प्याज के बाद मक्का पर संग्राम….सरकार जीरो इंपोर्ट ड्यूटी पर मक्का आयात करने का तैयारी में

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अगर जीरो इंपोर्ट ड्यूटी पर मक्का आयात होता है तो बेशक पोल्ट्री इंडस्ट्री को राहत म‍िलेगी लेक‍िन क‍िसान हताश होंगे. साथ ही केंद्र सरकार की उस मुह‍िम को झटका लगेगा ज‍िसके तहत वो इथेनॉल के ल‍िए मक्के का उत्पादन बढ़ाने का काम कर रही है. अगर दाम, इस तरह से ग‍िराए जाएंगे तो क‍िसान मक्के की खेती बढ़ाने की बजाय घटाने में देर नहीं करेंगे. 

प्याज के दाम के मुद्दे पर स‍ियासी झटका खाने के बाद भी बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने सबक नहीं ल‍िया है. इसील‍िए अब पोल्ट्री इंडस्ट्री की मांग पर मक्के का दाम ग‍िराने की कोश‍िश शुरू हो गई है. सरकार जीरो इंपोर्ट ड्यूटी पर मक्का आयात करने का तैयारी में जुट गई है. इसी स‍िलस‍िले में पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की सच‍िव ने खाद्य सच‍िव को एक पत्र ल‍िखा है. इस पत्र पर अमल हुआ तो मक्का आयात होगा और उसका सीधा असर क‍िसानों की जेब पर पड़ेगा. यानी अब मक्के के दाम पर संग्राम होगा. ब‍िहार क‍िसान मंच ने सरकार के ख‍िलाफ मोर्चा खोलने का एलान क‍िया है. मंच का एक प्रत‍िन‍िध‍िमंडल इस मामले को लेकर केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री ललन स‍िंह से मुलाकात करेगा. 

मक्के की बड़े पैमाने पर हर‍ियाणा और महाराष्ट्र में भी खेती होती है. दोनों सूबों में व‍िधानसभा चुनाव स‍िर पर हैं. ऐसे में अगर सरकार ने पोल्ट्री इंडस्ट्री के ह‍ितों का ध्यान रखने के ल‍िए मक्के का दाम ग‍िराया तो क‍िसान नाराज होंगे, ज‍िसका खाम‍ियाजा बीजेपी को चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. क्योंक‍ि दाम के मुद्दे पर प‍िछले 162 द‍िन से शंभू बॉर्डर पर क‍िसान केंद्र के ख‍िलाफ आंदोलन कर रहे हैं. कुछ नौकरशाह, ‘मक्का आयात’ के तौर पर आंदोलनकारी क‍िसानों के हाथ में एक और हथ‍ियार देने जा रहे हैं, ज‍िसके जर‍िए वो साब‍ित कर सकते हैं क‍ि सरकार को इंडस्ट्री की फ‍िक्र है लेक‍िन क‍िसानों की नहीं. 

इथेनॉल वाली मुह‍िम को लगेगा झटका

अगर जीरो इंपोर्ट ड्यूटी पर मक्का आयात होता है तो बेशक पोल्ट्री इंडस्ट्री को राहत म‍िलेगी लेक‍िन क‍िसान हताश होंगे. साथ ही केंद्र सरकार की उस मुह‍िम को झटका लगेगा ज‍िसके तहत वो इथेनॉल के ल‍िए मक्के का उत्पादन बढ़ाने का काम कर रही है. अगर दाम, इस तरह से ग‍िराए जाएंगे तो क‍िसान मक्के की खेती बढ़ाने की बजाय घटाने में देर नहीं करेंगे. इसका ट्रेलर सरकार प्याज के मामले में देख ही चुकी है. लगातार कम दाम से परेशान क‍िसानों की प्याज की खेती कम कर दी है. सरकारी र‍िपोर्ट में इस बात की तस्दीक हो चुकी है.

