धान की कटाई और गेहूं की बुवाई का समय आ चुका है. इस दौरान किसानों को पराली की समस्या का सामना करना पड़ता है. अक्सर, रबी फसलों की समय पर बुवाई करने के लिए किसान पराली को जलाने का सहारा लेते हैं, जो कि पर्यावरण के लिए हानिकारक है. हालांकि, पराली से निजात पाने के लिए कुछ विशेष यंत्रों का उपयोग करके न केवल पराली का सही प्रबंधन किया जा सकता है, बल्कि गेहूं की बुवाई भी समय पर की जा सकती है.
धान की कटाई और गेहूं की बुवाई का समय आ चुका है. अक्सर, गेहूं की समय पर बुवाई करने के लिए किसान पराली को जलाने का सहारा लेते हैं. पराली जलाने से दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो जाती है. अधिकांश किसान आजकल धान की कटाई के लिए कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग करते हैं, जिससे फसल अवशेष खेतों में रह जाते हैं. किसान इन अवशेषों का उपयोग न करके इन्हें जला देते हैं, जिससे पर्यावरण में विषैला धुआं फैलता है. इस धुएं से लोगों को श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं और पराली जलाने से मिट्टी में रहने वाले लाभकारी कीट भी नष्ट हो जाते हैं.
इसके अलावा, पराली जलाने से मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है क्योंकि मिट्टी में मौजूद जैविक तत्व, कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश नष्ट हो जाते हैं. इससे खेत की नमी भी समाप्त हो जाती है. किसानों में पराली प्रबंधन के प्रति जागरूकता अभी उस स्तर तक नहीं पहुंची है जिससे इस समस्या का समाधान हो सके. लेकिन अब इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने कंबाइन मशीनों में सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) का उपयोग अनिवार्य कर दिया है. यह प्रणाली पराली का प्रबंधन करने में सहायक है और इसके जलाने की जरूरत को समाप्त करती है.
धान की कटाई के लिए कंबाइन मशीन में ये यंत्र जरूरी
धान की सामान्य कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई करते हैं तो केवल इससे फसल का ऊपरी हिस्सा काटा जाता है जिससे बड़ी मात्रा में पराली खेत में रह जाती है. रबी मौसम में समय से बुवाई के लिए समय से खेत तैयार करने के लिए इसे किसान जला देते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण दोनों का नुकसान होता है. इस समस्या से निपटने के लिए अब कंबाइन हार्वेस्टर में स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) जोड़ा जाता है जो पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर मिट्टी में मिला देता है.
एसएमएस से कटी पराली मिट्टी में मिलकर उसकी उर्वरक क्षमता को बढ़ाने का काम करती है. इस उपकरण को कंबाइन मशीन में जोड़ने की लागत लगभग 1 लाख रुपये होती है. एसएमएस वाली कंबाइनों से कटी फसल वाले खेतों में हैप्पी सीडर, सुपर सीडर और जीरो टिल सीड ड्रिल जैसी मशीनों से सीधी बुवाई संभव होती है, जिससे किसानों को रबी फसलों की समय से बुवाई और पैसे की बचत होती है. कंबाइन मशीन में एसएमएस को जोड़ना कई राज्यों में यह अनिवार्य कर दिया गया है और अगर कंबाइन मशीन में एसएमएस सिस्टम नहीं जोड़ा गया, तो कंबाइन मालिक को पंजाब सहित कई राज्यों में सजा और जुर्माने का प्रावधान है. इसलिए, यह जरूरी है कि अगर किसान धान की कटाई करवा रहे हैं, तो वे यह जरूर जांच लें कि कंबाइन हार्वेस्टर में स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) जोड़ा गया है या नहीं.
पराली वाले खेत में सुपर सीडर से बुवाई, मिलेगा कई लाभ
किसान धान पराली वाले खेत में सुपर सीडर मशीन से आसानी से बुवाई कर सकते हैं. ये मशीन फसल अवशेषों को काटते हुए उन्हें मिट्टी में मिला देती है और साथ ही फसल के बीजों की कतारों में बुवाई भी करती जाती है. इस प्रकार पराली जलाए बिना ही गेहूं की फसल की बुवाई हो जाती है. सुपर सीडर में रोटावेटर, रोलर और फर्टीसीड ड्रिल लगा होता है. इसे ट्रैक्टर के साथ 12 से 18 इंच खड़ी पराली के साथ खेत में चलाया जाता है. रोटावेटर पराली को मिट्टी में दबाने, मिट्टी को समतल करने और फर्टीसीड ड्रिल खाद के साथ बीज की बुवाई करने का काम करता है. इसमें बीजों की बुवाई 2 से 3 इंच की गहराई पर होती है और बुवाई से पहले खेतों की सिंचाई की जरूरत नहीं होती.
इससे धान की फसल में बची नमी का उपयोग हो जाता है, जिससे पानी की भी बचत होती है. पराली मिट्टी में मिलकर जैविक खाद का काम करती है. सुपर सीडर मशीन गेहूं की बुवाई के बाद रोटावेटर का काम भी कर सकती है. इसके उपयोग से पराली जलाने की समस्या का समाधान होता है और किसानों की उपज बढ़ती है और खर्च कम होता है. खेत में नमी अधिक समय तक रहती है, जिससे सिंचाई के लिए पानी की जरूरत कम होती है. इस मशीन की कीमत बाजार में 2 से 2.25 लाख रुपये तक होती है
पराली वाले खेत में कम खर्च में हैप्पी सीडर से करें बुवाई
धान के पराली वाले खेत में बुवाई के लिए हैप्पी सीडर मशीन बेहद प्रभावी है. इस मशीन की सहायता से किसान पराली का निपटारा करते हुए कम समय और कम लागत में खेत की जुताई और बुवाई कर सकते हैं. हैप्पी सीडर मशीन पराली के छोटे-छोटे टुकड़े कर खेत में बिछाते हुए उर्वरक डालने और बीज बोने का काम एक साथ करती है. इससे पराली को जलाने की जरूरत नहीं पड़ती और खेत में पराली की जैविक खाद तैयार हो जाती है.
हैप्पी सीडर से गेहूं की बुवाई करने पर सिंचाई की जरूरत कम हो जाती है, क्योंकि धान की फसल के अवशेषों से खेत में नमी बनी रहती है. इससे पानी की बचत होती है और पराली मिट्टी में मिलकर जैविक खाद का काम करती है. हैप्पी सीडर मशीन को 45 से 50 हॉर्सपावर वाले ट्रैक्टर के साथ जोड़कर एक दिन में 6 से 7 एकड़ खेत की बुवाई की जा सकती है. इस विधि से फसलों की उपज भी बढ़ती है और खरपतवार की समस्या भी कम होती है.
अगर आप भी पराली की समस्या से जूझ रहे हैं, तो गेहूं की बुवाई के लिए सुपर सीडर और हैप्पी सीडर जैसे यंत्र आपके लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकते हैं. इन यंत्रों के उपयोग से न केवल पराली का सही प्रबंधन किया जा सकता है, बल्कि पर्यावरण और मिट्टी की गुणवत्ता भी संरक्षित रहती है, जिससे फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.