मिट्टी में पोषकता बढ़ाने के लिए इन उपायों को अपनाएं

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रबी सीजन में मैदानी इलाकों के किसान सरसों की बुवाई की तैयारियों में जुटे हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में सरसों की बंपर बुवाई की जाती है. सरसों की अच्छी पैदावार के लिए किसानों को सही विधि का इस्तेमाल करने के साथ ही खेत की मिट्टी को भी अच्छे से तैयार करने की जरूरत है. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों को सरसों की खेती को लेकर सलाह जारी की है, जिसे अपनाकर किसान कम लागत में ज्यादा उपज हासिल कर सकते हैं. 

इस साल खरीफ सीजन में तिलहन फसलों की बंपर बुवाई की गई है. इसके चलते तिलहन फसलों का रकबा 3 लाख हेक्टेयर अधिक के साथ पिछले साल के 190.92 लाख हेक्टेयर की तुलना में 193.84 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. तिलहन फसलों को लेकर किसानों के बढ़ते रुचि को देखते हुए इस बार सरसों की भी बंपर बुवाई होने की उम्मीद है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि सरसों के एमएसपी रेट में 2022-23 की तुलना में 2023-24 में 400 रुपये की बढ़ाकर 5450 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. 

सरसों के लिए खेत तैयार करने का तरीका 

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार एवं प्रशिक्षण ब्यूरो की ओर से सरसों की बुवाई के लिए किसानों को मिट्टी की तैयारी (Land Preparation for Mustard) को लेकर सलाह दी है. नीचे कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिससे खेत को तैयार करने के साथ ही मिट्टी की पोषकता बढ़ाने में भी किसान मदद ले सकते है. 

  1. सलाह में कहा गया है कि किसान सरसों की फसल समतल खेत में करें और अच्छे जल निकासी वाली बलुई दोमट से दोमट मिट्टी में अच्छी उपज देती है. जहां की जमीन क्षारीय है वहां हर तीसरे वर्ष जिप्सम 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिलना चाहिए. 
  2. पर्याप्त सिंचाई वाले इलाकों में पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए और उसके बाद तीन-चार जुताई तवेदार हल यानी हैरो से करनी चाहिए. इससे खेत में मौजूद खरपतवार जड़ से खत्म करने में मदद मिलती है. 
  3. बाढ़ या बारिश के पानी वाले इलाकों में हर बरसात के बाद तवेदार हल से जुताई कर नमी को संरक्षित करना चाहिए. मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए हर बार जुताई के बाद पाटा लगाना चाहिए. इससे जमीन की भाप बन कर नहीं उड़ती है. 
  4. सरसों की बुवाई के लिए खेत की चौथी जुताई यानी अंतिम जुताई के समय 1.5 फीसदी क्यूनॉलफॉस 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाना चाहिए. इससे जमीन के नीचे मौजूद फसल के लिए खतरनाक कीटों की रोकथाम करने में मदद मिलती है. 
  5. सरसों की इन किस्मों का चयन करें किसान 
  6. पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 

भारतीय कृषि विज्ञान परिषद (ICAR) के IARI ने सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) विकसित की है. 132 दिन में यह किस्म तैयार हो जाती है. सरसों की यह उत्तम किस्म सफेद रतुआ रोग यानी व्हाइट रस्ट, अल्टरनेरिया ब्लाइट यानी फफूंदी रोग, स्केलेरोटिनिया स्टेम रॉट यानी फफूंदी रोग, डाउनी फफूंद और पाउडरी फफूंद रोग से लड़ने में सक्षम है और इन रोगों को पनपने नहीं देती है. 132 दिन में यह सरसों किस्म प्रति हेक्टेयर 21.48 क्विंटल से अधिक उपज देती है. 

भरतपुर सरसों 11

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार भरतपुर सरसों 11 किस्म कृषि जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल है. यह किस्म देरी से बोए जाने के बाद भी बंपर पैदावार देने में सक्षम है.  यह किस्म 123 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 19 क्विंटल तक की उपज देने में सक्षम है. जबकि, इस सरसों में तेल की मात्रा 37 फीसदी से अधिक रहती है. यह किस्म सफेद रतुआ के अलावा अल्टरनेरिया पत्ती झुलसा रोग, डाउनी फफूंद रोग और पाउडरी फफूंद रोग से लड़ने में सक्षम है और इन्हें पनपने नहीं देती है. 

