मौसम में नमी की मार चना और मटर पर पड़ रही है। 11 डिग्री सेल्सियस तापमान और 70 फीसदी तक नमी ने दोनों फसलों को बीमार कर दिया है। चना पर इल्ली तो मटर पर फलीछेदक और झुलसा का असर दिखने लगा है। फसलों पर फलियां लगती देख किसान कीटनाशक के प्रयोग को लेकर दुविधा में हैं। किसानों को खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्णकुंचित पौधे को उखाड़कर गड्डे में डालकर मिट्टी से ढंक दे।
फसल के आस-पास या जाल के रूप में गेंदे को रोपे।
परभक्षी पक्षियो को आकर्षित करने के लिए टी आकार के बास के डंडे 15 नग प्रति एकड़ गाडे़।
फरवरी माह में चने में इल्ली का प्रकोप बढ़ गया है। गहरे भूरे रंग का यह कीट मुलायम और हरे पौधे को खाता है। यह कीट रात में पौधे पर अटैक करता है। सुबह तक तने को खाकर गिरा देता है। फसलों पर इल्ली की रोकथाम के उपाय के लिए खेतों में पानी लगा दें। इल्लियां तैरकर जमीन के ऊपर आ जातीं हैं। जिन्हें पक्षी आसानी से खा लेते हैं। इसके साथ ही दूसरा उपाय भी किसान अपना सकते हैं। शाम के समय खेत में जगह-जगह घास के ढेर लगा दें। रात में बहुत सी इल्लियां घास के नीचे छिप जाती है। जिन्हें सुबह इकट्ठा कर फेंका जा सकता है। किसान फसल में लाईवा एग्रो का शमशीर 1 मिली प्रति लीटर छिड़काव करें आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन बाद दोहरायें।
कीट नियंत्रण के लिए क्विकफास का 1.5 प्रतिशत पाउडर का छिड़काव करें।
मटर को फलीछेदक से बचाने के उपाय
इस मौसम में सफेदा और फलीछेदक फलियों में छेद कर अंदर घुसकर दानों को खाता है। यह कीट फरवरी माह में पौध पर हमलावर हो जाता है। इस कीट से प्रभावित फली को पौधे से अलग कर दें ।मटर की फसल को चूर्णी फफूंद नुकसान पहुंचाता है. इससे बचाव के लिए सल्फर 80 डब्ल्यूएपी 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर देना चाहिए या लाईवा एग्रो का फंजी क्योर1 ग्रामप्रति लीटर . यदि फली छेदक का हमला दिख रहा है तो लाईवा एग्रो का प्रो क्लेम का 0.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर या लाईवा एग्रो का शमशीर 1 मिली प्रति लीटर छिड़काव कर दें. विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार फली छेदक या चूर्णी फफूंद जैसे कीट तेजी से हमला करते हैं तो इसकी उत्पादक 60 से 70 प्रतिशत तक कम हो जाती है. किसान को बड़ा नुकसान होता है.