आंवले की खेती में इन 9 बातों का ध्यान रखकर होगा बंपर उत्पादन

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आंवला कई पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसके गुणों के कारण इसकी बाजार में मांग भी काफी रहती है. यदि आप भी आंवले की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा.

  • आंवले के बेहतर उत्पादन के लिए अनुकूल वातावरण, जलवायु, सिंचाई जैसी कई जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
  • आंवले की खेती के लिए जरूरी बातें –

· आप अपने क्षेत्र के अनुकूल आंवले की किस्मों का चयन करें. ताकि वहां आपको ज्यादा नुकसान का सामना नहीं करना पड़े.

· आंवले की उन्नत किस्मों में कृष्णा, चकैया, बनारसी, एनए-7 आदि शामिल हैं. जिस भी किस्म का चुनाव करें वह क्रॉस-परागण के लिए अनुकूल हो इस बात का विशेष ख्याल रखा जाए.

· आंवले के बेहतर उत्पादन के लिए परागण बहुत जरूरी है. यह क्रॉस-परागण वाली फसल है.

· जब भी पेड़ लगाए तो इस बात का ध्यान रखें कि पेड़ों के बीच की दूरी 8 से 10 मीटर हो. ताकि एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर लगने वाले कीट हवा के माध्यम से नहीं फैले.

· आंवले की फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए क्रॉस-परागण वाली किस्मों का चुनाव करना चाहिए. जिसके लिए दो से तीन किस्मों को एक साथ लगा सकते हैं. जिससे फल लगने की संख्या बढ़ती है.

· वैसे तो आंवले में हवा से ज्यादातर परागन होता है, लेकिन मधुमक्खियों जैसे अन्य कीट भी परागणकर्ता में बड़ी भूमिका निभाते हैं.

· जब पौधों पर फुल निकलने लग जाए तो कीटनाशकों का छिड़काव करने से बचें. इससे आंवले की फसल को लाभ पहुंचाने वाले कीटों को भी नुकसान हो सकता है.

· आंवले की बेहतर खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान होना चाहिए. ज्यादा बारिश के मौसम में फसल प्रभावित हो सकती है. उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु इसके लिए बेहतर मानी जाती है.

· आंवले की खेती की शुरुआत के लिए सबसे जरूरी है अच्छी साइट का चुनाव करना.

· चिकनी और रेतीली दोमट मिट्टी इसके लिए बेहतर मानी जाती है. खेतों में जल निकासी की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए.

· आंवले के पौधों को गड्ढे तैयार करके उसमें लगाएं. इसके बाद गड्ढों में खाद, जैविक खाद और मिट्टी भर दें. इसके बाद दो से तीन सप्ताह तक गड्ढों को ऐसे ही रहने दें.

· गड्ढों में पौधों को अच्छे से रोपें. जिसके बाद पौधों को पानी देना नहीं भूले.

 आंवले को सूखा प्रतिरोधी फसलों में शामिल किया जाता है. जब पौधों का विकास अच्छे से हो जाए तो फिर वे शुष्क परिस्थितियों को सहन कर सकते हैं.

· सिंचाई के लिए ड्रिप तकनीक का इस्तेमाल करें.

· गर्मी के मौसम में हर 7 से 10 दिन के अंतराल में सिंचाई करें.

· पेड़ों पर वायु और धूप अच्छे से आए इसके लिए समय-समय पर छंटाई जरूरी है.

· पौधों को तेज हवाओं से बचाने के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए. जिसके लिए इस बार पर नजर बनाकर रखें कि पौधे सीधे बढ़ें.