मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पर्यावरण संरक्षण और भूमि की उर्वरता बनाए रखने के लिए बड़ा फैसला लेते हुए चेताया है कि 1 मई 2025 से खेतों में नरवाई जलाने वाले किसानों को किसी भी प्रकार की सरकारी कृषि योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इसके साथ ही अगली खरीफ फसल का एमएसपी पर उपार्जन भी नहीं किया जाएगा। यह फैसला वायु प्रदूषण की रोकथाम और हरित प्रदेश निर्माण के उद्देश्य से लिया गया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि नरवाई जलाने की घटनाओं पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि 1 मई 2025 से यदि कोई किसान अपने खेत में नरवाई जलाता है, तो उसे न केवल मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि उससे अगली खरीफ फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उपार्जन भी नहीं किया जाएगा। यह निर्णय पर्यावरण सुरक्षा, वायु प्रदूषण रोकथाम और भूमि की उर्वरकता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान डॉ. यादव ने यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि खेतों में आग लगाने से भूमि में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और पर्यावरण को भारी क्षति होती है।
बैठक में मुख्यमंत्री ने शासकीय भूमि, तालाब, बावड़ियों और सार्वजनिक रास्तों से अतिक्रमण हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने जल गंगा संवर्धन अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करने, जल स्रोतों को अभिलेखों में दर्ज करने और उन्हें अतिक्रमण मुक्त कराने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने साइबर तहसील परियोजना की भी सराहना की, जिसके अंतर्गत अब तक लाखों राजस्व प्रकरणों का डिजिटली निराकरण हुआ है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत अब तक 80 लाख से अधिक लंबित प्रकरणों का निपटारा हो चुका है।
राजस्व महाअभियान 3.0 के तहत 29 लाख से अधिक प्रकरणों का निपटारा किया गया है, जिससे जनता को तेज और पारदर्शी सेवा मिली है। डॉ. यादव ने कहा कि इस सफलता को देखते हुए वर्ष में दो बार इस तरह के अभियान चलाए जाने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा, मध्यप्रदेश स्वामित्व योजना और फार्मर रजिस्ट्री में देश में अग्रणी स्थान पर है। राज्य में अब तक 80 लाख से अधिक किसान पंजीकृत हो चुके हैं और उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि एवं मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ मिल रहा है।