धान की खरीद के बीच पंजाब में चावल मिलर्स ने अपने गोदामों में धान रखने से किया इनकार

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पंजाब में धान की खरीद के बीच, राज्य के चावल मिलर्स ने एक बार फिर मिलिंग के लिए अपने परिसर में अनाज रखने से इनकार कर दिया है. इससे खरीद एजेंसियों में हड़कंप मच गया है, जिन्हें अगले सप्ताह से धान की अधिक आवक की उम्मीद है. हालांकि, पंजाब राइस मिलर्स एसोसिएशन ने पिछले शनिवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ बैठक के बाद अपना आंदोलन वापस ले लिया था, क्योंकि राज्य ने उनकी अधिकांश मांगों को स्वीकार कर लिया था. लेकिन अब, मिलर्स फिर से उग्र हो गए हैं. उन्होंने धान की मिलिंग और भंडारण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है. इससे पीआर 126 किस्म के धान की पैदावार पर चिंता जताई जा रही है. वहीं, आरोप है कि यह किस्म भारतीय खाद्य निगम के खरीद मानदंडों को पूरा नहीं करेगा, जिससे मिलर्स को भारी नुकसान होगा.

चावल मिलर्स, किसान यूनियन और कमीशन एजेंट अपनी मांगों को लेकर रविवार को पंजाब में तीन घंटे तक आंदोलन करने वाले हैं. पंजाब राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम सैनी ने आरोप लगाया कि खरीद एजेंसियों ने मिल मालिकों के विरोध के बावजूद कपूरथला और रूपनगर जिलों में मिल परिसर में धान का भंडारण करवाने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल किया. चूंकि हमारी मांगें पूरी नहीं हुई हैं और पीआर 126 किस्म के धान में चावल के अधिक टूटने की गंभीर चिंता है, इसलिए मिलर्स ने मिलिंग के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है. 

पिछले साल मिलर्स को भारी नुकसान हुआ था

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सैनी ने बताया कि जगह की कमी और एफसीआई द्वारा चावल उठाने के अलावा, संकर किस्मों का आउटटर्न अनुपात (ओटीआर) एक बड़ी चिंता का विषय है. सैनी ने कहा कि हमने अनुरोध किया है कि वास्तविक ओटीआर (धान से चावल रूपांतरण का अनुपात) का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन किए जाएं, तब तक हम मिलिंग नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि पिछले साल भी मिलर्स को भारी नुकसान हुआ था.

एजेंसियों को 67 क्विंटल चावल लौटाना पड़ता है

सैनी ने कहा कि हर 100 क्विंटल धान के लिए मिल मालिकों को सरकारी एजेंसियों को 67 क्विंटल चावल लौटाना पड़ता है और अगर पैदावार कम होती है तो मिल मालिकों को नुकसान की भरपाई करनी पड़ती है. नई किस्मों में चावल के टूटने की संभावना अधिक होती है, इसलिए मिल मालिकों के लिए यह घाटे का सौदा है. मिल मालिकों के गुस्से के कारण कमीशन एजेंट और खरीद एजेंसियों ने भी धान खरीदने से मना करना शुरू कर दिया है. पटियाला के कमीशन एजेंट जगदीश राज ने कहा कि जब तक उठान प्रक्रिया शुरू नहीं होती, हम और धान नहीं खरीद सकते. हमने किसानों से फसल की कटाई में देरी करने का अनुरोध किया है.

32 लाख हेक्टेयर में की गई है धान की बुवाई

उन्होंने कहा कि खरीद एजेंसी के कर्मचारी भी चिंतित हैं, क्योंकि खरीद के बाद हर गुजरते दिन के साथ वजन में कमी बढ़ती जाएगी. इस सीजन में धान की बुआई 32 लाख हेक्टेयर से अधिक हुई थी और विशेषज्ञों ने 230 लाख टन की बंपर फसल की भविष्यवाणी की है. राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति ने खरीद के लिए 185 लाख टन का लक्ष्य तय किया है. राज्य पीडीएस के लिए देश की कुल जरूरत के 45 फीसदी तक धान का योगदान देता है. पंजाब में धान की खरीद आधिकारिक तौर पर 1 अक्टूबर से शुरू हो गई है.

किसानों के खातों में पहुंचे 573 करोड़ रुपये

वहीं, खरीद प्रभावित होने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कमीशन एजेंटों और चावल मिलर्स के मुद्दों को हल करने के लिए केंद्रीय मंत्री से फोन पर बात की. खरीद को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वे मंगलवार को केंद्रीय खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी से भी मिलेंगे. सीएमओ अधिकारियों के अनुसार, सीएम चावल मिलर्स और आढ़तियों के मुद्दों को केंद्रीय मंत्री के समक्ष उठाएंगे. अब तक 4.30 लाख मीट्रिक टन धान मंडियों में पहुंच चुका है और आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 98 फीसदी फसल की खरीद हो चुकी है. सीएमओ अधिकारी ने कहा कि विभाग ने किसानों को भुगतान के रूप में 573.55 करोड़ रुपये जारी किए हैं.