कभी खेतों में मजदूरी किया करते थे, किसान के बेटे ने बनाई सौ करोड़ रुपये की सोलर कंपनी

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कहते हैं ना कि हुनर सबके अंदर होता है, बस उसे निखारने का जज्बा और जूनून होना चाहिए। परिस्थितियां कैसी भी हों, कुछ कर गुजरने की चाह रखने वाला इन्सान सफलता का रास्ता तलाश ही लेता है। कुछ ऐसे ही बुलंद हौसलों के इन्सान हैं प्रवीण के। एक किसान के बेटे, जो कभी गांव में छह रुपये प्रति दिन की मजदूरी किया करते थे, आज 100 करोड़ से अधिक की ‘स्वदेशी कंपनी’ के मालिक हैं। इस कंपनी की शुरुआत प्रवीण ने महज 1,800 रुपये से की थी, लेकिन अपनी मेहनत के पसीने से सींचकर इसे सौर उत्पादों की एक सफल और प्रसिद्ध कंपनी बना दिया। इनकी कंपनी नवीकरणीय और घरेलू उपयोग के लिए स्वदेशी सोलर और तकनीकी उत्पाद बेचने वाली शीर्ष कंपनियों में से एक है। साथ ही, बहुत से लोगों को रोजगार भी दे रही है। प्रवीण की सफलता इस बात का उदाहरण है कि सही दिशा में मेहनत की जाए, तो इन्सान कुछ भी हासिल कर सकता है।

‘स्वदेशी ग्रुप’ के संस्थापक प्रवीण आर्थिक तंगी के चलते कभी खेतों में मजदूरी किया करते थे। कई कंपनियों में सेल्समैन की नौकरी भी की, लेकिन खुद की कंपनी खड़ी करने के विचार ने उन्हें सफल बनाया, जो आज 100 करोड़ रुपये से अधिक का उद्योग बन चुका है।

छह रुपये दिहाड़ी पर की मजदूरी

प्रवीण का जन्म कर्नाटक के दावणगेरे शहर के देवारा होन्नली गांव में हुआ था। एक किसान के घर में पैदा होने के कारण प्रवीण के जीवन में सुविधाओं का अभाव था। माता-पिता किसानी के साथ खेतों में मजदूरी भी किया करते थे। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण प्रवीण भी अपने उनके साथ खेतों में मजदूरी करते थे। मजदूरी के बदले उन्हें हर दिन छह रुपये मिलते थे।

गांव के पहले मैट्रिक पास 

प्रवीण का गांव इतना पिछड़ा था कि यहां न तो नियमित रूप से बिजली रहती थी और न ही 8वीं कक्षा से आगे कोई स्कूल था। आगे पढ़ने के लिए उन्होंने गांव से लगभग सात किलोमीटर दूर एक स्कूलमें दाखिला ले लिया। वह अपने गांव में 10वीं कक्षा पास करने वाले पहले व्यक्ति थे। यह सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए एक विशेष उपलब्धि थी।

फार्मेसी में भी की नौकरी

अभावों में रहने वाले परिवार ने प्रवीण के 10वीं पास करने के बाद बेहतर जीवन का सपना देखा, क्योंकि खेती और मजदूरी से केवल पेट ही भरा जा सकता था। इसलिए परिवार दावणगेरे शहर आ गया। जहां से प्रवीण ने 12वीं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान अपनी आजीविका चलाने और पैसे कमाने के लिए उन्होंने एक फार्मेसी स्टोर में पार्ट-टाइम नौकरी की। उन्हें वेतन के रूप में हर महीने 600 रुपये मिलते थे। प्रवीण का व्यावसायिक कॅरिअर ग्रेजुएशन के बाद 2006 में पारले कंपनी में नौकरी करने के साथ शुरू हुआ। उन्होंने कोका-कोला, विप्रो और ओयो जैसी प्रसिद्ध कंपनियों में बतौर सेल्समैन 15 साल काम किया। ओयो में काम करते हुए वह इसके फाउंडर रितेश अग्रवाल की सोच से प्रभावित हुए और तभी प्रवीण को पहली आभास हुआ कि वह भी खुद का स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। यहीं से उनकी उद्यमशीलता की शुरुआत हुई।

कोविड महामारी में आया विचार

कोविड महामारी में प्रवीण की नौकरी चली गई। इसके बाद उन्होंने तय किया कि वह अपना खुद का व्यवसाय करेंगे। प्रवीण ने अपनी पत्नी चिन्मयी की मदद से अपने ख्वाब को अंजाम देना शुरू किया। शुरुआत में, वह निर्माता से उधार पर सोलर वॉटर हीटर खरीदते और उन्हें बेचने के बाद वह अपना उधार चुकाते थे। जब वह सोलर वॉटर हीटर बेचते थे, तो कई ग्राहक अन्य घरेलू उपकरणों जैसे वाटर प्यूरीफायर, गीजर आदि के बारे में पूछते थे। तब प्रवीण ने सोचा कि वह अपने खुद के उत्पाद बनवाकर भी सेल कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत थी।

1,800 रुपये से की शुरुआत

2020 की शुरुआत में प्रवीण ने मैसूर में ‘स्वदेशी ग्रुप’ नाम से अपना सौर उत्पादों से संबंधित स्टार्टअप शुरू किया। अपने बचाए हुए 1,800 रुपयों से उन्होंने कंपनी का पंजीकरण कराया। उन्होंने अपना बिजनेस आइडिया अपने निर्माता को बताया, जिससे वह अपना सामान उधार लेकर बेचते थे। वह निर्माता प्रवीण के आईडिया से काफी प्रभावित हुआ। बिजनेस शुरू करने के लिए उसने प्रवीण को दस लाख रुपये दिए, इन पैसों की मदद से प्रवीण ने शोरूम खोला और सौर ऊर्जा से चलने वाले विभिन्न उत्पाद जैसे कि सोलर वॉटर हीटर, इनवर्टर, बैटरी, वाटर प्यूरीफायर, ऑटोमैटिक वाटर लेवल कंट्रोलर, एयर हीट पंप और कई अन्य सोलर उत्पादों को बेचना शुरू किया।

युवाओं को सीख

  • एक बार जब आप अपने लक्ष्य को हासिल कर लेंगे, तब आपको आपके संघर्ष भी अच्छे लगने लगेंगे।
  • कठिनाइयों और चुनौतियों के बीच में ही अवसर छिपा होता है।
  • सफलता के लिए सुनिश्चित करें कि आपने अपने पैर सही स्थान पर रखे हैं और फिर दृढ़ता से वहां खड़े रहें। 
  • अवसर मिलते नहीं, उन्हें बनाना पड़ता है।
  • आप जहां भी हों, अपने पास मौजूद चीजों से जो कर सकते हैं, वह करें।