कैसे करें मोती की खेती? कहां से लें मुफ़्त ट्रेनिंग

0
469

मोती की खेती अगर रफ़्तार पकड़ ले, तो ये किसानों को लाखों का मुनाफ़ा दे सकती है। बस रखरखाव में कई बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है। इसमें कम लागत में किसानों को तगड़ा मुनाफ़ा हो सकता है, अगर वो सही तरीके से ट्रेनिंग के बाद ये काम शुरू करें तो।

मोती की मांग घरेलू बाज़ार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी बढ़ती जा रही है। मोती की खेती से लाभ होता देख, किसान इसकी खेती में दिलचस्पी दिखाने लगे हैं। अगर वैज्ञानिक तरीके से और ट्रेनिंग लेकर अगर मोती की खेती करते हैं तो अच्छी गुणवत्ता वाले मोती की खेती की जा सकती है। इसे बाज़ार में बेचकर किसान अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

फल, सब्ज़ियों और अनाज की पारंपरिक खेती से इतर किसान अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए अब लीक से हटकर खेती करने लगे हैं और मोती भी खेती भी ऐस ही खेती है। इसमें कम लागत में किसानों को तगड़ा मुनाफा हो सकता है, अगर वो सही तरीके से ट्रेनिंग के बाद ये काम शुरू करें तो। मोती की देश ही नहीं, विदेशी बाज़ारों में भी बहुत मांग है, जिससे किसान इसे बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। यदि आप भी मोती की खेती करना चाहते हैं तो जान लीजिए इससे जुड़ी कुछ अहम बातें।

कैसे बनता है कुदरती मोती?

मोती समुद्र के अंदर रहने वाले एक जीव जिसे घोंघा (Oyster) कहते हैं द्वारा बनाया जाता है। ये एक सख्त खोल के अंदर रहता है जिसे सीप कहते हैं। इसी सीप के अंदर मोती बनता है। दरअसल, सीप में जब कोई रेत कण प्रवेश करता है, तो घोघा इस कण पर सीप के पदार्थ की परत पर परत चढ़ाने लगता है और यह परत कैल्शियम कार्बोनेट की होती है। कुछ समय बाद सीप के अंदर मोती बन जाता है। ये तो मोती बनने की प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इसकी खेती में कृत्रिम तरीके से सीप के अंदर कुछ पदार्थ डालकर मोती का निर्माण किया जाता है।

कैसे शुरू करें मोती की खेती?

मोती की खेती शुरू करने के लिए तालाब की ज़रूरत होती है। बाहरी कणों के सीप के अंदर जाने से मोती पैदा होता है। इसे तैयार होने में लगभग 15 से 20 महीने का वक्त लगता है। कैल्शियम कार्बोनेट से मोती का क्रिस्टल तैयार होता है। मोती की खेती के लिए अनुकूल समय अक्टूबर से दिसंबर के बीच माना जाता है।

मोती की खेती pearl farming 2
तस्वीर साभार: ICAR

मोती कितने प्रकार के होते हैं?

मोती तीन प्रकार के होते हैं –

  1. केवीटी
  2. गोनट
  3. मेंटलटीसू
  4. कैसे करें सीप को तैयार?
  • सबसे पहले सीप को खुले पानी में डालें
  • फिर 2 से 3 दिन बाद इन्हें निकालें
  • ऐसा करने से सीप का ऊपरी हिस्सा (कवच) और उसकी मांसपेशियां नरम हो जाती हैं
  • सीप की सतह पर 2 से 3 एमएम का छेद करें
  • इस छेद में रेत का एक छोटा सा कण डालें
  • 2 से 3 सीप को एक नायलॉन के बैग में रखकर, तालाब में बांस या किसी पाइप के सहारे छोड़ दें। 
  • सीप से मोती तैयार होने में 15 से 20 महीने का समय लगता है, इसके बाद कवच को तोड़कर मोती को निकालें। 
मोती की खेती pearl farming 2
तस्वीर साभार: ICAR

मोतियों के उत्पादन की प्रक्रिया क्या है?

