गेहूं की किस्म करण वंदना से कैसे लें बंपर कमाई

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भारत में धान के बाद गेहूं ही लोगों का मुख्य भोजन है, इसलिए इसका अधिक उत्पादन किया जाता है। पूरे विश्व में गेहूं उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर है। देश के कृषि वैज्ञानिक गेहूं की उन्नत किस्मों पर काम करते रहते हैं। इन्हीं में से एक किस्म करण वंदना के बारे में हम आपको बताएंगे।

बिना रोटी, चपाती या परांठे के उत्तर भारतीयों का भोजन अधूरा है। गेहूं की मांग हमारे देश में बहुत अधिक है और अच्छी बात यह है कि इसके उत्पदान में देश आत्मनिर्भर है। उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और बिहार में  गेहूं की खेती सबसे ज़्यादा की जाती है। कृषि वैज्ञानिक गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए लगातार नई और उन्न्त किस्मों का विकास करते रहते हैं। ऐसी ही एक किस्म है करण वंदना जिसे डीबीडब्ल्यू 187 भी कहा जाता है। इस किस्म से गोरखपुर की महिला किसानों ने बंपर पैदावर करके किसानों को अधिक कमाई की राह दिखाई। इस किस्म को गेहूं एवं जौं अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों ने विकसित किया।

क्या है गेहूं की करण वंदना डीबीडब्ल्यू 187 की ख़ासियत?

  • अन्य गेहूं की किस्मों की तुलना में इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक है। इसके अलावा जैविक रूप से जस्ता, आयरन व अन्य खनिज भी इसमें मौजूद हैं।
  • गेहूं की यह नई किस्म अन्य किस्मों की तुलना में अधिक पैदावार देती है।
  • इसमें कई तरह की बीमारियों से लड़ने की क्षमता है जैसे पीला रतुआ और ब्लास्ट आदि। यानी इस किस्म का गेहूं बोने पर किसानों को फसल के खराब होने का डर भी कम रहेगा।
  • इसमें 43.1 पीपीएम लौह तत्व है, जिससे इस गेहूं से बनी रोटी खून की कमी को दूर करके एनीमिया रोग से बचाने में भी मददगार हो सकती है।
करण वंदना गेहूं की किस्म (karan vandana DBW 187 wheat variety)
तस्वीर साभार: Indiamart

इन जगहों के लिए उपयुक्त

करण वंदना यानी डीबीडब्ल्यू 187 गेहूं की नई किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के उत्तर-पूर्वी मैदानी इलाकों में बुवाई के लिए बेहतरीन विकल्प है। बस इसमें सिंचाई का ध्यान रखने की ज़रूरत है। गोरखपुर की महिला किसानों ने इस नई किस्म से बंपर पैदावार की जो यह साबित करता है कि गोरखपुर की जलवायु इस नई किस्म के लिए अच्छी है। करण वंदना अधिक गर्म तापमान में भी अच्छी पैदावार देता है।

अन्य किस्मों से बेहतरीन

गेहूं की अन्य उन्नत किस्मों की तुलना में करण वंदना से गेहूं की पैदावार अधिक होती है। गेहूं की पूसा यशस्वी किस्म से 57.5 से 79.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, करण श्रिया से प्रति हेक्टेयर अधिकतम पैदावार 55 क्विंटल और डीडीडब्ल्यू 47 (DDW47) किस्म से प्रति हेक्टेयर करीब 74 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होता है, जबकि करण वंदना प्रति हेक्टेयर 75 से 82 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम है। इतना ही नहीं, फसल 120 दिनों में पककर तैयार भी हो जाती है।

करण वंदना गेहूं की किस्म (karan vandana DBW 187 wheat variety)

गेहूं की यह किस्म अन्य किस्मों से अधिक पौष्टिक मानी जा रही है। जानकारों के मुताबिक, सामान्य गेहूं में प्रोटीन की मात्रा 10 से 12 प्रतिशत होती है और आयरन 30 से 40 प्रतिशत, लेकिन करण वंदना में प्रोटीन 12 प्रतिशत से अधिक और आयरन 42 प्रतिशत से अधिक है। यानी इस गेहूं से बनी रोटी अधिक सेहतमंद है।

गोरखपुर की महिला किसानों द्वारा की गई बंपर पैदावार के बाद अन्य किसान भी यकीनन इस नई किस्म के प्रति आकर्षित हुए हैं।  वो अधिक पैदावार के लिए करण वंदना का इस्तेमाल करना चाहते हैं, ताकि अच्छी कमाई हो सके।