कई फसलों को शीतलहर से होता है फायदा 

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देशभर में कई महीनों से लंबे समय तक गर्मी की मार झेलने के बाद अब कड़ाके की ठंड का दौर शुरू हो गया है. हालांकि, अभी दिन के समय तापमान 20 से 24 डिग्री सेल्सियस ही दर्ज किया जा रहा है, लेकिन रात में अब पारा 5 डिग्री से नीचे रहने लगा है. जम्‍मू-कश्‍मीर, राजस्‍थान, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश, कच्‍छ और सौराष्‍ट्र आद‍ि जगहों पर शीतलहर चल रही है. ऐसे में यहां के किसानों को अपनी फसल को शीतलहर से बचाने की सलाह दी जाती है. पाले से पौधों के फूल झुलसकर गिरने, पत्तियां बदरंग होने, फलीदार फसलों की फलियों और बालियों में दाने नहीं बनने और दानों के सिकुड़ने, फलों का अधपका रहकर सिंकुड़ना, उनमें झांरिया पड़ने के कारण पैदावार घटने का खतरा रहता है.

कई फसलों को शीतलहर से होता है फायदा

हालांकि, कई फसलें ऐसी होती हैं, जिन्‍हें शीतलहर से नुकसान न होकर फायदा ही होता है. हालांकि फि‍र भी थोड़ी देख-रेख और सावधानी की जरूरत होती है. शीतलहर के दौरान फसलों में पाला पड़ने और कई रोग फैलने का खतरा रहता है. हालांकि, गेहूं, अरहर, सरसों, चना, मटर, अलसी, गन्ना आदि पर शीतलहर का ज्यादा प्रभाव नहीं होता है.

कृषि एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक, सरसों और गेहूं फसल को शीतलहर से कहीं न कहीं फायदा ही होता है. इससे इन फसलों की पैदावार बढ़ने की संभावना रहती है. लेकिन, गेहूं को छोड़कर सरसों और अरहर समेत अन्‍य फसलों को लगातार कई दिनों तक चलने वाली शीतलहर से नुकसान हो सकता है. 

फल-सब्जियों की फसल पर ज्‍यादा असर

शीतलहर का सबसे ज्‍यादा बुरा असर फल और सब्जियों की फसल पर पड़ता है. ऐसे में इनका बचाव बेहद ही जरूरी होता है. आलू, भिंडी, गोभी, बैंगन, मूली, टमाटर जैसी फसलों पर पाला पड़ने की आशंका रहती है. इसके अलावा फलों में पपीता और केले की फसल को भी पाला लगने की संभावना रहती है. ऐसे में इनका शीतलहर से बचाव बेहद जरूरी होता है. जीरा, धनिया, सौंफ़, अफ़ीम आदि फसलों में भी पाला पड़ सकता है, जिससे भारी नुकसान की आशंका बनी रहती है.

इन उपायों से करें फसलों का बचाव

फसलों को कई प्रकार के उपाय कर पाला से बचाया जा सकता है. किसान सिंचाई, दवाओं के छिड़काव और फसलों को प्‍लास्टिक कवर, फूस की पुआल या जूट के हल्‍के बोरे आद‍ि से ढंककर पाला से बचा सकते है. लेकिन, ढंकते समय यह सुनिश्‍च‍ित करना जरूरी है कि पौधों पर ज्‍यादा वजन न पड़ रहा हो. ऐसा करने से मिट्टी का तापमान कम नहीं होता और नुकसान होने से बच जाता है. हालांकि, फसलों को ढांकने के लिए प्‍लास्टिक कवर महंगा किसानों को महंगा सौदा लगता है. ऐसे में उनके लिए अन्‍य सुझाव कारगर साबित हो सकते हैं.

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