भारतीय कृषि सेक्टर पर अमेरिकी चुनाव नतीजों का असर दिखेगा

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अमेरिकी चुनाव नतीजों का असर भारतीय कृषि सेक्टर पर सकारात्मक रूप से देखने को मिल सकता है. एक्सपर्ट का अनुमान है कि फसलों के लिए उर्वरक के आयात में तेजी, एग्रीकल्चर में रिमोट सेंसिंग तकनीक समेत कई तरह की टेक्नोलॉजी के एक्सचेंज में बढ़ोत्तरी की संभावना जताई है. 

अमेरिकी चुनाव नतीजों का असर भारतीय कृषि सेक्टर पर व्यापक रूप से देखने को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. फसलों में इस्तेमाल होने वाली उर्वरकों के आयात में तेजी, खेती में रिमोट सेंसिंग तकनीक, एग्रीकल्चर डाटा तकनीक समेत कृषि में इस्तेमाल होने वाली मॉडर्न टेक्नोलॉजी के एक्सचेंज में भारी बढ़ोत्तरी की संभावना जताई गई है. 

अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टी डेमोक्रेटिक से कमला हैरिस और रिपब्लिकन से डोनाल्ड ट्रंप चुनावी मैदान में हैं और वहां आज 6 नवंबर को वोटों की गिनती के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने जीत दर्ज की है. सबसे पहले अमेरिकी मीडिया आउटलेट फॉक्स न्यूज ने ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी की जीत का ऐलान कर दिया है. ऐसे में अमेरिकी चुनाव नतीजों का भारतीय कृषि सेक्टर में बड़े पैमाने पर सकारात्मक असर दिखने की उम्मीद जताई गई है. 

कृषि टेक्नोलॉजी 

कृषि क्षेत्र के लिए मॉडर्न तकनीक से मौसम और जमीन का एनालिसिस करने वाली टेक्नोलॉजी कंपनी RMSI के बिजनेस हेड सौरभ दयाल ने ‘किसान तक’ से बातचीत में कहा कि अमेरिकी चुनाव नतीजों के बाद स्टेबिलिटी आएगी, इससे एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी को लाभ होने की संभावना अधिक है. उन्होंने कहा कि बेहतर सेटेलाइट टेक्नोलॉजी, बेहतर क्वालिटी के सेटेलाइट खरीद योजना के साथ ही सेटेलाइट लॉन्चिंग की संभावनाओं को बल मिलेगा. 

कृषि इनपुट उपलब्धता  

सौरभ दयाल ने कहा कि ऐसा होने पर मिट्टी की नमी, फसल स्थिति, मौसम, जलवायु समेत अन्य मुद्दों पर हम क्षेत्रों की पहचान और बेहतर तरीके से कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में कई देशों के लिए यह चुनावी साल रहा है. ऐसे अमेरिकी चुनावों के बाद स्थिरता आएगी और उसके बाद भारत और यूएस अपनी टेक्नोलॉजी साझा करने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं. वह कहते हैं कि कृषि क्षेत्र को इसलिए भी लाभ होगा क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के प्रयासों को बल मिलेगा, जिससे कृषि इनपुट आयात या निर्यात में आसानी होगी. उदाहरण के लिए यूक्रेन यूरिया उर्वरक का एक बड़ा उत्पादक देश है. हम वहां से यूरिया आयात समस्या या कीमतों पर बात कर सकेंगे.

 टैक्स और दाल आयात  

भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) के सेक्रेटरी सतीश उपाध्याय ने से बातचीत में आशंका जताई कि ट्रंप के आने से व्यापार टैक्स बढ़ सकता है. क्योंकि, वह अपने पिछले कार्यकाल में ट्रेड को लेकर सख्त रुख अपनाते देखे गए हैं. उन्होंने बताया कि भारत से चावल समेत 13-14 प्रोडक्ट यूएस जाते थे तो यूएस ने ड्यूटी लगा दी थी, जिसकी जवाबी कार्रवाई में भारत ने भी 20 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाई थी. हालांकि, अब ड्यूटी नहीं है. उन्होंने बताया कि मटर पर 31 दिसंबर और मसूर पर 31 मार्च 2025 पर ड्यूटी नहीं है. 

दालों के आयात पर उन्होंने कहा कि भारत यूएस से केवल मसूर और मटर खरीदता है, वह भी बेहद कम मात्रा में जब ज्यादा जरूरत पड़ जाती है. क्योंकि यूएस की तुलना में कनाडा से सस्ती दर पर भारत को दोनों दालें मिल जाती हैं. इससे भारत को 80 से 100 डॉलर सस्ता पड़ता है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया से भी इन दालों का आयात भारत कर लेता है.