कार्बन फार्मिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें किसान कार्बन के उत्सर्जन को कम करके मिट्टी में कार्बन की मात्रा को बढ़ाने पर फोकस किया जाता है. इस प्रक्रिया को पूरा करना ही कार्बन फार्मिंग है. इसके जरिये ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आती है
आजकल कार्बन उत्सर्जन पूरी दुनिया के लिए चिंता का कारण बन चुका है. लेकिन कार्बन फार्मिंग करने वाले किसानों की आय बढ़ रही है. इससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है. साथ ही मिट्टी की उर्वरकता में भी बढ़ोत्तरी होती है.
क्या होती है कार्बन फार्मिंग
कार्बन फार्मिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें किसान कार्बन के उत्सर्जन को कम करके मिट्टी में कार्बन की मात्रा को बढ़ाने पर फोकस किया जाता है. इस प्रक्रिया को पूरा करना ही कार्बन फार्मिंग है. इसके जरिये ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आती है. मिट्टी भी ज्यादा कार्बनिक बनती है जिससे मिट्टी की उत्पादकता बढ़ती है.
ये आंकड़े सामने आ चुके हैं की दुनियाभर में ग्रीन हाउस गैस का जितना भी उत्सर्जन होता है उसका एक तिहाई योगदान मिट्टी से उत्सर्जित कार्बन का होता है. केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर की सरकारें कार्बन फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है.
कार्बन फार्मिंग कैसे करें
· कार्बन फार्मिंग करने के लिए मिट्टी की जुताई कम की जाती है. ज्यादा जुताई करने पर कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है. इसके जरिये मिट्टी के अंदर कार्बनिक यौगिकों का अपघटन होता है. जो बातावरण में उत्सर्जित होते हैं.
· इसके अलावा जैविक खेती के इस्तेमाल करके भी कार्बनिक खेती को बढ़ावा मिल सकता है.· किसान मिश्रित खेती करके भी कार्बनिक खेती को बढ़ावा दे सकते हैं. जैसे अरहर और मूंग की खेती एक साथ करके मिट्टी को ज्यादा उपजाऊ बनाया जा सकता है.· वन कटाई, स्थाई भूमि संरक्षण, वन प्प्रबंधन, घास के मैदानों के संरक्षण से भी कार्बनिक खेती को बढ़ावा मिलता है.· ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जल वायु परिवर्तन को कम करने के लिए कार्बनिक फार्मिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
दुनिया में कार्बनिक उत्पादों की मांग भी बढ़ती जा रही है. लों भी केमिकल वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहते हैं, जिसके कारण इसकी मांग बढ़ती जा रही है.