किसान नकली डीएपी खरीदने से बचे

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खरीफ की फसल तैयार होने को आ रही है और रबी फसल की बुवाई का सीजन जल्द ही शुरू होने वाला है। ऐसे में किसानों को यूरिया व डीएपी आदि उर्वरक की जरूरत होगी। किसानों के बीच डीएपी की बढ़ती मांग के कारण इसकी खपत भी काफी बढ़ गई है, जिसका फायदा उठाने के लिए कुछ लोगों द्वारा नकली डीएपी का बाजार में विक्रय करने की खबर प्रशासन को मिली है। इसे देखते हुए कृषि विभाग की ओर से किसानों के हित में डीएपी के संबंध में एडवाइजरी जारी की है ताकि किसान नकली डीएपी खरीदने से बचे, क्योंकि नकली खाद, उर्वरक के इस्तेमाल से नुकसान होने का अंदेशा रहता है।

प्रशासन की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में किसानों को डीएपी आदि उर्वरक खरीदते समय जिन बातों का ध्यान रखना चाहिए उनके बारे में बताया गया है। यदि आप भी किसान हैं तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है ताकि आप अपनी फसल को होने वाले संभावित नुकसान से बचा सकें।

क्या है डीएपी

डीएपी का पूरा नाम डाई अमोनिया फास्फेट है। इसका इस्तेमाल किसानों द्वारा काफी किया जाता है। यह एक क्षारीय प्रकृति का रासायनिक उर्वरक होता है जो पौधों के पोषण के लिए जरूरी होता है। इसका प्रयोग पौधों में नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी पूरा करने के लिए किया जाता है। डीएपी में 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है। यह मिट्टी में जल्दी घुल जाता है और पौधों को फॉस्फेट और अमोनिया उपलब्ध कराता है। डीएपी का प्रयोग फसल की बुवाई के समय किया जाता है।

किन फसलों के लिए अच्छा रहता है डीएपी का इस्तेमाल

डीएपी (DAP) का प्रयोग फसल की बुवाई के समय किया जाता है। इस खाद को मिट्‌टी में मिलाया जाता है तो यह उसमें आसानी से अच्छी तरह मिल जाता है। इसका इस्तेमाल पौधों में पत्ते आने और फूल आने से पहले की अवस्था में किया जाता है। डीएपी का इस्तेमाल भारी जमीन में किया जाना चाहिए। डीएपी में 60 प्रतिशत वाला एमओपी (MOP) मिलाने पर बेहतर परिणाम मिलते हैं। डीएपी का इस्तेमाल फूल वाली सब्जियों के लिए किया जा सकता है। वहीं डीएपी में पोटेशियम नहीं होने से इसका इस्तेमाल दानेदार फसलों के लिए उतना अच्छा नहीं होता है।

किसान डीएपी-यूरिया खाद उर्वरक खरीदते समय रहें सावधान

राजस्थान के चूरू कृषि विभाग की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि उर्वरकों का विक्रय, क्रय-विक्रय सहकारी समितियों, ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं अधिकृत निजी विक्रेताओं द्वारा किया जा रहा है। बिना लाइसेंस उर्वरकों को बेचना उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत दंडनीय अपराध है। किसान उर्वरक खरीदते समय सावधान रहें, यदि कोई व्यक्ति आपके गांव में आकर अनाधिकृत रूप से उर्वरकों का विक्रय करता है तो उसके नकली उर्वरक होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे व्यक्तियों से सावधान रहें और ऐसी स्थिति में इसकी जानकारी तत्काल अपने कृषि पर्यवेक्षक, सहायक कृषि अधिकारी और संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार), जिला परिषद को दें।