मध्य प्रदेश में भी सीड पार्क बनने से किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, साथ ही व्यापार और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे 

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एग्रो इंडिया से चर्चा करते हुए कहा सीड एसोसिएशन ऑफ एमपी के अध्यक्ष वैभव जैन ने

सीड एसोसिएशन  एमपी में अपने गठन के वक्त से ही बीज व्यापार को बढ़ाने और व्यापार विरोधी कानून के हल करने के लिए शासन के समक्ष सार्थक तरीके से पहल करता रहा है । हालांकि सरकार ने अभी तक मध्य प्रदेश को सीड हब बनाने के लिए जो सुविधा दी जाने चाहिए वह नहीं दी है ,लेकिन फिर भी मध्य प्रदेश में सीड एसोसिएशन व्यापार और किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। यह बात एग्रो इंडिया से चर्चा करते हुए  सीड एसोसिएशन ऑफ मध्य प्रदेश के अध्यक्ष वैभव जैन ने कहीं।

 

सीड एसोसिएशन ऑफ एमपी के अध्यक्ष वैभव जैन एग्रो इंडिया से चर्चा करते हुए

सीड एसोसिएशन ऑफ एमपी के गठन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए आपने कहा कि व्यवसाय से जुड़ी कुछ कंपनियों के संचालकों के साथ मिलकर ईगल सीड्स के संस्थापक आर के जैन साहब ने इस संगठन की  नीव रखी थी ।अधिकारियों, शासन, प्रशासन में अच्छी पेठ रखने वाले तकनीकी विशेषज्ञ एसके शुक्ला जी को संगठन के तकनीकी डायरेक्टर के रूप में शामिल किया गया था । शुक्ला जी को बीज व्यवसाय और उन्नत किस्म के बीज तैयार करने में 40 साल का अनुभव था। जिसका पूरा लाभ मध्यप्रदेश के सीड व्यवसाय को मिला है ।

*प्रमुखता से बीज अनुसंधान का काम करती है एसोसिएशन* 

भारत सरकार ने जब सीड एक्ट बनाया तब कई राज्यों में बीज प्रमाणीकरण संस्थाएं नहीं थी । लगभग 20 वर्षों से सक्रिय संस्था कई फसलों पर अनुसंधान और उन्नत किस्म के बीज तैयार करने पर काम कर रही है, जिनमें सोयाबीन ,गेहूं ,तुवर,मूंग आदि दलहन फसले प्रमुख हैं।

आपने कहाकि जहां स्थानीय बीज कंपनियां स्थानीय खेती किसानी को ध्यान में रखकर बीजों का विकास करती है। वहीं मल्टीनेशनल कंपनियां केवल अपने मनाफे पर ही ध्यान देती है । वे राज्य के किसानों के हिसाब से ना तो बीजों का अनुसंधान करती है और ना ही तैयार करती है जबकि सीड एसोसिएशन ऑफ एमपी प्रदेश की किसानों की जरूरत के हिसाब से बीज अनुसंधान कर विकसित भी तैयार करती है।

*खेती किसानी के लिए अनुकूल नीतियां तैयार करना ही संगठन का उद्देश्य*

श्री जैन ने बताया कि बीज व्यवसाय को लेकर कई बार दिक्कतें आई । 2005 के पूर्व ढीला ढाला संगठन था तो सही लेकिन वह असर कारक नहीं था । तब 2005 में बाकायदा पंजीकृत संगठन के रूप में सीड एसोसिएशन की स्थापना हई और तब से आज तक व्यापार में आने वाली समस्याओं तथा शासन से खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल नीतियों का निर्माण करवाना ही इस संगठन का उद्देश्य रहा है ।

संगठन का मूल उद्देश्य है की प्रदेश और देश के किसान प्रगति करें । इस दिशा में संगठन से जुड़े समस्त सदस्य कंपनियां किसानों के साथ मिलकर काम करती है । कई बार सरकार को अफसर शाही अंधेरे में रखकर गलत कानून बनवा देती है। इसको लेकर भी संगठन ने लगातार शासन  ओर सरकार के समक्ष मजबूत तरीके से अपनी बात रखी है। इसी का परिणाम हुआ की वेट, जीएसटी, मेट्रोलॉजी एक्ट में संशोधन हुआ।

