सरकार के पास पर्याप्त स्टॉक के बाद भी क्यों बढ़ रही गेहूं की कीमत

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इस साल गेहूं का पर्याप्त उत्पादन हुआ है. सरकार के पास भी अच्छा स्टॉक जमा हो चुका है. लेकिन इसके बाद भी गेहूं के दाम कम होने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं. सरकार द्वारा गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के कई प्रयास किये जा रहे हैं. जिनमें रियायती दरों पर गेहूं बेचने के साथ ही व्यापारियों पर स्टॉक लिमिट लगाई.

  • उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आंकड़ों की अनुसार गेहूं के दाम अधिकतम 58 रुपये प्रति किलो, न्यूनतम 22 रुपये प्रति किलो और औसत 31.36 रुपये प्रति किलो है. वहीं आटे की कीमत अधिकतम 70 रुपये किलो , न्यूनतम 29 रुपये किलो और औसत भाव 36.51 रुपये किलो है.

बाजार के जानकारों का कहना है कि बफर स्टॉक कम और ज्यादा होने का असर गेहूं की कीमतों पर पड़ता है. बफर स्टॉक के नॉर्म्स के अनुसार सरकार के पास हर साल एक अक्टूबर को 205.20 लाख टन गेहूं का स्टॉक रहना चाहिए. केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार के पास एक अक्टूबर को नॉर्म्स से 32.63 लाख टन गेहूं ज्यादा था.
गेहूं की मांग कितनी है –

नीति आयोग के अनुसार गेहूं की मांग साल 2021-22 में 971.20 लाख टन थी. साल 2024 में गेहूं की मांग 1001 लाख टन लाख टन तक पहुंचने का अनुमान जताया गया था. 2023-24 में 1132.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. यानी मांग से ज्यादा उत्पादन हुआ है. जिसका अर्थ ये है कि देश में गेहूं के संकट जैसी स्थिति नहीं है.

क्यों बढ़ रहे हैं गेहूं के दाम

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद में कई किसान और व्यापारी गेहूं का स्टॉक कर रहे हैं. जिसके कारण गेहूं की कीमतें बढ़ रही है. रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस भी यही कह रहे हैं.

उनका कहना है कि यदि सरकार चाहती है कि गेहूं की कीमतों में कमी आए तो आयात ही एक रास्ता है. यदि सरकार गेहूं की कीमतों में नरमी लाना चाहती है तो देश में कम से कम 50 लाख टन गेहूं का आयात करना होगा. लेकिन इसके लिए सरकार को गेहूं आयात पर 40 फीसदी ड्यूटी को खत्म करना होगा. जिसके बाद ही दाम कम हो सकता है.