डाईफ्रूट की खेती करने वाले किसान जबरदस्त मुनाफ़ा कमा सकते हैं. ऐसे ही अखरोट की खेती करने वाले किसान जबरदस्त मुनाफा कमा रहे हैं. इसमें कई पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. बाजार में अखरोट की मांग काफी ज्यादा रहती है. इसकी खेती के लिए हमेशा उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए.अखरोट की खेती के लिए ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडी जलवायु नहीं होनी चाहिए. ऐसे इलाकें जहां कम गर्मी होती है वहां इसकी खेती अच्छे से की जाती है. यानी ऐसे इलाकों का चुनाव करें जहां अधिकतर छाया रहती हो.
अखरोट को वालनट के नाम से जाना जाता है, जिसका वानस्पतिक नाम जग्लान्स निग्रा है. सामान्य तौर पर अखरोट दो प्रकार के होते हैं. जिसमें पहली जंगली और दूसरी कृषि जन्य है.
अखरोट की खेती करने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
· अखरोट की खेती के लिए ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडी जलवायु नहीं होनी चाहिए. ऐसे इलाकें जहां कम गर्मी होती है वहां इसकी खेती अच्छे से की जाती है. यानी ऐसे इलाकों का चुनाव करें जहां अधिकतर छाया रहती हो.
· दोमट भूमि इस खेती के लिए बेहतर मानी जाती है. सख्त और रेतीली जमीन में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए.· अखरोट की खेती के लिए उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव करें. अखरोट की उन्नत किस्मों में गोबिंद, पूसा खोड़, प्लेसैन्टिया, पूसा अखरोट, काश्मीर बडिड, विलसन शामिल हैं.· दिसंबर महीने से लेकर मार्च महीने तक इसकी खेती की शुरुआत कर सकते हैं.
· खेत में गड्ढे तैयार करके अखरोट के पौधे लगाए जाते हैं. पहले खेतों की जुताई करें जिसके बाद उसे कुछ समय के लिए खुला छोड़ दें. खेतों की मिट्टी को भुरभुरी बना दें.· पौधों को नर्सरी में तैयार करें.· अखरोट के पौधों को ग्राफ्टिंग विधि से तैयार करें.· ग्राफ्टिंग विधि से अखरोट उगाने का तरीका
· रोपाई से पहले गड्ढों में 10 से 12 किलो गोबर की खाद के साथ ही 100 से 150 ग्राम रासायनिक उर्वरक मिलाकर भरें.· सर्दी में 20 से 30 दिन के अंदर अखरोट के पौधों की सिंचाई करनी चाहिए. जब पौधे पूर्ण रूप से विकसित हो जाए तो साल भर में केवल 7 से 8 सिंचाई ही करें.
· रोपाई होने के लगभग 4 साल बाद अखरोट के पौधे फल देने लगते हैं.· जब फल पक जाते हैं फल टूट कर गिरने लगते हैं.· एक बार अखरोट के पौधे फल देना शुरू कर देते हैं तब उसके 20 से 25 साल तक हर साल 40 किलो प्रति पौधे फल प्राप्त किये जा सकते हैं.