एग्री सेक्टर की फंडिग जरूरतें पूरी कर रहा ‘किसानधन’

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ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं और पुरुषों के कृषि से जुड़े कारोबार को बढ़ाने में वित्तीय मदद की जरूरत को पूरा करने के लिए एग्री फाइनेंस NBFC कंपनी किसानधन तेजी से काम कर रही है. 30  हजार से अधिक ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 10 हजार रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक लोन राशि देकर उनके कामकाज को बढ़ाने में मदद की है. इसके अलावा यह कंपनी किसान संगठनों (FPO), व्यक्तिगत किसानों, एग्री प्रॉसेसिंग यूनिट, कमोडिटी ट्रेडर्स को भी लोन सुविधा देती है. किसानधन ने अब तक करीब 5 लाख से अधिक किसानों, ट्रेडर्स को कुल 2900 करोड़ रुपये तक की लोन राशि डिस्बर्स की है. किसानधन के सीईओ गुरिंदर सिंह शेंबे ने इंडिया टुडे ग्रुप के विशेष बातचीत में किसानों-ग्रामीणों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के प्रयासों, भविष्य की योजनाओं से जुड़े सवालों पर खुलकर जवाब दिए. यहां पढ़िये सवाल-जवाब का सिलसिला- 

आप किसानों और ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की वित्तीय मदद कैसे करते हैं? इसके लिए प्रक्रिया क्या है? 

गुरिंदर: हमने 2014 में किसानधन की शुरुआत की थी. यह सोहनलाल कमोडिटी की सहायक कंपनी है, जो कमोडिटी वेयरहाउसिंग सॉल्यूशन देती है. हम उन किसानों की मदद कर रहे हैं, जिन्हें बैंक से लोन नहीं मिल पाता है. हम महिला उद्यमियों के आर्थिक विकास पर बहुत प्रयास करते हैं और अपनी सहायक कंपनियों, सर्विस प्रोवाइडर के जरिए उन तक पहुंचते हैं. हमारा प्रतिनिधि किसान से मिलता है और उनकी समस्या और आवश्यकता को समझता है कि उन्हें किस तरह का और कितना लोन चाहिए. इसके साथ ही लोन के बाद उनकी संभावित कमाई और ब्याज भुगतान और योग्यता का पहलू भी ध्यान में रखा जाता है. हम केवल उन लोगों को लोन राशि देंते हैं जो उसे अपने कामकाज के विस्तार या व्यवसाय में लगाते हैं और अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं. 

हम उन्हें पहचानते हैं, उनका मूल्यांकन करते हैं और सीधे उनके खाते में पैसे डालते हैं. इसके बाद नियमित आधार पर उनसे मिलते हैं, फॉलोअप करते हैं कि काम ठीक चल रहा है या नहीं. उन्हें जो भी सहायता चाहिए, उसके अनुसार काम करते हैं. हम अब तक 30,000 से ज्यादा महिला उद्यमियों को लोन राशि देकर मदद की है और हमारी बहुत अच्छी रिकवरी हुई है. हमें लोन पेमेंट में कोई डिफॉल्ट जैसी बात नहीं दिखती. 

आप एक ग्राहक को कितना पैसा लोन के रूप में दे सकते हैं? और उसके लिए मानक क्या हैं?

गुरिंदर: यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी जरूरत कितनी है. जो अनसिक्योर्ड लोन होते हैं, वो छोटी राशि से शुरू होते हैं, जैसे हम एक ग्रुप बनाते हैं और किसी को देते हैं, जिसे हम माइक्रो लोन कहते हैं. उसमें हमारा लोन 10,000 रुपये से शुरू होता है और हमारा मिनिमम एवरेज टिकट साइज 35,000 रुपये है. अगर हम किसी महिला किसानों के समूह को 20,000 या 30,000 रुपये देते हैं तो उनका अच्छा प्रदर्शन रहा है. वह लगभग 12 से 18 महीने या 2 साल के टेन्योर के भीतर रकम वापस कर देते हैं. ऐसे में हम अधिकतम एक व्यक्ति को 1,25,000 की लोन राशि देते हैं. 

उदाहरण के लिए यदि कोई कृषि उत्पाद संगठन एफपीओ आता है तो उन्हें माल को रखने या स्टॉक रखने के लिए पैसे की जरूरत होती है. ऐसे में हमारा लोन राशि का टिकट साइज थोड़ा ज्यादा है. उसमें हम आमतौर पर 4-5 करोड़ रुपये तक जाते हैं. लेकिन, हमारा जो मास लोअर एंड प्रोडक्ट माइक्रो लोन है. उसमें हमारा औसत टिकट साइज लगभग 30,000-35,000 रुपये होता है और हमारी ब्याज दर 15-16 फीसदी से शुरू होकर लगभग 25-30 फीसदी के आसपास तक रहती. यह लोन राशिधारक की स्थिति, उसके कैश फ्लो, उसके सीबिल स्कोर पर निर्भर भी करता है. हमें यह भी देखना पड़ता है कि उसने और लोन लिया है या नहीं. अगर उसने और लोन लिया है तो हम उससे बचते हैं. 