मोती का उत्पादन कुल 6 प्रमुख चरणों में होता है: 

  1. अच्छी किस्म के सीपों को जमा करें
    सबसे पहला काम किसी भी तालाब या नदी से सीपों को जमा करना है। हम इन्हें बाजार से भी खरीद भी सकते है और पानी के बरतन या बाल्टियों में रख सकते हैं। इसका नॉर्मल आकार 8 सेंटीमीटर से ज्‍यादा होता है।
  2. इस्तेमाल से पहले सीपों को तैयार करना
    इन सीपों को 3 दिन के लिए किसी बर्तन में पुराने पानी में भर कर दीजिए जिससे ये सीप ढीली होने लगती हैं और इसमें होने वाली सर्जरी का काम आसान हो जाता है।
  3. सर्जरी
    तीसरी और सबसे अहम चरण का काम इन सीप के अलग-अलग हिस्से जिसमें सतह का केंद्र और सतह की सर्जरी का होता है। इसके लिए हमें बीड की जरूरत होती है, ये सभी सीप अन्य कैल्शियम युक्त सामग्री से बनते हैं।
  4. देखभाल
    अब बारी आती है, सीपों की देखभाल की। इन्हें नायलॉन बैग में 10 दिनों तक एंटी-बॉयोटिक और नैचुरल चारे पर रखा जाता है। रोज देखकर हमें इसमें मौजूद मृत सीपों को बहार निकलना होता है।
  5. तालाब में उपजाना
    तालाब में एक मीटर की गहराई में नायलॉन के एक बैग में 2 सीप भर कर इसे बांस या फिर पीवीसी की पाइप से जोड़ कर छोड़ दिया जाता है।
  6. मोतीयों का उत्पादन
    मोतियों की पालन अवधि लगभग 8-10 माह होती है। इस समय सीमा के खत्म होने के बाद सीपों को निकाल लिया जाता है। अन्दर से निकलने वाला पदार्थ बीड के चारों तरफ जमने लगता हैं जो अन्त में मोती बनकर निकलता है। इस प्रकार मोतियों की खेती की जाती है।
  7. मोती की खेती से कमाई

मोती की बाज़ार में कीमत 300 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है। अगर आपका तैयार किया गया मोती अच्छी गुणवत्ता वाला है तो इस डिज़ाइनर मोती के लिए आपको दस हज़ार रुपये तक भी मिल सकते हैं। एक सीप की लागत 15 से 30 रूपये के आस-पास आती है।

मान लीजिए आपका 500 फ़ीट का तालाब है। इसमें 100 सीप आपने डाले हैं। अगर प्रति मोती औसतन हज़ार रुपये में बिकता है, तो कुल मिलाकर 100 मोतियों से एक लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है। आप चाहें तो सीप की संख्या को बढ़ाकर अपनी कमाई भी बढ़ा सकते हैं।

Pearl Farming Training Guide: कैसे करें मोती की खेती? कहां से लें मुफ़्त ट्रेनिंग
तस्वीर साभार: CIFA

मोती पालन की ट्रेनिंग कहां से लें?

मोती पालन व्यावसाय (Pearl Farming Business) में देश के युवतियों और युवाओं का रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है जिसके चलते मोती पालन (Pearl Farming) करने के लिए प्रशिक्षण का होना बहुत जरूरी हो जाता है। इसी क्रम में उद्यम विकास के लिए ICAR- Central Institute Of Freshwater Aquaculture, Bhubaneswar (CIFA) यानि कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान भुवनेश्वर की ओर से मोती पालन पर राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन होता रहता है। जहां से किसान ट्रेनिंग लेकर मोती पालन का बिज़नेस शुरू कर सकते हैं।

मोती पालन की ट्रेनिंग कब से शुरू हो रही है?

ICAR- Central Institute Of Freshwater Aquaculture (CIFA) भुवनेश्वर की ओर से शुरू हो रहे इस राष्ट्रीय प्रशिक्षण को दो बैच में आयोजित किया जाएगा। पहले बैच का आयोजन 9 सितंबर से 13 सितम्बर 2024 तक तो वहीं दूसरा बैच 18 नवम्बर से 22 नवम्बर 2024 तक चलेगा।

ट्रेनिंग के लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख़

पहले बैच यानि कि 9 सितम्बर से 13 सितम्बर 2024 तक होने वाले Training प्रोग्राम के फ़ॉर्म भरने की आखिरी तारीख़ निकल चुकी है तो वहीं दूसरे बैच 18 नवम्बर से 22 नवम्बर 2024 तक होने वाले  Training प्रोग्राम के रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख़ 18 अक्टूबर 2024 है। फ़ॉर्म भरने के लिए आपको आधिकारिक वेबसाइट www.cifatraining.com पर जाना होगा। जहां पर आपको अपना नाम, डेट ऑफ बर्थ, एजुकेशन, अपने ज़िले का नाम, पिन कोड़ और आप क्या करते हैं ये भी लिखना होगा। साथ में अपना मोबाइल नंबर भी दर्ज करना होगा। साथ ही कम से कम 100 शब्दों में आपको बताना होगा कि आप Pearl Farming Training क्यों लेना चाहते हैं।

