धूप, अगरबत्ती के बाद अब गाय के गोबर से साबुन भी तैयार हो गया है। कंडाघाट विकास खंड की देलगी पंचायत की महिलाओं ने गाय के गोबर से नहाने और कपड़े धोने का साबुन बनाया है। यही नहीं, शैंपू और वाशिंग पाउडर भी महिलाओं की ओर से निर्मित किया गया है। इस सामान की बाजार में मांग बढ़नी शुरू हो गई है। खास बात यह है कि तैयार किया गया वाशिंग पाउडर की पैकिंग भी काफी आकर्षक बनाई गई है। इसी के साथ गाय के गोबर से मूर्तियां, लक्ष्मी पांव समेत हवन सामग्री का भी उत्पादन महिलाएं कर रही हैं। इसके लिए मात्र सांचे का प्रयोग किया जा रहा है और चंद मिनट में साबुन और मूर्तियां तैयार हो रही हैं।कंडाघाट विकास खंड की देलगी पंचायत की महिलाओं ने गाय के गोबर से नहाने और कपड़े धोने का साबुन बनाया है।
हैरत की बात तो यह है कि सामान को तैयार करने के लिए महिलाएं कच्चा माल भी स्वयं बना रही हैं। इसके लिए अलग-अलग जड़ी-बूटियां भी मिलाई जा रही हैं। गौर रहे कि गाय के गोबर से महिलाएं धूप, अगरबत्तियां आदि पहले से तैयार कर रही थीं। लेकिन अब महिलाओं ने स्वरोजगार को बढ़ावा देते हुए कई अन्य प्रकार के उत्पाद बनाने भी शुरू कर दिए है। बीते वर्ष से पंचायत देलगी के कोठी गांव की स्वयं जागृति सहायता समूह की महिलाओं ने नया तरीका भी निकाला है। साथ ही सिद्ध कर दिया है कि गाय के गोबर को व्यर्थ फेंकने के बजाय इससे कई उत्पाद निर्मित किए जा सकते हैं।
डेढ़ साल पहले लिया था प्रशिक्षण
स्वयं जागृति सहायता समूह की प्रधान मीरा ने बताया कि उन्होंने यह प्रशिक्षण डेढ़ वर्ष पहले ही लिया है। इसके बाद से वह उत्पादों को तैयार करने में महिलाओं के साथ जुटी हुई हैं। मुख्य उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि दूध और घी ही गाय का प्रयोग में नहीं आता, बल्कि गोबर भी काम आता है। उन्होंने बताया कि गो माता की रक्षा भी हमारा पहला कर्तव्य है। गाय दूध आदि देना बंद कर दे तो लोग उसे बाजार में छोड़ देते हैं, जबकि यह करना गलत है।