तकनीक का साथ मिलते कृषि अब फायदे का सौदा….शिमला मिर्च की खेती से चमकी किसान दीपक कुमार चौधरी  की किस्मत

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खेती-किसानी में तकनीक का साथ मिलते की कृषि अब किसानों के लिए फायदे का सौदा हो गई है. उन्नत तकनीक का सहारा मिलने के साथ ही किसानों की उपज, कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और कमाई तीनों ही बढ़ गई है. खास कर कृषि के क्षेत्र में जो नए और पढ़ें-लिखें युवा आ रहे हैं वे अपनी किस्मत के साथ-साथ कृषि की तस्वीर को भी बदल रहे हैं. क्योंकि वे अधिक से अधिक नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और नई चीजों को प्रयोग कर रहे हैं. बिहार के दरभंगा जिले के एक ऐसे ही युवा किसान हैं जो शिमला मिर्च की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं.  

शिमला मिर्च की फलतापूर्वक खेती करने वाले किसान दीपक कुमार चौधरी बिहार के दरभंगा जिले के डुमरी गांव में रहते हैं. यहां वो आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके शिमला मिर्च की खेती करते हैं. उन्होंने पॉली हाउस और नेट हाउस लगाया है. पॉली हाउस में उन्होंने शिमला मिर्च की खेती की है. दीपक कुमार ने बताया कि वो लगभग पिछले तीन साल से शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं. पॉली हाउस में शिमला मिर्च का काफी अच्छा उत्पादन होता है. साथ ही बंद स्थान पर करने से इसकी गुणवत्ता काफी अच्छी होती है. इससे उन्हें इसकी अच्छी कीमत मिलती है और कमाई अच्छी होती है. 

केवीके और आत्मा का मिला सहयोग

दीपक कुमार ने बताया कि आज उनकी सफलता के पीछे कृषि विज्ञान केंद्र जाले और आत्मा का सहयोग है. उन्हें इन दोनों ही जगहों से हमेशा सहयोग मिलता है. इसके अलावा केवीके और आत्मा से भी लोग उनके फार्म का निरीक्षण करने के लिए आते रहते हैं. उनके मार्गदर्शन से ही वे अच्छी तरह से खेती कर पा रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया की बाजार में उनके उपज की काफी अच्छी मांग हमेशा होती है क्योंकि उनकी उपज की क्वालिटी काफी बेहतर होती है.

बाजार में है सब्जी की अच्छी मांग

उन्होंने बताया की जब उन्होंने शिमला मिर्च की खेती की शुरुआत की थी तब उन्होंने दो हजार पौधे लगाए थे. हालांकि उनके पॉलीहाउस में चार हजार पौधे लगाने की जगह थी लेकिन उन्होंने सोचा की ग्रामीण इलाका होने के कारण शिमला मिर्च की मांग कैसी रहेगी यह देखते हुए सिर्फ दो हजार पौधे लगाए. बाकी आधी जगह में उन्होंने सीडलेस खीरा की खेती की थी. पहली बार में ही शिमला मिर्च अच्छा हुआ और बाजार में अच्छी मांग होने लगी. मांग इतनी थी कि वो बाजार की मांग को पूरा कर पाने में सक्षम नहीं थे. बाजार की मांग को देखते हुए उन्होंने अब अपनी शिमला मिर्च की खेती को रकबा भी बढ़ाया. अब तीन पॉलीहाउस में वो इसकी खेती करते हैं. रोज लगभग एक क्विंटल शिमला मिर्च बाजार में भेजते हैं.