उपसंचालक कृषि ने कृषकों से उर्वरक के विकल्पों का उपयोग करने की अपील की है। किसान यूरिया, डी.ए.पी., सुपर फास्फेट की जगह अन्य उर्वरक 12:32:16, 20:20:00 जैसे मिश्रित उर्वरकों का प्रयोग भी कर सकते हैं।
उपसंचालक कृषि ने बताया कि जिले में रबी फसल हेतु कृषकों द्वारा एवं कृषि विभाग द्वारा तैयारी प्रारंभ की जा चुकी है। रबी के सीजन में कृषकों के द्वारा बोनी के समय आधार डोज हेतु उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। विगत कई वर्षों से यह देखने में आया है कि किसानों द्वारा एक ही प्रकार के उर्वरक जैसे- यूरिया, डी.ए.पी., सुपर फास्फेट का ही प्रयोग किया जा रहा है। जिससे एक ही प्रकार के उर्वरक के प्रति किसानों की निर्भरता बनी हुई है। उन्होंने बताया कि अन्य उर्वरकों से पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। अन्य उर्वरक 12:32:16, 20:20:00 जैसे मिश्रित उर्वरकों का प्रयोग कर किसान डी.ए.पी. एवं यूरिया पर निर्भरता कम कर सकते है। ये मिश्रित उर्वरक समितियों में एवं बाजारों में निजी विक्रेताओं के पास भी आसानी से उपलब्ध रहते हैं ।
किसानों को गेहूं फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 120:60:40 किग्रा. पोषक तत्व नत्रजन, सुपर, पोटाश की आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु किसान पहले विकल्प के रूप में 260 किग्रा. यूरिया, 375 किग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट एवं 67 किग्रा. पोटाश उर्वरक का उपयोग कर सकते है। गेहूं फसल हेतु दूसरे विकल्प के रूप में किसान 241 किग्रा. यूरिया, 180 किग्रा. मिश्रित उर्वरक (1232:16), एवं पोटाश 17 किग्रा. उर्वरक का उपयोग कर सकते है। इन दोनों विकल्पों से गेहूं हेतु आवश्यक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है।
इसी प्रकार चना फसल हेतु प्रति हेक्टेयर 20:60:00 कि.ग्रा. पोषक तत्व नत्रजन, सुपर फास्फेट, पोटाश की आवश्यकता होती है, इन पोषक तत्वों की पूर्ति करने हेतु विकल्प के रूप में 45 कि.ग्रा. यूरिया के साथ 375 किग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग किया जा सकता है। चना फसल हेतु अन्य विकल्प के रूप में किसान 170 किग्रा. मिश्रित उर्वरक (12:32:16) का उपयोग कर सकते है। इसी तरह मसूर फसल हेतु 25:50:00 कि.ग्रा. पोषक तत्वों की प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। जिनकी पूर्ति करने हेतु किसान भाई अपने विकल्प के रूप में 54 किग्रा. यूरिया, 313 किग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट उपयोग किया जा सकता है। मसूर हेतु अन्य विकल्प के रूप में किसान भाई 50 किग्रा. यूरिया, 75 किग्रा. मिश्रित उर्वरक (12:32:16) का उपयोग कर पोषक तत्वों की पूर्ति कर सकते है। इस प्रकार से विभिन्न उर्वरकों के विकल्पों के उपयोग से एक ही प्रकार के उर्वरकों पर किसानों की निर्भरता भी घटेगी साथ ही साथ लागत में कमी लाकर आय में वृद्धि होगी।
कृषि विभाग द्वारा किये जा रहे हैं प्रयास – कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन के निर्देशानुसार एवं उपसंचालक कृषि श्री मोरिस नाथ के प्रयासों से कृषकों की डी.ए.पी. उर्वरक पर निर्भरता को कम करने एवं डी.ए.पी. उर्वरक के अन्य विकल्पों जैसे सिंगल सुपर फास्फेट, एन.पी.के., एन.पी.के.एस. उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु जिले की सभी 57 समितियों में, 7 डबल लॉक केन्द्रों में एवं एम.पी. एग्रो के उर्वरक विक्रय केन्द्र में साथ ही विपणन समितियों में उर्वरक विकल्प के फ्लेक्स तैयार कर चस्पा कर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। किसान भाई और अधिक जानकारी के लिये अपने वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय से अथवा उप संचालक कृषि कार्यालय से सम्पर्क कर सकते है।