अधिक उपज, बेहतर गुणवत्ता के साथ गेहूं की पुसा ओजस्वी भारत के किसानों के लिए एक पसंदीदा विकल्प

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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने HI 1650 नामक नई गेहूं की किस्म ‘पुसा ओजस्वी’ विकसित की है, जो अब तक की लोकप्रिय लोकवन किस्म की जगह लेगी। यह नई किस्म उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं की बढ़ती मांग को पूरा करेगी, जिसका उपयोग ब्रेड, बिस्किट और चपाती के लिए किया जा सकता है। यह कृषि में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में उभर रही है।

अब किसानों की अपेक्षाएं होगी पूरी

लंबे समय से HI 1544 (पूर्णा) जैसी पारंपरिक किस्मों पर निर्भर किसानों को एक बेहतर विकल्प का इंतजार था। HI 1650 उनकी उम्मीदों पर खरा उतरा है, जिसमें अधिक उपज, बेहतर गुणवत्ता, बीमारियों के प्रति प्रतिरोध और कम पानी और उर्वरक की आवश्यकता जैसी विशेषताएं हैं। यह किस्म विशेष रूप से कम बीज दर और कम सिंचाई में अच्छा प्रदर्शन करती है, जिससे यह किफायती और टिकाऊ बनती है।

जानिए पुसा ओजस्वी की विशेषताएँ

पुसा ओजस्वी बायोफोर्टिफाइड है, जिसमें जिंक (42.7 PPM), आयरन (39.5 PPM), और प्रोटीन (11.4%) की उच्च मात्रा होती है, जो भारत में पोषण की कमी को दूर करने में मदद करेगी। इसके दाने सुनहरे, चमकदार और भारी हैं, जिनका वजन 50 ग्राम प्रति 1,000 दाने है। यह चपाती, ब्रेड और बिस्किट बनाने के लिए एक आदर्श विकल्प है। इसकी उच्च बिस्किट गुणवत्ता सूचकांक (7.9) और 39 ML सेडिमेंटेशन वैल्यू इसे बेकिंग और कुकिंग के लिए उपयुक्त बनाते हैं।

व्यापक स्वीकृति और सिफारिशें:

HI 1650 को भारत के मध्य क्षेत्रों, जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और बुंदेलखंड में खेती के लिए सिफारिश की गई है। यह किस्म विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करती है। इसकी प्रारंभिक परिपक्वता अवधि 115-120 दिनों की है और इसकी उच्च उपज क्षमता है, कुछ किसानों ने 17 क्विंटल प्रति बीघा तक की उपज रिपोर्ट की है।

लागत और उपलब्धता: पुसा ओजस्वी का ब्रीडर बीज कुछ अधिकृत बीज उत्पादक कंपनियों के माध्यम से उपलब्ध है। बीज की कीमत लगभग ₹12,500 प्रति क्विंटल है और प्रति एकड़ 40 किलोग्राम बीज बोने की सलाह दी जाती है। किसानों को धोखाधड़ी से बचने के लिए केवल अधिकृत डीलरों से बीज खरीदने की सलाह दी गई है, क्योंकि बाजार में नकली बीज सामने आ रहे हैं।

निष्कर्ष: बेहतर अनाज गुणवत्ता, रोग प्रतिरोध और उच्च उपज क्षमता के साथ, पुसा ओजस्वी भारत के किसानों के लिए एक पसंदीदा विकल्प बनने जा रहा है। उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं की बढ़ती मांग को पूरा करने की इसकी क्षमता इसे भारतीय कृषि परिदृश्य के लिए एक क्रांतिकारी किस्म बनाती है।