मिट्टी की उर्वरता किसी भी कृषि या बागवानी की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक है। उर्वर रसायन शास्त्र आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे वे स्वस्थ और मजबूत होते हैं। यदि मिट्टी की उर्वरता कम होती है, तो उद्यमों की वृद्धि रुक जाती है, और उनकी मूर्तियां भी घट जाती हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि हम अपनी मिट्टी की उर्वरता बनाए रखें और उसे बढ़ाने के लिए प्राकृतिक और घरेलू उपाय अपनाएं। इन उपायों से न केवल मिट्टी को लाभ होता है, बल्कि ये पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं। अब हम जानते हैं कि मिट्टी के उर्वरता बढ़ाने के कुछ बेहतरीन घरेलू उपाय कौन से हैं।

मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के फायदे

  1. बेहतर फ़सल उत्पादन: उर्वर मिट्टी के बीज की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है, जिससे फ़सल का उत्पादन बढ़ता है।
  2. जल धारण क्षमता में वृद्धि: उर्वर मिट्टी का पानी बेहतर तरीके से धारण करता है, जिससे उपभोक्ताओं की स्थिति में भी स्थिरता बनी रहती है।
  3. रोग उपकरण क्षमता: उर्वर मिट्टी के बिल्डरों की प्रति उपकरण क्षमता मजबूत होती है, जिससे उन्हें कम रसायन की आवश्यकता होती है।
  4. लंबी अवधि के लिए स्थिरता: उर्वरता बढ़ाने के घरेलू उपाय मिट्टी को स्थायी रूप से समृद्ध किया जाता है, जिससे आने वाले वर्षों में भी अच्छे परिणाम मिलते हैं।
  5. पर्यावरण के अनुकूल: ये उपाय जैविक और प्राकृतिक होते हैं, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।
  6. कम लागत: ये घरेलू उपाय बड़े पैमाने पर होते हैं, जिससे किसानों और बागवानों को आर्थिक लाभ होता है।
  7. मिट्टी की संरचना में सुधार: इन संरचनाओं से बनी मिट्टी की संरचना बेहतर होती है, मिट्टी की गहराई में जाने में आसानी होती है।
  8. यह उपाय मिट्टी में मौजूद जैविक पदार्थों की मात्रा को कम करता है, जिससे पोषक तत्वों की मात्रा में सुधार होता है।

मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के 10 घरेलू उपाय

1. जैविक खाद (कम्पोस्ट) का उपयोग

कम्पोस्ट मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। घर के नारियल जैसे कि कार्डबोर्ड, सूखी पत्तियाँ, और घास का उपयोग करके कम्पोस्ट बनाया जा सकता है। कम्पोस्ट मिट्टी में जैविक पदार्थ सम्मिलित होते हैं, जो पोषक तत्वों की मात्रा की पूर्ति करते हैं और मिट्टी की संरचना में सुधार करते हैं। यह केवल मिट्टी की उर्वरता में सुधार नहीं करता है, बल्कि जल क्षमता और पौधों की वृद्धि में भी सुधार करता है। कम्पोस्ट का नियमित उपयोग मिट्टी के रूप में समृद्ध है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है।

2. हरी खाद (हरी खाद) का उपयोग

हरी खाद का मतलब है मिट्टी में ही समृद्ध होना। इसके लिए मूंग, फूलद, तिल्ली जैसी सब्जियों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए खेत में बोया जाता है और जब वे पर्याप्त मात्रा में बढ़ते हैं, तो उन्हें मिट्टी में समझा जाता है। इस प्रक्रिया में मिट्टी में खनिजों और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे उसकी उर्वरता बढ़ जाती है। हरी खाद मिट्टी को जीवंत बनाता है और उसकी संरचना में सुधार करता है। यह प्राकृतिक विधि की वृद्धि को बढ़ावा देता है और मिट्टी को प्रयोगशाला के रूप में स्थापित किया जाता है।

3. वर्मी कम्पोस्टिंग का उपयोग

वर्मी कम्पोस्टिंग एक और प्रभावी तरीका है जिसमें केंचयूज़ का उपयोग करके बायोलॉजिकल कॉलेज को खाद में बदल दिया जाता है। केंचुए बायोलॉजिकल पदार्थ को तोड़ते हैं और उसे उच्च गुणवत्ता वाली कम्पोस्ट में बदलते हैं। वर्मी कम्पोस्ट मिट्टी की संरचना में सुधार किया गया है, उसकी जल धारण क्षमता को बरकरार रखा गया है, और प्रमाणित करने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि की गई है। यह विधि घर पर आसानी से बनाई जा सकती है और इसके लिए अधिक जगह या आवश्यकता नहीं है। वर्मी कम्पोस्ट मिट्टी को पुनर्स्थापन से मुक्त किया गया है और उसे आमिर के रूप में स्थापित किया गया है।

4. जैविक मल्चिंग का उपयोग

मल्चिंग मिट्टी की सतह पर एक प्लास्टर परत बनाने की प्रक्रिया है, जो मिट्टी की संरचना को बनाए रखने, स्केल को नियंत्रित करने, और मिट्टी के तापमान को स्थिर बनाए रखने में मदद करती है। जैविक मल्चिंग के लिए पत्ते, घास और लकड़ी के पेस्ट जैसे तत्वों का उपयोग किया जा सकता है। मल्चिंग न केवल मिट्टी को मिलाकर बनाया जाता है, बल्कि धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे की जाने वाली मिट्टी में मिट्टी का निर्माण किया जाता है। यह प्रक्रिया मिट्टी की संरचना में सुधार करती है और उसके उर्वरता को मजबूत करती है, जिससे उद्यमों की वृद्धि में मदद मिलती है।