*संगठन के प्रयास से कई किसान और व्यापार विरोधी नियमों में बदलाव हुए*

  मध्य प्रदेश सरकार ने 1999 में सेस टैक्स लगा दिया था तब मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी, हमने मजबूती से शासन के समक्ष पक्ष रखा और अंततः सेस टेक्स हट गया  । बाद में बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्रीत्व काल में बीज पर वेट लगा दिया गया, तब हिम्मत कोठारी वित्त मंत्री थे। इसको लेकर भी शासन के समक्ष हमने मजबूती से पक्ष रखा और परिणाम वेट हटाना पड़ा। 

सीड एसोसिएशन ने बीज कंपनियों के हित में, ,व्यापार के हित में कई मुद्दों को उठाया है। 2005- 06 में ग्रेन पर लगने वाले परचेस टैक्स बीज पर भी लगा दिया गया । जिसको लेकर हमने कमिश्नर के समक्ष अच्छे से अपनी बात रखी। परिणाम हुआ कि बीज से परचेस टैक्स हटाने में सफलता मिली। संगठन की यह  बड़ी और पहली सफलता थी।

 तब प्रावधान किया गया कि स्टेट से भी परमिशन ली जाए

*विधानसभा में पारित होने के बावजूद लागू नहीं हुआ बीटी कॉटन की कीमत निर्धारण का प्रावधान* 

मत्यप्रदेश 2009 में बीटी कॉटन की  कीमत निर्धारण का प्रावधान किया गया, तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों में यह पहले से ही लागू था। मध्य प्रदेश की विधानसभा में भी से पारित कर लागू कर दिया गया। विधानसभा में कानून पास होने के  बावजूद सीड एसोसिएशन ने मजबूत तरीके से तत्कालीन राष्ट्रपति के समक्ष इस मामले को रखा तथा कहा कि इससे खेती – किसानी बर्बाद हो जाएगी । राष्ट्रपति को व्यवस्थित तरीके से समझाने का परिणाम यह हुआ कि राष्ट्रपति ने उस कानून पर हस्ताक्षर नहीं किए  जिसके चलते यह कानून लागू ही नहीं हो पाया ।

*रिसर्च को लेकर सरकार के कानूनी प्रावधान को रद्द किया हाई कोर्ट ने*

एक और प्रावधान किया गया कि यदि बीज कपनियां कोई रिसर्च करना चाहती है तो कृषि महाविद्यालय के अधीन उन्हें दो-तीन साल तक लगातार ट्रायल देना पड़ेगी । उसके बाद ही उस बीज के विक्रय की परमिशन कंपनी को दी जाएगी । यह बीलकुल अव्यवहारिक था, यह कानून भी हटवाना था, क्योंकि सीड एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसे लेकर संगठन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें शहर के जाने-माने वकील साबुजी और सतीश बागड़िया जी ने सीड कंपनियों की ओर से पैरवी की । कई पेशियां के बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की और डायरेक्टर एग्रीकल्चर की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिए जाने पर संगठन के पक्ष में उच्च न्यायालय ने फैसला दिया । जबकि महाराष्ट्र और तेलंगाना में कई बड़ी कंपनियां होने के बावजूद वह इस मामले में जीत हासिल नहीं कर पाई। मध्य प्रदेश के लिए यह एक बड़ी सफलता है।

*बीज पर लगाए गए मंडी टैक्स को भी हटवाया*

 श्री वैभव जैन ने बताया कि इसी तरह से मंडी टैक्स को लेकर भी संगठन ने बहुत मजबूत तरीके से अपनी बात उठाई मंडी बोर्ड ने सीड को भी अनाज मानकर उस पर मंडी टैक्स वसूलना शुरू कर दिया था। जबकि सीड अनाज से भिन्न है । सीड कंपनियों के खिलाफ मंडी टैक्स की वसूली निकाली जा रही थी तब बीज कंपनियों ने हाईकोर्ट  की जबलपुर बेंच में याचिका दायर की  और मंडी टैक्स को रद्द करवाने में सफलता प्राप्त की। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर लिखा कि बीज को अनाज से भिन्न माना जाना चाहिए और इस पर मंडी टैक्स लागू नहीं होता है। हालांकि इस फैसले से उन तीन चार कंपनियों को ही छूट मिली जिन्होंने याचिका दायर की थी। बाद में सीड एसोसिएशन ऑफ एमपी ने शासन के समक्ष अपनी बात रखी और संगठन के सभी मेंबरों को मंडी टैक्स से छूट दिलवाई।