पोल्ट्री इंडस्ट्री के दबाव में सरकार 

स्वाभ‍िमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने कहा क‍ि सरकार पोल्ट्री इंडस्ट्री के दबाव में क‍िसानों को नुकसान पहुंचाने जा रही है. जबक‍ि क‍िसानों की आर्थ‍िक स्थ‍ित‍ि पहले से ही बहुत खराब है, उन्हें और आर्थ‍िक चोट देकर अमीरों को और फायदा पहुंचाने की कोश‍िश हो रही है, ज‍िसका पुरजोर व‍िरोध क‍िया जाएगा. वो सरकार को इस तरह की कोश‍िश बंद करने के ल‍िए पत्र ल‍िख रहे हैं. सरकार नहीं मानी तो व‍िधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बनाया जाएगा. क्योंक‍ि देश में क‍िसान एमएसपी से भी कम दाम पर मक्का बेच रहे हैं. अगर ऐसी स्थ‍ित‍ि में भी आप इंपोर्ट करेंगे तो उनकी स्थ‍ित‍ि और खराब होगी.  

क‍िसान मंच ने दी चेतावनी 

बिहार किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह टुडू ने कहा क‍ि मक्का उत्पादक क‍िसान सरकारी नीत‍ियों से परेशान हैं. अगर सरकार आयात करती है तो इससे भारत के क‍िसानों को सीधे तौर पर नुकसान होगा और संगठन इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगा. पूरे राज्य में सरकार के ख‍िलाफ प्रदर्शन होगा. ब‍िहार भारत का प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य है. हालांकि हम लोग सबसे पहले ललन स‍िंह से म‍िलकर अपनी बात रखेंगे, क्योंक‍ि वो ब‍िहार के रहने वाले हैं और उन्हीं के मंत्रालय की सच‍िव ने जीरो इंपोर्ट ड्यूटी पर मक्का आयात करने के ल‍िए खाद्य सच‍िव को पत्र ल‍िखा है.

टुडू ने कहा क‍ि यहां के क‍िसानों को बहुत मुश्क‍िल से मक्का का सही दाम म‍िलना शुरू हुआ है. इस समय मक्का की एमएसपी 2225 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है, जबक‍ि 2300 से 2400 रुपये तक का भाव ओपन मार्केट में म‍िल रहा है. पोल्ट्री इंडस्ट्री को इतने में ही परेशान नहीं होना चाह‍िए. क‍िसान तो कई साल तक 1100 से 1500 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक के ही दाम पर मक्का बेचते रहे हैं, लेक‍िन उनकी आर्थ‍िक मदद के ल‍िए सरकार कभी आगे नहीं आई.

व‍िरोध करें कृष‍ि मंत्री

मध्य प्रदेश के क‍िसान नेता राहुल राज ने कहा क‍ि मक्का आयात करने का कोई भी फैसला क‍िसानों को आर्थ‍िक नुकसान पहुंचाएगा. राज्य में 15 लाख हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है. हमारे देश के कृष‍ि मंत्री श‍िवराज स‍िंह चौहान मध्य प्रदेश से ही आते हैं. उन्हें इस तरह की कोश‍िशों का खुलकर व‍िरोध करना चाह‍िए, ताक‍ि क‍िसानों को आर्थ‍िक नुकसान न हो. क‍िसान इसील‍िए एमएसपी की लीगल गारंटी मांग रहे हैं ज‍िससे क‍ि इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के खेल से उन्हें नुकसान न हो. उन्हें उनकी फसल का सही दाम म‍िलता रहे.

क‍ितना है दाम

भारत मक्का का बड़ा एक्सपोर्टर रहा है, लेक‍िन प‍िछले साल इसका एक्सपोर्ट नहीं हुआ है, क्योंक‍ि घरेलू खपत बढ़ गई है. कुल कृष‍ि उपज एक्सपोर्ट में मक्के की ह‍िस्सेदारी करीब चार फीसदी हुआ करती थी. बहरहाल, केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय की र‍िसर्च र‍िपोर्ट के अनुसार 1 से 24 जुलाई के बीच देश में मक्के का दाम 2172.6 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा, जो एमएसपी से भी कम है. केंद्र ने 2024-25 के ल‍िए मक्का का एमएसपी 2225 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तय क‍िया है,  ऐसे में सवाल यह उठता है क‍ि जब दाम एमएसपी से कम है तो फ‍िर क‍िस आधार पर आयात करने की कोश‍िश की जा रही है. जबक‍ि, अगर मक्के का दाम एमएसपी से बहुत ज्यादा है तब जाकर इंपोर्ट पर व‍िचार करना चाह‍िए.