5.रसोई के नारियल का पुन: उपयोग

प्लास्टिक के चॉकलेट का सही उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता खरीदी जा सकती है। अखरोट के छिलके, फलों के पत्ते, और चाय की पत्तियाँ जैसे कि गुड़हल को सीधे मिट्टी में इस्तेमाल किया जा सकता है या फिर कम्पोस्ट के रूप में तैयार किया जा सकता है। ये जैविक फ्लोरिडा के जीवों की मात्रा को प्रदर्शित करते हैं, जिससे उनकी उर्वरता और जल धारण क्षमता में सुधार होता है। यह विधि न केवल और झील का पुन: उपयोग करती है, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ स्वस्थ बनाये रखती है।

6. गोबर की खाद का उपयोग

गोबर की खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का एक पारंपरिक और प्रभावी तरीका है। गाय के गोबर में डाइजेस्ट, फ़ोर्स, और मोर्टार जैसे पोषक तत्त्व होते हैं, जो मनोवैज्ञानिकों की वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं। गोबर की खाद को मिट्टी में मिलाने से उसकी उर्वरता बहुतायत होती है और मिट्टी की संरचना में सुधार होता है। यह खाद न केवल प्रमाणित के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, बल्कि मिट्टी में जैविक सामग्री भी शामिल है, जिससे उसका उर्वरता अनुमोदित पोषक तत्व के रूप में बना रहता है।

7. नीम की खली का उपयोग

नीम की खली एक जैविक विविधता है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के साथ-साथ नियंत्रण को भी नियंत्रित करती है। नीम की खली में एंटी और वैज्ञानिक एंटीफंगल गुण होते हैं, जो मिट्टी में पाए जाने वाले जीवाणुओं को कम करते हैं और तृप्त कीड़ों को सुरक्षित रखते हैं। इसमें मिट्टी मिलाने से वैज्ञानिकों और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा की मात्रा होती है, जिससे मिट्टी की वृद्धि में सुधार होता है। नीम की खली का नियमित उपयोग मिट्टी को कारीगर के रूप में बनाये रखता है और उसे पासपोर्ट से मुक्त करता है।

8. लकड़ी की राख का उपयोग

लकड़ी की राख में सीमेंट, कैल्शियम, और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बेचते हैं। इसे संयम से उपयोग किया जाना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में उपयोग से मिट्टी का अनुपात स्तर बढ़ सकता है, जो प्रमाणित के लिए स्टॉक हो सकता है। लकड़ी की राख को मिट्टी में मिलाने से उसका उर्वरता चूर्ण होता है और वह प्रमाणित के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान करता है। यह प्राकृतिक विधि मिट्टी को प्राकृतिक रूप से समृद्ध संरचना और स्थिरीकरण की वृद्धि में मदद करती है।

9. अंडे के छिलके और केले के छिलके

अंडे के छिलके और केले के छिलके का भी उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। अंडे के छिलकों में कैल्शियम होता है, जिसे प्रमाणित करना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए पीसकर मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जा सकता है। केले के चिप्स में सुपरमार्केट की अधिकता होती है, जो फूलों और फूलों के विकास में मदद करता है। उदाहरण के लिए सुखाकर और पीसकर मिट्टी का प्रयोग किया जा सकता है। इन घरेलू उपायों में मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा बहुतायत होती है, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा में सुधार होता है।

10. चाय की लत और फूला के बचे हुए टुकड़े

चाय के स्टॉक और चॉकलेट के बचे हुए अंशों में शोधकर्ता और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो मिट्टी के उर्वरता को बेच देते हैं। उदाहरण के तौर पर सीधे मिट्टी में बनाया जा सकता है या कम्पोस्ट के रूप में तैयार किया जा सकता है। इन रासायनिक पदार्थों में जैविक पदार्थों की मात्रा का आकलन किया जाता है, जिससे उसकी उर्वरता और जल क्षमता में सुधार होता है। यह विधि न केवल और झील का पुन: उपयोग करती है, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ स्वस्थ बनाये रखती है।

मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के ये घरेलू उपाय न केवल पर्यावरण के लिए उपयुक्त हैं, बल्कि महंगे और सरल भी हैं। इन एनलिस्ट का उपयोग करके आप अपनी मिट्टी को मिट्टी के रूप में तैयार कर सकते हैं, जिससे स्वस्थ्य और बेहतर उत्पादन की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इन उपायों से आपकी मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्त्व मिलते हैं, जिससे प्रयोगशालाओं की वृद्धि और उनकी श्रेणियों में सुधार होता है।