गांवों में 300 रु और शहरों में 3 हजार रु प्रति किलो बिकते हैं ये बीज

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खेती से कई किसान जुड़े हैं, लेकिन अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरह की खेती की जाती है, जिसमें कई किसान ऐसे भी हैं जो जंगल के आसपास रहते हैं, जंगल क्षेत्र होने की वजह से जमीन भी अच्छी नहीं है, लेकिन प्रकृति ऐसे किसानों पर भी मेहरबान है, जिसमें आज हम छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के जंगलों के आसपास के किसानों की बात करेंगे, जो चिरौंजी बेचकर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।

लेकिन उनमें से ज्यादातर शहर तक नहीं पहुंच पाते, जिसकी वजह से उन्हें उनकी मेहनत के मुताबिक कीमत नहीं मिल पाती। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पास घने जंगलों में चिरौंजी के पेड़ हैं और चिरौंजी सेहत के लिए फायदेमंद होती है, इसलिए वे चिरौंजी के बीज बेचकर अपना गुजारा करते हैं।

कीमत 300 से 3000 प्रति किलो

चिरौंजी खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इसमें फाइबर और प्रोटीन समेत कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। चिरौंजी का स्वाद भी अच्छा होता है, इसलिए लोग इसे आसानी से खा लेते हैं। चिरौंजी के पेड़ों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती। अगर इसकी कीमत की बात करें तो गांव के आसपास के मंडियों में किसानों को ₹200 से ₹300 प्रति किलो चिरौंजी मिल जाती है।

वहीं अगर शहरों की बात करें तो इसकी कीमत ₹3500 से ₹4000 तक हो जाती है, जिसमें बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और उड़ीसा के कई जगहों पर चिरौंजी ₹4000 प्रति किलो तक मिल जाती है।

ऐसे में किसानों को फायदा होता है, लेकिन इसके लिए बड़े बाजार से संपर्क होना चाहिए। अगर जशपुर के आसपास के जंगलों के किसानों की बात करें तो ज्यादातर इसे गांव में ही बेच पाते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं होता, लेकिन यह एक अच्छा जरिया है।

कैसे की जाती है खेती?

चिरौंजी की खेती बहुत आसानी से की जा सकती है, इसके लिए जलनिकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है। बुवाई से पहले बीज उपचारित करें। अच्छे अंकुरण के लिए फल के अंदर के बीज आसानी से बाहर आ जाने चाहिए। ताजा बीज अंकुरण के लिए अच्छे माने जाते हैं। बुवाई से पहले बीजों को 24 से 48 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। चिरौंजी की पैदावार किसानों को गर्मियों में मिलती है। एक से दो महीने की यह फसल किसानों को अच्छा मुनाफा देती है।

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