रत का सबसे बड़ा कारोबारी समूह Tata Group है. आजादी के पहले से ये समूह देश में काम कर रहा है. इसलिए 1947 में जब देश आजाद हुआ, तब उसे जहां एक तरफ बंटवारे की भयावहता और गरीबी का दंश विरासत में मिला, तो दूसरी तरफ टाटा ग्रुप की लीगेसी से भी कई ऐसी ताकतें मिलीं, जिसने भारत जैसे नए देश को ना सिर्फ संभाला, बल्कि आज इसके दुनिया की पांचवीं बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की नींव भी बनाई.वर्तमान समय में भारत एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में दिखाई देता है. लेकिन जरा सोचिए 1947 में भारत कैसा रहा होगा. आजादी के वक्त भारत को देश के सबसे बड़े कारोबारी घराने से विरासत के रूप में ये सौगात मिली थी.
15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने से पहले ही टाटा ग्रुप ने देश के कई ऐसे सेक्टर में काम किया था, जिसने नए उदित होते भारत को ये साहस दिया कि वह अमेरिका और सोवियत संघ के शीत युद्ध से लड़ रही दुनिया में अपनी पहचान बना सके. उसकी इस विरासत ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को कड़े आर्थिक फैसले लेने की भी सहूलियत दी.
आजादी के वक्त टाटा की विरासत
देश जब आजाद हुआ, उससे पहले टाटा ग्रुप देश को मुंबई के ताज होटल जैसा लग्जरी ब्रांड दे चुका था. आजादी के बाद देश के पर्यटन को बढ़ाने में इस ब्रांड की अहम भूमिका रही. इसके अलावा देश के पास टाटा स्टील जैसी बड़ी इस्पात कंपनी आजादी से पहले मौजूद थी. आजादी के बाद स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) के गठन में जितनी पीएम नेहरू की सोच की भागीदारी थी, उतनी ही टाटा स्टील की देश में पहले से मौजूदगी की.
टाटा की विरासत की बात हो तो आजादी से पहले देश खुद की बिजली कैसे बना सकता है, ये टाटा पावर ने बता दिया था. इसके अलावा रेल इंजन बनाने वाली टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव (अब टाटा मोटर्स), टाटा केमिकल्स (टाटा नमक बनाने वाली) और टाटा ऑयल मिल्स (हमाम साबुन बनाने वाली) जैसी कंपनियां भी टाटा ग्रुप बना चुका था.
टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जेआरडी टाटा देश के पहले व्यक्ति थे जिनके पास पायलट होने का लाइसेंस था. उन्होंने ही 1939 में टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की थी. देश की आजादी के बाद भारत के पास अपनी कोई एयरलाइंस तक नहीं थी. तब टाटा एयरलाइंस को ही नेशनलाइज करके देश की आधिकारिक एयरलाइंस बना दिया गया. यही एअर इंडिया थी, जिसकी कुछ साल पहले ही टाटा ग्रुप में वापसी हुई है.
समाज को भी टाटा ने दिया काफी कुछ
टाटा ग्रुप की विरासत में सिर्फ कारोबार ही नहीं है. आजादी से पहले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेस, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना हो चुकी थी. इन संस्थानों ने भारत में इंजीनियरिंग कॉलेज,आईआईटी और इसरो जैसे ऑर्गनाइजेशन की नींव का काम किया. आज इन्हीं की बदौलत भारत ना सिर्फ दुनिया की बड़ी इकोनॉमिक पावर है, बल्कि एजुकेशन पावर भी है.
बिड़ला-बजाज-महिंद्रा का भी साथ
आजादी से पहले ही देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने की नींव डालने का काम टाटा ग्रुप ने तो किया ही, लेकिन उसी दौर में उसे कई और बड़े बिजनेस घरानों का साथ भी मिला. इसमें बिड़ला, गोदरेज, महिंद्रा एंड महिंद्रा और बजाज ग्रुप शामिल है.