क्या आप लोन देने के बदले गारंटी के तौर किसानों से कुछ गिरवी रखवाते हैं या डॉक्यूमेंट लेते हैं?

गुरिंदर: लोन राशि देने के लिए हम डॉक्यूमेंटेशन में मूल रूप से लोनधारक का केवाईसी देखते हैं. यानी आधार कार्ड या उनका राशन कार्ड आदि डॉक्यूमेंट लेते हैं. यह चेक करते हैं कि वह असल में लोन लेने के लिए उपयुक्त ग्राहक हैं. उसके आधार पर हम केवाईसी के बुनियादी मानदंडों को पूरा करते हैं. इसके अलावा हम उनसे कोई भी संपत्ति गिरवी (Collateral Assets) नहीं रखवाते हैं.  हमने महिलाओं को जो 30,000-40,000 रुपये के लोन दिए दिए हैं जो पूरी तरह से असुरक्षित हैं. इसमें हम कोई कोलैटरल सुविधा नहीं लेते हैं.

कोई महिला या किसान लोन राशि लेने के लिए आपसे कैसे संपर्क करता है या आप ग्राहक तक कैसे पहुंचते हैं? 

गुरिंदर: हमने बाजार यानी ग्रामीण क्षेत्र में कुछ ऋण सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ टाइअप किया है. हमारे पास अपने कुछ डायरेक्ट संसाधन भी हैं, जो आसपास के इलाकों में नियमित रूप से विजिट करते हैं और देखते हैं कि क्या कोई संभावित किसान या महिला उद्यमी हैं, जो अपने कामकाज या व्यवसाय का विस्तार करना चाहते हैं. एक बार जब पहचान हो जाती है तो वे उनकी जरूरतों को समझते हैं और फिर वे ऐसे समूह बनाकर हमारी कंपनी से संपर्क करते हैं. 

उदाहरण के लिए एक 7 महिलाओं का समूह है या 10 महिलाओं का समूह है, जिन्हें इतने लोन की जरूरत है और वे इस व्यवसाय में हैं और वे इस तरह से काम करना चाहती हैं. तो, हम उसका क्षेत्रवार मूल्यांकन करते हैं. हमारे किक स्टार्ट लेवल पर ग्राउंड पर सर्विस प्रोवाइडर हैं, जो हमेशा ग्राहकों के संपर्क में रहते हैं. फिर हमारे प्रतिनिधि या सर्विस प्रोवाइडर के प्रतिनिधि उनसे साप्ताहिक आधार पर मिलते हैं और उनकी प्रगति रिपोर्ट हमें नियमित आधार पर भेजी जाती है.

आप जन समृद्धि लोन प्रोडक्ट ला रहे हैं, इसके अलावा आप नया क्या कर रहे हैं? महिला किसानों के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं

गुरिंदर: हमने यह समझा कि जब हम उद्यमियों से जुड़ते हैं तो कई बार उनकी जरूरत हमें दिख जाती है कि उन्हें लंबी अवधि के लिए रकम की जरूरत है. मान लीजिए कोई प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहता है, अब उसे एक मशीन खरीदनी है जिसकी कीमत 1 लाख या 2 लाख है. अब 2 लाख की मशीन खरीदने के लिए हम बैंक जाते हैं, लेकिन बैंक से उन्हें लोन लेने में दिक्कत होती है क्योंकि उनके पास कोई बैलेंस शीट नहीं होती और न ही उसके पास ऐसे कोई डॉक्यूमेंट होते हैं, जिनके आधार पर वह बिजनेस को फाइनेंस कर सकें. ऐसे में उन्हें लॉन्ग टर्म लोन की जरूरत होती है. लॉन्ग टर्म लोन के लिए हमने राजस्थान से जन समृद्धि लोन शुरू किया है. उसमें हम कोलैटरल जरूर लेते हैं क्योंकि जब भी आप लॉन्ग टर्म लोन करते हैं, तो कोलैटरल की जरूरत होती है. अगर उनके पास कोई प्रॉपर्टी या कोलैटरल है तो हम उस कोलैटरल को अंडरराइट करते हैं और उसके आधार पर लॉन्ग टर्म लोन देना शुरू करते हैं. इसके अलावा हम दूसरे लोन प्रोडक्ट लाने की भी योजना बना रहे हैं, जिसमें बिजनेस से जुड़े वर्किंग कैपिटल लोन, शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म एसेट्स बनाने के लिए लोन सुविधा देने पर काम किया जा रहा है. हम इसे बहुत जल्द ही बाजार में उतारेंगे.