महाराष्ट्र में यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है, क्योंकि वहां विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में अगर जल्दी ही दाम एमएसपी के स्तर तक नहीं आया तो वहां पर बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों को राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ सकता है. सोयाबीन की गिनती तिलहन और दलहन दोनों फसलों में होती है, जिनके मामले में भारत अब तक आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है. इसके बावजूद उसके दाम में गिरावट हो रही है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र इसके दो बड़े उत्पादक सूबे हैं और दोनों में किसानों को इसका दाम एमएसपी जितना भी नहीं मिल पा रहा है.कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के मुताबिक A2+FL फार्मूले के आधार पर देश में सोयाबीन की उत्पादन लागत 3261 रुपये प्रति क्विंटल आती है. कई मंडियों में दाम इससे भी कम हो गया है. इससे किसानों की नाराजगी बढ़ रही है. सोयाबीन महाराष्ट्र की प्रमुख फसल है, ऐसे में कम दाम विधानसभा चुनावों में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों की मुसीबत बढ़ा सकता है.
नवंबर में नया सोयाबीन बाजार में आना शुरू हो जाएगा. अभी जो सोयाबीन बिकने आ रहा है वो पिछले वर्ष का है. दाम न मिलने की वजह से उसे भी किसान अपने पास रोक कर रख रहे हैं. इसलिए मंडियों में आवक पिछले साल के मुकाबले कम हो गई है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक 20 से 27 अगस्त के बीच देश भर में सिर्फ 43,460 टन सोयाबीन बिकने आया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि से 30 फीसदी कम है. साल 2023 की इसी अवधि में 62,465 टन सोयाबीन मंडियों में बिकने आया था. साल 2022 की इसी अवधि के मुकाबले इस साल आवक 56 फीसदी कम है, क्योंकि तब 97,921 टन सोयाबीन बिकने आया था.
किस मंडी में कितना है दाम
मंडी | न्यूनतम | औसत | अधिकतम |
सिहोर, मध्य प्रदेश | 2,655 | 4,171 | 4,343 |
अशोक नगर, मध्य प्रदेश | 3,500 | 4,171 | 4,340 |
गंज बासौदा,मध्य प्रदेश | 3,401 | 4,180 | 4,322 |
हिंगणघाट, महाराष्ट्र | 2,150 | 4,175 | 4,385 |
मानोरा, महाराष्ट्र | 3,000 | 4,150 | 4,301 |
मलकापुर, महाराष्ट्र | 3,501 | 4,185 | 4,285 |
Source: e-Nam/27-08-2024 |
दाम में भारी गिरावट
बहरहाल, अब दाम की बात कर लेते हैं. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के मुताबिक 27 अगस्त को लासलगांव में सिर्फ सिर्फ 104 क्विंटल सोयाबीन बिकने आया. इतनी कम आवक के बावजूद न्यूनतम दाम गिरकर सिर्फ 2601 रुपये प्रति क्विंटल रह गया. अधिकतम दाम 4335 और औसत भाव 4285 रुपये प्रति क्विंटल रहा. दूसरी ओर, राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम प्लेटफार्म पर वर्धा जिले की हिंगणघाट मंडी में सोयाबीन का न्यूनतम दाम सिर्फ 2,150 रुपये रहा. औसत भाव 4,175 और अधिकतम 4,385 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जबकि इसका एमएसपी 4892 रुपये प्रति क्विंटल है.
उधर, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 20 से 27 अगस्त के बीच देश में सोयाबीन का औयत दाम 4167.05 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले साल यानी 2023 की इसी अवधि से 11.42 फीसदी कम है. पिछले साल किसानों को 4704.03 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला था.
कितनी आती है लागत
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के मुताबिक A2+FL फार्मूले के आधार पर देश में सोयाबीन की उत्पादन लागत 3261 रुपये प्रति क्विंटल आती है. इस पर 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर 4892 रुपये की एमएसपी तय की गई है. देश की कई मंडियों में उत्पादन लागत से भी कम दाम हो गया है. इसीलिए मध्य प्रदेश के किसान इसके खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि आयात शुल्क बहुत कम रहने की वजह से ही दूसरे देशों से सोया ऑयल बड़े पैमाने पर आयात हो रहा है और अपने देश के किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.