*संगठन को मजबूती दे सीड कपनियां*

 एग्रो इंडिया के माध्यम से में सभी सीड व्यवसाय कंपनियों से आग्रह करना चाहता हूं कि वह सीड एसोसिएशन ऑफ एमपी को मजबूत बनाएं और इसके मेंबर बने अभी भी कई कंपनियां  संगठन की मेंबर नहीं है , हालांकि अब 1100 से ज्यादा कंपनियां मेंबर है । कुछ एक बची हुई है उनसे भी मेंबर बनने का आग्रह है ,क्योंकि लोकतंत्र में संगठन ही सबसे बड़ी शक्ति है और यदि हम संगठन को मजबूत बनाए रखेंगे तो व्यवसाय मे आने वाली कई समस्याओं से निजात पा सकते हैं ।

श्री जैन ने कहा कि 1964 में बीज इंडस्ट्रीज की शुरुआत हुई, महिको की स्थापना के साथ यह इंडस्ट्री शुरू हुई ‌।

*क्यों नहीं बन पाया मध्यप्रदेश सीड प्रदेश* 

 मध्य प्रदेश को सीड प्रदेश नहीं बनने का कारण बताते हए कहा कि महाराष्ट्र तलंगाना और आंध्रप्रदेश की कम्पनियां किसानों से अपना जुड़ाव रखती है ।  वे पूरे गांव को गोद लेकर किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षित भी करती है,साथ ही वहां सरकार भी इसे बढ़ावा देती है, जबकि मध्य प्रदेश में इसकी कमी है। मेरा मध्यप्रदेश सरकार से भी आग्रह है कि वह मध्यप्रदेश में सीड व्यवसाय को संरक्षण दें तथा पड़ोसी महाराष्ट्र और तेलंगाना से सीख लेते हुए मध्यपदेश में भी उन्नत खेती और विकसित बीज तैयार करने को प्रोत्साहन देने के लिए नीतियां बनाए , क्योंकि खेती हमारी अर्थव्यवस्था की रीड है और यदि यह मजबूत हुई तो निश्चित रूप से हम विश्व में नंबर एक की अर्थव्यवस्था बन सकते हैं ।

*मध्य प्रदेश में भी बने सीड पार्क* 

तेलंगाना और महाराष्ट्र में विकसित बीज तैयार करने के लिए सीड पार्क की योजना मूर्त रूप ले रही है । मध्य प्रदेश में भी लंबे अरसे से सीड पार्क बनाए जाने की मांग चल रही है । मध्य प्रदेश सरकार से  सीड एसोसिएशन ऑफ एमपी का आग्रह है कि प्रदेश में भी सीड पार्क बनाया जाना चाहिए । प्रदेश के फैलाव को देखते हुए यहां पर दो-तीन सीड पार्क की जरूरत है । जब सरकार हजारों एकड़ में इंडस्ट्रियल पार्क बना सकती है तो फिर  खेती के विकास के लिए किसानों को अच्छा बीज उपलब्ध कराने के लिए सीड पार्क

 की योजना पर क्यों विचार नहीं कर रही है यह समझ से परे है ।  500 एकड़ में सीड पार्क बन सकता है ।सीड एसोसिएशन ऑफ एमपी उसके लिए हर तरह की जिम्मेदारी उठाने को तैयार है । यदि मध्य प्रदेश में सीड पार्क बनता है तो किसानों की जहां आय बढ़ेगी वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे । जिससे हमारा प्रदेश तरक्की करेगा।

 तेलंगाना और महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए श्री जैन ने कहा कि वहां कंपनियां गांव के गांव गोद ले लेती है तथा किसानों को 80- 90 हजार रुपए प्रति एकड़ की गारंटी भी देती है । जिससे वहां का किसान लगातार प्रगति कर रहा है।

 हाइब्रिड मक्का के बीज उत्पादन का उदाहरण देते हुए आपने बताया कि जहां यह बीज तैयार किया जाता है । वहां 500 मीटर के रेडियस में अन्य कोई फसल नहीं होना चाहिए अन्यथा क्रॉस बीट के जरिए अच्छा बीज तैयार नहीं होगा । इसलिए जरूरी है कि मध्य प्रदेश सरकार बीज कंपनियों के लिए अनुकूल वातावरण बनाएं और अच्छी नीतियों को लागू करें इससे आमदनी भी बढ़ेगी, खेती उन्नत होगी और मध्य प्रदेश में पर्यावरण भी सधरेगा ।

 सीड पार्क लंबे समय की योजना है और इसके लिए राज्य सरकार को जमीन आवंटित करना  चाहिए ।