मोती उत्पादन प्रशिक्षण शुल्क

18 नवम्बर से 22 नवम्बर 2024 तक होने वाली मोती पालन ट्रेनिंग का नाम Freshwater Pearl Farming for Entrepreneurship Development- 2nd Batch है। Pearl Farming Training Fees 9000 रुपये (18% जीएसटी सहित) रखी गई है। इस ट्रेनिंग के लिए किसान, उद्यमी, गैर सरकारी संगठन, एसएयू अधिकारी, केवीके कर्मचारी, छात्र, राज्य अधिकारी और अन्य लोग अप्लाई कर सकते हैं। 

भारत में शीर्ष मोती उत्पादन संस्थान 

भारत में मोती पालन  की बात करें तो 3 फरवरी 1947 को केरल के कोच्चि में स्थापित किये गये केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान ने 1970 के दशक में खारे पानी में मोती पालन की शुरूआत की। वहीं मीठे पानी में मोती की खेती या मोती पालन की तकनीक साल 1989 में ICAR- (CIFA) की ओर से विकसित की गई।

CIFA भुवनेश्वर से मोती पालन की ट्रेनिंग

इंडियन काउंसिल फ़ॉर एग्रीकल्‍चर रिसर्च के तहत एक विंग बनाया गया है। इस विंग का नाम CIFA यानी सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्‍वाकल्‍चर है। ये फ़्री में मोती की खेती की ट्रेनिंग देता है। इसका मुख्यालय उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्‍वर में है। यहां पर कोई भी 15 दिन की ट्रेनिंग ले सकता है। आप चाहें तो इनके रीज़नल सेंटर्स भटिंडा, बेंगलुरू, रहारा और विजयवाड़ा से भी ट्रेनिंग ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए इनकी वेबसाइट cifa.nic.in पर संपर्क करें। मोती की खेती के लिए जितना ज़रूरी प्रशिक्षण है, उतना ही ज़रूरी उसका सही तरीके से रखरखाव करना भी है।

मोती की खेती पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: मोती का बिज़नेस कैसे शुरू करें?

जवाब:– मोती का बिज़नेस शुरू करने के लिए आप इन कदमों का पालन कर सकते हैं:

(a) जानकारी इकट्ठा करें:

   – मोती पालन के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें। 

   – सरकारी योजनाओं और सब्सिडी के बारे में पता करें। 

(b) जगह चुनें:

   – शुरुआत में लगभग 1 हेक्टेयर का तालाब चाहिए होगा। 

   – तालाब साफ और प्रदूषण मुक्त होना चाहिए। 

(c) पैसे का इंतजाम करें:

   – शुरू करने के लिए 5-6 लाख रुपये की जरूरत होगी। 

   – बैंक से लोन या सरकारी मदद ली जा सकती है। 

(d) तकनीकी मदद लें:

   – किसी अनुभवी व्यक्ति या संस्था से मदद लें

   – मोती पालन की नई तकनीकों के बारे में जानें

(e) देखभाल करें:

   – नियमित रूप से पानी की जांच करें। 

   – सीप को सही खुराक दें। 

(f) कटाई और बेचना:

   – सही समय पर मोती की कटाई करें। 

   – अच्छे बाजार में अपने मोती बेचें। 

याद रखें, शुरुआत में धैर्य रखना जरूरी है क्योंकि मोती बनने में समय लगता है। अच्छी देखभाल और सही तरीके से काम करने पर आप पहली बार में ही 30 लाख रुपये तक कमा सकते हैं।

सवाल: मोती कैसे तैयार होता है?

जवाब: मोती बनना पूरी तरह से एक प्राकृतिक प्रकिया है। जब सीप में बाहर से मौजूद कण जैसे रेत, कीट आदि घुस जाते हैं जो वापस बाहर नहीं निकल पाते। उनके चारों तरफ सीप के अंदर एक चमकीली परत जमा होती जाती है जो की कुछ समय के बाद मोती में बदल जाती है।

सवाल: क्या भारत में मोती की खेती लाभदायक है?

जवाब: जी हां, भारत सरकार द्वारा पूरे देश में पर्ल कल्चर तकनीक का प्रशिक्षण देकर मोती की खेती को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है और ये उसका ही परिणाम है कि देश के कई जागरूक किसानों को अच्छी आमदनी मिल रही है।

सवाल: एक मोती कितने में बिकता है?

जवाब: मोती की बाज़ार में कीमत 300 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है। अगर आपका तैयार किया गया मोती अच्छी गुणवत्ता वाला है तो इस डिज़ाइनर मोती के लिए आपको दस हज़ार रुपये तक भी मिल सकते हैं। 

सवाल: भारत में असली मोती कहां पाए जाते हैं?

