चने के नए बीज में मालामाल करने की ताकत, हाथ नहीं हार्वेस्टर से होगी कटाई

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खरीफ सीजन की फसल आखिरी चरण में है और किसान रबी सीजन की फसल की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में अगर आप चने की फसल की खेती करने का मन बना रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है. चने की जो किस्म बताने जा रहे हैं वो आपका न केवल पैसा बचाएगी बल्कि फसल नुकसान से भी बचाएगी और पैदावार भी बंपर होगी. इस फसल की कटाई के लिए आपको परेशान नहीं होना होगा.

चने की इस किस्म की होगी हार्वेस्टर से कटाई

चने की खेती में अक्सर किसानों को बहुत परेशान होते देखा जाता है. आज के समय में मजदूर मिलना बड़ी समस्या है और जब चने की फसल पककर तैयार होती है तो उसकी कटाई के लिए मजदूर चाहिए होते हैं. बता दें कि चने की फसल की कटाई हाथ से ही होती है हार्वेस्टर से नहीं होती है. ऐसे में कई बार समय पर मजदूर नहीं मिल पाते हैं. इससे कई बार ऐसा भी होता है कि किसानों की फसल भी कई दिनों तक खेत में ही खड़ी रहती है और खेत पर ही झड़ जाती है. अब चने की 2 नई किस्में आई हैं. इससे किसानों को परेशान नहीं होना पड़ेगा. अब किसान अपने चने की फसल को भी हार्वेस्टर से कटवा सकते हैं और मजदूरों की समस्या से निजात मिल जाएगी.

चने की 2 नई किस्म के बारे में जानिए

कृषि वैज्ञानिक डॉ बीके प्रजापति बताते हैं कि “अभी चने की जो 2 नई किस्में आई हैं, इन्हें जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और राजमाता विजया राजे कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर ने विकसित किया है. चने की एक किस्म है JG24, इसे जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित किया है और दूसरी किस्म है RVG204, इसे राजमाता विजया राजे कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर ने विकसित किया है.”

चने की नई किस्म की खासियत

चने की इन दोनों ही नई किस्मों की ऊंचाई की बात करें तो ये लगभग ढाई से 3 फीट ऊंचाई पर होती हैं और इसकी इतनी ही हाइट होती है. इसके दाने जो होते हैं ऊपर की ओर होते हैं वहीं पुराने चने के पौधे की बात करें तो उसकी ऊंचाई डेढ़ से 2 फीट की होती है और उसमें दाने नीचे की ओर बनते हैं. ऐसे में जो नई किस्म JG24 और RGV204 है, इसमें दाने ऊपर की ओर बनते हैं ऊंचाई ढाई से 3 फिट की होती है.

‘चने की नई किस्म में लागत भी कम’

कृषि वैज्ञानिक डॉ बीके प्रजापति बताते हैं कि “चने की दोनों नई किस्मों की बात करें तो, इस चने के फसल की अवधि 110 से 115 दिन के बीच की होती है. दाने ऊपर की ओर बनते हैं इस कारण इसकी कटाई भी हार्वेस्टर के माध्यम से कराई जा सकती है. नवंबर का महीना चने की बुवाई के लिए उचित होता है. इन किस्मों में चने की फसल में लगने वाली उकठा बीमारी के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है. हमारे क्षेत्र में चने की फसल में ये समस्या बहुत ज्यादा देखी जाती है. ऐसे में ये किस्म इस क्षेत्र के लिए बहुत ही बेहतर है. चने की इन किस्मों को अगर लगाते हैं तो इसमें लागत कम लगेगी.”

यहां मिलेगा बीज

अगर आप चने की इन दोनों किस्मों को लगाना चाहते हैं तो शहडोल जिले में आपको चने के ये दोनों बीज मिल जाएंगे. किसान इन बीजों को शासकीय संस्था बीज निगम से ले सकते हैं.

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