पिछले 5 सालों में कृषि लागत काफी बढ़ोतरी हुई

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भारत में वर्ष 1970 से 71 में औसतन कृषि लागत 1417. 05 रुपए प्रति हेक्टेयर थी जो की 1981 से 91 के मध्य औसतन 2100. 57 रुपए प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष हो गई. नई आर्थिक नीति लागू होने के पश्चात कृषि लागतों में तेजी से वृद्धि हुई है तथा 1991 से 2001 के दशक में औसतन तीन गुणा बढ़कर 12669. 48 रुपए प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष हो गई. वर्ष 2004 से 2005 में कृषि लागत बढ़कर 19910. 52 रुपए प्रति हेक्टेयर तथा सन 2011 से 12 में यह लागत बढ़कर लगभग 38409 रुपए प्रति हेक्टर हो गई.

पिछले 5 वर्षों में कृषि लागत दुगने से भी अधिक बढ़ गई. 1970 से 71 से 2011 – 12 तक कृषि लागत में लगभग 65 गुना वृद्धि देखी गई है. वर्तमान में तो यह और अधिक तेज गति से बढ़ रही है. वही खाद्यान्न उत्पादन में केवल ढाई गुना वृद्धि हुई है.

कृषि पारिश्रमिक व्यय में हुई तेजी से वृद्धि

वर्ष 1970 – 71 में जो पारिश्रमिक व्यय औसतन 230.56 रुपए प्रति हेक्टेयर था वह सन 1990 व 2001 के दशक में बढ़कर 368. 56 रुपए प्रति हेक्टेयर हो गया. सन 2004 – 05 में बढ़कर 758. 16 रुपए प्रति हेक्टेयर हो गया. सन 2011 – 12 में पारिश्रमिक व्यय लगभग 8 गुना बढ़कर 1642 . 43 रुपए प्रति हेक्टेयर हो गया.

कृषि हेतु पारिश्रमिक व्यय में भी तेजी से वृद्धि हुई है. उर्वरक का उपयोग भी जहां 1970 से 71 में औसतन प्रति हेक्टेयर 100 . 75 रुपए का आता था वह 1990 से 2001 के दशक में बढ़कर प्रतिवर्ष 227.85 रुपए प्रति हेक्टेयर हो गया. इसी प्रकार वर्ष 2004 – 05 में बढ़कर 1716. 84 रुपए तथा 2011 – 12 में बढ़कर 4013 रुपए प्रति हेक्टेयर हो गया.

स्पष्ट है कि उर्वरक के उपयोग में व्यय में भी भारी वृद्धि हुई है. इसी प्रकार वर्ष 1970 से 71 में बीज की लागत 92. 44 प्रति हेक्टेयर व सिंचाई की लागत 83. 99 रुपए प्रति हेक्टेयर आती थी, जो वर्ष 1991 से 2001 के दशक में बढ़कर क्रमशः 289.16 रुपए प्रति हेक्टेयर औसतन प्रतिवर्ष हो गई. सन् 2004 व 05 में भी क्रमशः 1109.1 रूपए व 2034.49 रुपए प्रति हेक्टेयर हो गई. सन् 2011 – 12 में यह बढ़कर 2518 रुपए प्रति हेक्टेयर व 2100 रुपए प्रति हेक्टेयर हो गई. कुल मिलाकर वर्ष 2011 – 12 में कृषि उपज का मूल्य लगभग 3673 रुपए प्रति  हेक्टेयर हो गया जो अधिक लगता के कारण लाभप्रद नहीं था. अधिकांश किसानों के लिए कृषि घाटे की सौदा बन गई है.

कृषि उत्पादन की लागत व कीमतों में उतार चढ़ाव

एन, एस,एस,ओ, का भी अनुमान है कि यदि किसानों को विकल्प मिले तो 42% तक किसान कृषि कार्य छोड़ सकते हैं. कारण है कि किसानों को उनकी लागत ही नहीं मिल रही है. लागत व्यय बढ़ने से देश के किसानों की स्थिति बदतर होती जा रही है.

कृषि लागत से आशय कृषि कार्य के दौरान किसानों द्वारा किए जाने वाला पारिश्रमिक व्यय, बीज, सिंचाई, रसायन, उर्वरक एवं विपणन पर किए जाने वाला व्यय साथ ही औजारों व कार्य भूमि पर मूल्य हास, भू-राजस्व कर, प्रचालन भूमि पर ब्याज व विविध खर्चों का ब्यौरा है.

भारत सरकार वर्ष 1970 से 19 प्रदेशों में प्रमुख फसलों की कृषि लागत योजना का क्रियान्वयन कर रही है. कृषि उत्पादन व आदानों की लागत व कीमतों में समय-समय पर उतार चढ़ाव आता रहता है. कृषि क्षेत्र की लाभदायकता निम्न तथ्यों पर निर्भर करती है. कृषि आदानों की लागत, कृषि उत्पादन कीमत, लागत, कीमत व संबंधित संसाधनों में स्थायित्व आदि पर निर्भर करती है.