जवाब: मन्नार की खाड़ी में 1916 से मोती की खेती शुरू हुई। वैज्ञानिकों ने ऐसा तरीका निकाला जिससे तालाब में भी मोती पैदा किए जा सकते हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप और लक्षद्वीप में मोती पैदा करने की अच्छी जगहें हैं। वैसे भारत में मोती की खेती सबसे ज्यादा दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य और बिहार के दरभंगा जिले में की जाती है।

सवाल: मोती की खेती की ट्रेनिंग कितने दिन की होती है?

जवाब: मोती की खेती की ट्रेनिंग आमतौर पर 5 से 10 दिनों की होती है। इस दौरान आपको मोती उत्पादन की पूरी प्रक्रिया, तालाब प्रबंधन, और सीप की देखभाल के बारे में जानकारी दी जाती है।

सवाल: मोती की खेती कैसे करते है?

जवाब: तालाब या पानी का स्रोत तैयार करें: मोती की खेती के लिए साफ और ठहरा हुआ पानी जरूरी होता है। तालाब, झील या टैंक में सीपों (Oysters) को रखने के लिए उपयुक्त व्यवस्था करें।

सीपों का चयन करें: अच्छी गुणवत्ता वाले और स्वस्थ सीपों का चयन करें। ये सीप पानी की गुणवत्ता, तापमान और अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति सहनशील होने चाहिए।

प्रक्षेपण प्रक्रिया (Nucleation): सीप के अंदर एक छोटे बाहरी कण (न्यूक्लियस) को डाला जाता है, जिसे सीप अपने अंदर बंद कर लेता है। यह प्रक्रिया कुशल प्रशिक्षित पेशेवरों द्वारा की जाती है।

सीपों की देखभाल: न्यूक्लियस डालने के बाद, सीपों को तालाब या पानी के स्रोत में रखा जाता है। उन्हें उचित पोषण और देखभाल की आवश्यकता होती है, ताकि वे स्वस्थ रहें और मोती का निर्माण हो सके।

समय और धैर्य: मोती तैयार होने में लगभग 15 से 20 महीने का समय लगता है। इस दौरान सीपों की नियमित जांच और देखभाल की जाती है।

सवाल: मोती व्यावसायिक रूप से कैसे उगाए जाते हैं?

जवाब: सबसे पहला काम अच्छी किस्म के सीपों को जमा करना है।

  • दूसरा इन्हें प्रयोग करने के अनुकूल बनाना।
  • फिर सर्जरी की जाती है।
  • अच्छी देखभाल की आवश्यकता होती है।
  • तालाब में उपजाया जाता है।
  • अंत में मोतियों का उत्पादन होता है।
  • सवाल: सबसे बढ़िया मोती कौन सा है?

जवाब: सबसे बढ़िया मोती काले रंग का होता है, जिसे सबसे अच्छा माना जाता है। यह सबसे कम मिलने वाला मोती है और सबसे ज्यादा चमकदार होता है। 

सवाल: कौन से जीव मोती पैदा करते हैं?

जवाब: मोती मुख्य रूप से सीपों (Oysters) द्वारा उत्पन्न होते हैं। सीप, खासकर समुद्री सीप, मोती के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। जब एक बाहरी कण, जैसे कि गंदगी या परजीवी, सीप के अंदर प्रवेश करता है, तो सीप इसे सुरक्षा के लिए परतों में लपेटता है। ये परतें समय के साथ मोती का निर्माण करती हैं। मोती की गुणवत्ता और आकार सीप की किस्म और उनके वातावरण पर निर्भर करते हैं।

सवाल: असली मोती की पहचान क्या है?

जवाब: असली मोती की पहचान:

– ये हल्के से ठंडे महसूस होते हैं। 

– इनकी सतह थोड़ी खुरदरी होती है। 

– अगर दांत से हल्का सा रगड़ें तो खुरदरा महसूस होता है। 

– इनकी चमक गहरी और नरम होती है। 

सवाल: मोती कहां से निकलता है?

जवाब: मोती समुद्र में रहने वाले कुछ खास सीप से निकलता है। जब कोई बाहरी चीज सीप के अंदर चली जाती है, तो सीप उसके चारों ओर एक चमकदार परत बना देती है। यही परत धीरे-धीरे मोती बन जाती है।

सवाल: असली मोती का प्राइस कितना है?

जवाब: असली मोती का दाम उसके आकार, रंग और गुणवत्ता पर निर्भर करता है। छोटे मोती 1000-5000 रुपये प्रति कैरेट से शुरू हो सकते हैं, जबकि बड़े और दुर्लभ मोती लाखों रुपये प्रति कैरेट तक के हो सकते हैं।

सवाल 17: असली मोती कैसे ढूंढें?

जवाब: असली मोती ढूंढने के लिए: मोती को छूकर देखें – असली मोती थोड़ा ठंडा और खुरदरा महसूस होता है। उसकी चमक देखें – असली मोती की चमक गहरी और नरम होती है।