सुपर सीडर से गेहूं की बुवाई फ़ायदेमंद? पराली की समस्या से भी निज़ात

0
6

कृषि उपकरणों ने यकीनन खेती के कामों को आसान बनाया है। पहले जहां खेत को तैयार करने में, फिर उसकी जुताई करने और फिर बीज डालने और फसल की कटाई करने में कई घंटों का समय लग जाता था, जिससे लागत भी ज़्यादा पड़ती थी, अब समय की बचत के साथ-साथ पैसों की भी बचत हुई है। एक ऐसा ही कृषि उपकरण है सुपर सीडर

धान के बाद किसानों को खेत में गेहूं बोना पड़ रहा है। धान की ठूंठ का कोई समाधान नहीं होने के कारण उन्हें जलाना पड़ रहा है। पराली जलाने पर कानूनी रोक के बावजूद उचित विकल्प के अभाव में पराली जलाने में कमी नहीं आई है। पराली जलाने से खेत की मिट्टी इन अवशेषों में पाये जाने वाले महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से वंचित रह जाते हैं। पराली किसान ना जलाए और उनकी खेतों की समय से बुवाई हो, इसके लिए कृषि वैज्ञानिक धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई सुपर सीडर से करने की सलाह दे रहे हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच उत्तर प्रदेश के हेड़ बीपी शाही ने बताया कि इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सुपर सीडर मशीन वरदान की तरह है। इस मशीन के इस्तेमाल से धान की कटाई के बाद खेत में फैले धान के अवशेषों को जलाने की ज़रूरत नहीं होती। सुपर सीडर से धान की ठूंठ को ज़मीन में काटकर उसकी बुआई कर अगली फसल ली जाती है। इसके अलावा, मिट्टी की सेहत में भी सुधार होता है और खाद का खर्च भी कम आता है।

बीज की बुवाई और खेत एक बार में तैयार

डॉ. बीपी शाही ने बताया कि सुपर सीडर से बीज की बुवाई और ज़मीन की तैयारी एक साथ  अच्छी तरह से हो जाती है। ये मशीन सीड प्लांटर और रोटरी टिलर का कॉम्बीनेशन है, जो प्रेस व्हील्स के साथ आती है। सुपर सीडर से गेहूं सहित बीजों को बोया जा सकता है। इसका इस्तेमाल कपास, केला, धान, गन्ना, मक्का इत्यादि की जड़ों और डंठलों को हटाने के लिए किया जाता है। सुपर सीडर कृषि अवशेषों को जलाने से रोकता है और आज के समय की कृषि जरूरतों को पूरा करता है। इसके अलावा, इसमें बीज की किस्मों को बदलने और बीज की बर्बादी को कम करने के लिए डायरेक्ट मॉनिटरिंग सिस्टम भी है। आप इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि इसका इस्तेमाल करना आसान है। इसके अलावा, सुपर सीडर मशीन जुताई, बुआई, मल्चिंग और खाद फैलाने का काम एक साथ करती है।

पराली की समस्या से भी निज़ात

डॉ. शाही ने बताया कि सुपर सीडर मशीन से किसानों को धान की कटाई के बाद गेहूं की बुआई के लिए बार-बार खेत को जोतने की ज़रूरत नहीं पड़ती और न ही पराली को जलाने की ज़रूरत पड़ती है। सुपर सीडर, रोटावेटर, रोलर और उर्वरक ड्रिल से लैस होता है। सुपर सीडर ट्रैक्टर से 12 से 18 इंच की खड़ी ठूंठ की जुताई करने में सक्षम होता है। रोटावेटर पराली को मिट्टी में दबाने, रोलर समतल करने और उर्वरक ड्रिल बीज बोने का काम करती है।

डॉ. बीपी शाही आगे बताते हैं कि किसानों को बिना जूताई सुपर सीडर से सीधे लाइन में गेहूं की बुआई की जाती है। बुआई के समय दी जाने वाली खाद से पौधों को लाभ होगा। इस विधि से बुआई कर किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

उत्पादन में बढ़ोतरी

धान की लंबी अवधि वाली प्रजातियों की कटाई के बाद नहर सिंचित क्षेत्रों में नमी अधिक होने के कारण जुताई एवं बुवाई द्वारा खेत तैयार करने में देर होती है जिससे उत्पादन भी कम होता है। डॉ. शाही ने कहा कि धान की फसल की कटाई के बाद खड़ी ठूंठ में बिना जुताई के पंक्तियों से बुआई करने से लागत कम लगती है। साथ ही डेढ़ गुना अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। परती खेतों में बुआई करने से सिंचाई के पानी की बचत होगी और खरपतवार कम होंगे। कतार में बोते समय बीज अंतराल पर एक निश्चित गहराई पर गिरता है। एक एकड़ के लिए 40 किलो गेहूं के बीज और 50 किलो डीएपी की ज़रूरत होती है।

इस मशीन से लाइन में खाद और बीज का उचित प्लेसमेंट किया जाता है। इसलिए उत्पादन बढ़ता है। बुवाई पांच सेंटीमीटर की गहराई पर की जाती है। इसलिए जड़ का विकास अच्छा होता है। फरवरी महीने में जब गर्म हवा चलती है तो सिंचाई करने पर फसल नहीं गिरती, इतना ही नहीं, लाइन में आसानी से फसल की बोई की जा सकती है। लागत में चार हज़ार प्रति हेक्टेयर की कमी कर बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही गेहूं की बुवाई कम समय और कम खर्च के साथ-साथ अधिक उत्पादन मिलता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here