किसान अनंता ढगे से बैनर पर मजदूरों के फोटो लगाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा की हमें फसल निकलवाने के लिए अलग-बगल के गांव में मजदूर नहीं मिल रहे थे. जिसकी चिंता में वो और उनके 5 किसान दोस्त थे. उन्होंने आपस में सलाह की और बैतूल जिले के माजरी गांव जाकर एक छोटे ट्रक में 40 मजदूरों की टीम लेकर गांव में आएमहाराष्ट्र के वाशिम जिले के कुछ किसानों ने मध्यप्रदेश से खेत में काम करने के लिए 40 मजदूर लाए, और उनकी फोटो का एक बड़ा बैनर गांव के मेन रास्ते पर लगाया जिस पर “गांव में आपका हार्दिक स्वागत लिखा हुआ है. बैनर के पीछे की मंशा जानने के लिए ‘आजतक’ की टीम उस गांव में पहुंची. दरअसल, वाशिम जिले के मंगरुलपीर तहसील के कोठारी नामक गांव में घुसते ही 40 मजदूरों का बड़ा सा बैनर दिखाई पड़ता है, जिसमे महिला मजदूर भी शामिल हैं. यह फोटो वाला बैनर गांव के 6 किसान दोस्तों ने मजदूरों के आने की खुशी में लगाया है.
काम के लिए नहीं मिल रहे मजदूर
इस बारे में किसान अनंता ढगे ने कहा कि हमारे क्षेत्र में खेत में मजदूरी करने वाले नहीं मिलने के कारण उन्होंने मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के माजरी गांव से 40 किसानों की टोली लाई है. इन 40 मजदूरों के रहने की पूरी व्यवस्था किसानों ने की है. मध्यप्रदेश से आए मजदूरों को खेत से सोयाबीन की फसल निकालने के लिए 3200 रुपये प्रति एकड़ मजदूरी दी जाएगी.
मजदूरों के स्वागत में लगाया बैनर
किसान अनंता ढगे से बैनर पर मजदूरों के फोटो लगाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा की हमें फसल निकलवाने के लिए अलग-बगल के गांव में मजदूर नहीं मिल रहे थे. जिसकी चिंता में वो और उनके 5 किसान दोस्त थे. उन्होंने आपस में सलाह की और बैतूल जिले के माजरी गांव जाकर एक छोटे ट्रक में 40 मजदूरों की टीम लेकर गांव में आए. अगर यह मजदूर आने से मना कर देते तो फसल बर्बाद हो जाती. इसी कारण सभी मजदूरों के आने की खुशी में उनके स्वागत का बैनर लगाया गया है.
योजनाओं का मजदूरी पर असर
इन 6 किसानों की कुल मिलाकर 200 एकड़ जमीन है, जिसमें लगी सोयाबीन की फसल को निकालने में 15 दिन का समय लगेगा. साथ ही उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की योजनाओं के कारण मजदूर वर्ग आलसी हो गए हैं, क्योंकि उन्हें अनाज और पैसे कुछ किए बगैर ही मिल रहे हैं. वहीं, एमपी से आए सभी किसान सुबह 6 बजे शाम 6 बजे तक खेत में मजदूरी करते हैं.
बैनर पर फोटो देख मजदूर हुए खुश
मध्यप्रदेश से आए मजदूरों ने बताया कि एमपी के बैतूल जिले में वह जहां रहते हैं वहां काम की कमी तो है, लेकिन सरकार की जो 100 दिन की योजना है, उसमें से सिर्फ 15 से 20 दिन ही काम मिलता है. बैनर पर उनकी फोटो देखकर उन्हें कैसा लगा यह सवाल किए जाने पर मजदूर गदगद हो गए और कहा कि हमने जिंदगी में कभी नहीं सोचा था कि बैनर पर हमारे फोटो लगेंगे. आजतक वह नेताओं और अभिनेताओं के बैनर देखते आए हैं, आज खुद का बैनर देखकर वो बहुत खुश हैं. वहीं, बैनर लगाने वाले के प्रति आभार व्यक्त किया.