आम के बागों में लगी नई गंभीर बीमारी, इस बार 10 फीसदी तक गिर सकती है पैदावार

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तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले में इस बार आम का उत्पादन पर असर पड़ेगा. यहां के करीमंगलम में कई आम के बाग हॉपर कीटों से संक्रमित पाए गए हैं. जबकि बागवानी अधिकारियों ने संक्रमण से निपटने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करने की सलाह दी है. ऐसे में किसानों को लग रहा है कि आगामी सीजन में आम का उत्पादन प्रभावित हो सकता है. इससे आम की कीमतों में बढ़ोतरी भी हो सकती है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, करीमंगलम में 2,500 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ घना आम का बगीचा है. आसपास के किसान 30 से अधिक प्रकार के आमों की खेती करते हैं. साथ ही स्थानीय खेतों में उत्पादित आम का निर्यात जिले के बाहर भी किया जाता है. हालांकि, हाल के दिनों में किसानों ने देखा कि आम के फूल मुरझा रहे हैं और गिर रहे हैं. साथ ही कच्चे आम पेड़ पर ही सड़ने लगे हैं. एक जांच में पाया गया कि इसका कारण मैंगो हॉपर है.

हॉपर है आम में लगने वाली गंभीर बीमारी 

दरअसल, हॉपर आम का एक गंभीर कीट है, जो कोमल भागों का रस निकाल लेता है, जिससे फूलों को नुकसान पहुंचता है और फल झड़ जाते हैं. हॉपर अक्सर फरवरी में दिखाई देते हैं, जब आम के पेड़ों पर फूल आने लगते हैं. हॉपर संक्रमण से फसल को भारी नुकसान होता है. टीएनआईई से बात करते हुए, करीमंगलम के किसान के मुरुगेसन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में आम की खेती बेहद कठिन हो गई है. असामयिक या कम बारिश और अब कीटों के हमले ने भारी तबाही मचाई है. वृक्षारोपण का प्रबंधन करना बेहद कठिन होता जा रहा है. इसके अलावा बढ़ती कीट समस्याओं के कारण, पेड़ों की रक्षा करना लगभग असंभव है.

इस तरह आम के बाग को करते हैं प्रभावित

कीट आमतौर पर पेड़ों से पोषक तत्व छीन लेते हैं और कच्चे आम को प्रभावित करते हैं. हमें उम्मीद है कि आम का मौसम शुरू होते ही सूखे और कीटों के हमले से लगभग 10 प्रतिशत नुकसान होगा. पलाकोड के एक अन्य किसान आर मुनिराज ने कहा कि हॉपर कीट बगीचे में तेजी से फैलता है. आमतौर पर वे रस को चूस लेते हैं जो प्रकाश संश्लेषण में बाधा डालता है, जिससे पत्ती या शाखा मुरझा जाती है. यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो यह संभावित रूप से पूरे क्षेत्र को नष्ट कर सकता है. इसके साथ ही हीटवेव के कारण बगीचों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है. इससे किसानों को नुकसान हो सकता है.

घबराने की नहीं है जरूरत

हालांकि, बागवानी उप निदेशक फातिमा ने कहा कि हमने संक्रमण के केवल मामूली हिस्से देखे हैं और चिंता का कोई कारण नहीं है. किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है. हमने प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाया है और किसानों को सचेत किया है. हमने हॉपर से निपटने के लिए आवश्यक तरीके और रसायन भी निर्धारित किए हैं. हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं.