बागवानी फसलों के लिए विनाशकारी है ये रोग

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डैम्पिंग ऑफ रोग से प्रभावित फसलों के पौधे मुरझाने लगते हैं. इसके साथ ही पौधे पीले पड़ने लगते हैं साथ ही इन पौधों का विकास भी रुक जाता है. ये रोग खेतों, नर्सरी और ग्रीन हाउस में फसलों के लिए विनाशकारी हो सकता है.

बागवानी फसलों (Horticultural Crops) की खेती से किसान अच्छी कमाई तो कर रहे हैं, लेकिन इन फसलों का रोगों से प्रबंधन करना बहुत जरूरी है. नर्सरी में बागवानी फसलों को कई रोगों से नुकसान हो सकता है. डैम्पिंग ऑफ रोग (Damping Off Disease) मृदा-जनित रोग हैं. राइज़ोक्टोनिया, फ्यूजेरियम और पाइथियम इसकी प्रजातियां हैं.


क्या है डैम्पिंग ऑफ रोग के लक्षण

· डैम्पिंग ऑफ रोग (Damping Off Disease) से प्रभावित फसलों के पौधे मुरझाने लगते हैं. इसके साथ ही पौधे पीले पड़ने लगते हैं साथ ही इन पौधों का विकास भी रुक जाता है. ये रोग खेतों, नर्सरी और ग्रीन हाउस में फसलों के लिए विनाशकारी हो सकता है.

· ये रोग नाम मिट्टी में ज्यादा पनपते हैं. जिसके बाद ये माइसीलियम या बीजाणुओं के रूप में लंबे समय तक जीवित रहते हैं. किसानों को इस रोग से पौधों को बचाने के लिए काफी परेशान होना पड़ता है.

· पौधे जमीन की सतह से रोग के कारण गिर जाते हैं. जिसे डैम्पिंग ऑफ कहा जाता है.

· डैंपिंग ऑफ नर्सरी में लगने वाली बीमारी है, जो बीज बोने की स्थिति में सब्जियों को प्रभावित करती है.

· यह बीमारी अंकुरों को जल्दी प्रभावित करती है.

· यह बीमारी मृदा जनित कवक के कारण फैलती है.

· इस रोग से प्रभावित पौधों के तनों पर भूरे पानी के धंसे घाव दिखने लगते हैं. जिसके बाद ये तने गलने लगते हैं. धीरे-धीरे पौधे सड़कर मर जाते हैं.

कैसे करें डैंपिंगऑफ बीमारी का प्रबंधन

· नर्सरी का बेड तैयार करने के लिए पौधों को हवादार धुप वाले स्थान में रखें.

· यह भी सुनिश्चित करें कि पौधे के लिए बनाया गया बेड सुखा हो. ज्यादा नमी होने पर पौधे को बीमारी ज्यादा प्रभावित कर सकती है.

· सीडलिंग सीड ट्रे यानी प्रो ट्रे के माध्यम से भी पौधे उगाकर रोग से फसल का प्रबंधन किया जा सकता है.

· उच्च गुणवत्ता वाले रोग मुक्त बीजों के इस्तेमाल से भी फसल का प्रबंधन किया जा सकता है.

· हमेशा बीजों को प्रतिष्ठित स्त्रोत से ही खरीदें.

· अच्छे से बीजों के भण्डारण से भी फसल को रोगों से बचाया जा सकता है.

हमेशा उपचारित बीजों का ही इस्तेमाल करें.

· कभी भी नमी वाले बीजों का इस्तेमाल नहीं करें.

· बीजों के रोपण से पहले उन पर कवकनाशी मिश्रण का लेप लगाएं. जिससे प्रबंधन आसानी से हो जाएगा.

· रोगाणुहीन या पाश्चुरीकृत पॉटिंग मिश्रण की मिट्टी का ही इस्तेमाल करें.

· नर्सरी में उपयोग किये जाने से पहले औजारों को अच्छे से साफ़ कर लें. उन्हें साफ़ पानी से धोने के बाद ही प्रयोग में लाए.

· जलभराव की स्थिति न होने दें.

· जैसे ही किसी पौधे में रोग के लक्षण दिखाई दें तो उन्हें मिट्टी से उखाड़कर हटा दें.

· पौधों के बीच की दूरी बनाकर रखें. जिसमें पंक्तियों के बीच की दूरी 10 सेमी और पौधों के बीच की दूरी कम से कम 2 सेमी रखें.

· फसल चक्रण का इस्तेमाल करके रोग से मुक्ति पाई जा सकती है.

तापमान के प्रबंधन के साथ भी रोगों से पौधों को बचाया जा सकता है.