पैशन फ्रूट की खेती मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है. अब भारत के नागालैंड, असम, नागालैंड, मणिपुर में भी इसकी खेती की शुरुआत हो चुकी है. इसके कई जगह कृष्णकमल के नाम से भी जाना जाता है.
किसान पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक खेती की तरफ जा रहे हैं. जिनमें कई विदेशी फल और सब्जियां भी शामिल है. कई किसान इनकी खेती करना पसंद कर रहे हैं. ऐसा ही एक विदेशी फल है पैशन फ्रूट . जिसे एक बार लगाकर 10 सालों तक कमाई की जा सकती है.पैशन फ्रूट की खेती मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है. अब भारत के नागालैंड, असम, नागालैंड, मणिपुर में भी इसकी खेती की शुरुआत हो चुकी है. इसके कई जगह कृष्णकमल के नाम से भी जाना जाता है.
मार्केट में है भारी डिमांड
पैशन फ्रूट को गुणों की खान कहा जाता है. इसमें भारी मात्रा में विटामिन और मिनरल्स रहते हैं. जिसके कारण इसकी बाजार में काफी मांग है. अब अन्य कई राज्यों में भी इसकी खेती शुरू हो गई है. इसकी खेती 700 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर की जाती है. उच्च और मध्यम पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी खेती अधिक मुनाफ़ा दे सकती है.
पैशन फ्रूट की खेती के लिए जरूरी बातें
· पैशन फ्रूट के लिए 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान सही माना जाता है.· किसान चाहे तो बीज या फिर पौधे की कटिंग से खेती कर सकते हैं.
· बीज से खेती करने के लिए बीज को सुखाकर तैयार किया जाता है. जिसके बाद उसे पॉलीहाउस में मार्च-अप्रैल के महीने में बोया जाता है.· यदि किसान कटिंग से इसके पौधे उगाना चाहते हैं तो इसके लिए इसकी बेल के हिस्से को काटकर पॉलीबैग में लगाकर उगाते हैं.
· इस फ्रूट की बेल को तैयार होने में कम से कम 4 महीनों का समय लग सकता है.· खेतों में बुवाई से पहले लगभग 45 सेमी का गड्ढा बनाकर उसमे खाद डालनी चाहिए. जिससे की इसकी बेल को अच्छी मात्रा में पोषक तत्व मिल सके.· बुवाई होने के कम से कम 10 महीने बाद ही बेल पर फुल आने शुरू हो जाते हैं. और सात से आठ महीने में फल आ जाते हैं.