रबी फसलों की कटाई के बाद किसान खाली पड़े खेतों में विभिन्न सब्जी एवं दलहन फसलों की खेती कर अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं। इसको लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली (पूसा) ने दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए सलाह जारी की है। साप्ताहिक मौसम पर आधारित सलाह में बताया गया है कि अभी बारिश की संभावना को देखते हुए अपनी कटी हुई फसलों को ढककर रखें। वहीं जो किसान ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती करना चाहते हैं वे किसान बुआई की तैयारी करें। पूसा संस्थान द्वारा जारी सलाह में अभी किसानों को मूँग की बुआई के साथ ही फ़्रेंच बीन, सब्जी लोबिया, चौलाई, भिंडी, लौकी, खीरा, मूली, मक्का आदि फसलों की बुआई करने को कहा गया है। इसके साथ ही खेत में लगी विभिन्न फसलों में लगने वाले कीट-रोगों से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही गई है।
किसान अभी मूँग की इन किस्मों की करें बुआई
संस्थान ने किसानों को इस समय मूंग की फसल के उन्नत बीजों की बुआई करने की सलाह दी है। जिसमें किसान अभी पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा- 5931, पूसा बैसाखी, पी.डी.एम-11, एस.एम.एल- 32, एस.एम.एल.- 668, सम्राट की बुआई कर सकते हैं। इसके साथ ही किसानों को बुआई से पहले बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से बीजोपचार करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा किसानों को बुआई के समय खेत में आवश्यक नमी हो इस बात को ध्यान में रखने के लिए कहा गया है।
अभी करें इन सब्जी फसलों की बुआई
अभी के मौसम में किसान फ्रेंच बीन (पूसा पार्वती, कोंटेनडर), सब्जी लोबिया (पूसा कोमल, पूसा सुकोमल), चौलाई (पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई), भिंण्डी (ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि), लौकी (पूसा नवीन, पूसा संदेश), खीरा (पूसा उदय), तुरई (पूसा स्नेह) आदि तथा गर्मी के मौसम वाली मूली (पूसा चेतकी) की सीधी बुआई कर सकते हैं। संस्थान के मुताबिक़ अभी इन फसलों की बुआई के लिए तापमान अनुकूल है, इसके साथ ही अंकुरण के लिए भी यह तापमान उपयुक्त हैं। किसान उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें साथ ही बुआई के समय खेत में आवश्यक नमी को बनाकर रखें। इसके अतिरिक्त किसान इस तापमान में मक्का चारे के लिए (प्रजाति– अफरीकन टाल) तथा लोबिया की बुवाई कर सकते है।
किसान बेबी कॉर्न की एच.एम.-4 किस्म की भी बुवाई इस समय की जा सकती हैं। सरसों एवं तोरिया फसल की करें कटाई संस्थान द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि पूरी तरह से पकी हुई तोरिया या सरसों की फसलों को जल्द से जल्द काट लें। 75-80 प्रतिशत फली का रंग भूरा होना ही फसल पकने के लक्षण हैं। फलियों के अधिक पकने की स्थिति में दाने झड़ने की संभावना होती है। अधिक समय तक कटी फसलों को सुखने के लिए खेत पर रखने से चितकबरा बग से नुकसान होता है अतः वे जल्द से जल्द गहाई करें। गहाई के बाद फसल अवशेषों को नष्ट कर दें, इससे कीट की संख्या को कम करने में मदद मिलती है।
फसलों को कीट रोगों से बचाने के लिए करें यह उपाय
किसान अभी टमाटर, मटर, बैंगन व चना फसलों में फलों/ फल्लियों को फल छेदक/फली छेदक कीट से बचाव के लिए खेत में पक्षी बसेरा लगाए एवं कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी के लिए 2-3 फिरोमोन प्रपंच प्रति एकड़ की दर से लगाएं।
यदि कीट की संख्या अधिक हो तो बी.टी. 1.0 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें फिर भी प्रकोप अधिक हो तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड कीटनाशी 48 ई.सी. 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। वहीं इस मौसम में बेलवाली सब्जियों और पछेती मटर में चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप की संभावना रहती है। यदि रोग के लक्षण दिखाई दे तो कार्बेन्डाज़िम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। किसान इस मौसम में समय से बोयी गई बीज वाली प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। बीज फसल में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण अधिक पाये जाने पर आवश्यकतानुसार डाईथेन एम-45 2 ग्रा. प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव करें। वहीं किसान आम तथा नींबू में फूल आने के दौरान सिंचाई ना करें तथा मिलीबग व होपर कीट की निगरानी करते रहें।