अमेरिका के पोल्ट्री कारोबारी भारत में चिकन लेग पीस बेचना चाहते हैं. वहीं पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) और यूएसए पोल्ट्री एंड एग्स एक्सपोर्ट काउंसिल दोनों साथ मिलकर भारत में प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए साथ मिलकर काम करने की तैयारी कर रहे हैं. इस सब पर नई सरकार का क्या असर पड़ेगा इस पर पोल्ट्री कारोबारियों की नजर लगी हुई है.
अमेरिका में चुनाव संपन्न हो चुके हैं. नतीजों का ऐलान भी हो गया है. एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के प्रेसिडेंट बनने जा रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही इंडियन पोल्ट्री सेक्टर की नजर भी अमेरिका के चुनावों पर लगी हुई थी. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो पोल्ट्री से जुड़े दो बड़े मुद्दे सीधे अमेरिका के साथ जुड़े हुए हैं. इसमे से एक मुद्दे पर तो दिल्ली में जी-20 की बैठक के दौरान भी हुई थी. वहीं दूसरा मामला भारतीय लोगों के खानपान में प्रोटीन की कमी को पूरा करने से जुड़ा हुआ है.
अमेरिका के ताजा चुनावी रिजल्ट के बाद से अब पोल्ट्री सेक्टर की नजर अमेरिका और प्रेसिडेंट की कुर्सी पर बैठने वाले ट्रंप पर लगी हुई हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट ऐसा मानकर चल रहे हैं कि अमेरिका में नई सरकार आने के बाद पोल्ट्री प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट का मामला फिर से तूल पकड़ सकता है.
अमेरिका भारत में बेचना चाहता है चिकन लेग पीस
पोल्ट्री एक्सपर्ट मनीष शर्मा का कहना है कि भारत में पोल्ट्री कारोबार को हर साल तेजी से बढ़ने वाला कारोबार माना जाता है. भारत अंडा उत्पादन में तीसरे और मीट में 5वें नंबर पर है. पोल्ट्री कारोबार के तहत भारत अंडे एक्सपोर्ट करता है. वहीं चिकन का भी बड़ा घरेलू बाजार है. पोल्ट्री बाजार में रोजाना 22 से 25 करोड़ अंडों का कारोबार होता है. चिकन की बात करें तो अकेले दिल्ली-एनसीआर की गाजीपुर मंडी से हर रोज पांच लाख मुर्गों की सप्लाई होती है.
अब मामला ये है कि पोल्ट्री कारोबार अमेरिका में भी है. लेकिन वहां चिकन में लेग पीस नहीं खाए जाते हैं. बोन लेस चिकन वहां खूब पसंद किया जाता है. अब अमेरिका के पोल्ट्री कारोबारी चाहते हैं कि उनके यहां बचने वाले लेग पीस को भारतीय बाजारों में एंट्री दे दी जाए. जबकि भारत में इसके उलट है यहां चिकन खाया ही लेग पीस के लिए जाता है. बिना लेग पीस कोई चिकन नहीं खरीदगा. हालांकि जी-20 बैठक के दौरान भारत और अमेरिका के बीच टर्की (पोल्ट्री पक्षी) को लेकर एग्रीमेंट हो चुका है कि अमेरिका के कारोबार भारत के बाजारों में टर्की बेच सकेंगे.
दोनों देश मिलकर भारत से दूर करेंगे प्रोटीन की कमी
हाल ही में पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) और यूएसए पोल्ट्री एंड एग्स एक्सपोर्ट काउंसिल ने एक बड़ा समझौता किया था. इस समझौते के तहत काम करने के लिए एक एमओयू भी साइन किया गया था. पीएफआई के कोषाध्यक्ष रिकी थापर की मानें तो आने वाले दिनों में अमेरिका और भारत की पोल्ट्री एसोसिएशन देश से प्रोटीन की कमी दूर करने को साथ मिलकर काम करेंगे. इसके लिए अमेरिकन संस्था के साथ मिलकर काम किया जाएगा. देश में चिकन और अंडे की खपत को बढ़ावा देने के लिए जागरुकता अभियान चलाए जाएंगे. सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित की जाएंगी. शेफ द्वारा पोल्ट्री प्रोडक्ट से तैयार की गईं रेसीपी सोशल मीडिया पर शेयर की जाएंगी.
यूएसए पोल्ट्री एंड एग एक्सपोर्ट काउंसिल के अध्यक्ष और सीईओ ग्रेग टायलर ने इस मौके पर कहा था कि इस सकरात्माक समझौते में शैक्षिक, रिसर्च, विकास और बाजार के अवसरों के विस्तार और न्यूट्रीशन संबंधी जागरूकता बढ़ाने के अभियानों पर काम किया जाएगा. दोनों संस्थाओं के एक्सपर्ट मिलकर पोल्ट्री प्रोडक्ट के न्यूसट्रीशन संबंधी लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी काम करेंगे. यूएसए सोयाबीन और मकई उत्पादक किसान, विशिष्ट होटलों के स्टार शेफ और कमोडिटी सदस्य भी इस समझौते के दौरान मौजूद थे.