बिगड़े मौसम ने एक बार फिर किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. खासकर यूपी और एमपी के Bundelkhand में बारिश कम होने के कारण किसान परेशान थे. इस बीच मध्य सितंबर में मॉनसून की वापसी के समय किसानों को खरीफ सीजन की सूख रही फसलों को राहत देने के लिए थोड़ी बारिश का इंतजार था. बारिश को लेकर किसानों की यह आस मंगलवार को आफत बन गई. इस दौरान 48 घंटे तक हुई जबरदस्त बारिश धान के लिए तो सौगात बनी, मगर मूंगफली, मूंग, उड़द और तिल जैसी अन्य खरीफ फसलों को इस अतिवृष्टि ने नष्ट कर दिया.
हालांकि, IMD ने उत्तर के मैदानी इलाकों में जरूरत से ज्यादा बारिश के लिए दो कारण बताए हैं. पहला हिमालय क्षेत्र में उत्पन्न हुआ Western Disturbance और दूसरा मैदानी इलाकों में हवा के Low Pressure Area बनने के कारण लौटता मॉनसून इसी इलाके में ठहर का बरस गया. अब हवा के कम दबाव का असर ढीला पड़ा है. इस कारण शुक्रवार को ब्रज और बुंदेलखंड इलाके में तीन दिन बाद बादल साफ होने पर धूप देखने को मिली है. हालांकि, यूपी के पूर्वी जोन में लखनऊ सहित अन्य जिले अभी भी बादलों से घिरे हैं.
ये है नुकसान का मंजर
यूपी और एमपी सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक बुंदेलखंड में यूपी के झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा जिलों में दलहन और तिलहन फसलों को काफी नुकसान हुआ है. वहीं एमपी में पड़ोसी जिले दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़, शिवपुरी और खजुराहो तक, बेहिसाब बारिश ने किसानों की परेशानी को बढ़ा दिया है.
इन इलाकों में हर साल की तरह इस साल भी किसानों ने संतुलित बारिश होने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए खरीफ सीजन में तिल, मूंग, मूंगफली और उड़द की फसलों को व्यापक पैमाने पर बोया था. गत मंगलवार को मौसम ने अचानक करवट बदल कर अनवरत बारिश का सिलसिला शुरू कर दिया.
विक्षोभ जनित इस बारिश ने गुरुवार तक रुकने का नाम ही नहीं लिया. इससे समूचे इलाके में बड़े पैमाने पर Crops Damage हो गईं. बुंदेलखंड के सीमित इलाके में Paddy Farmers के लिए यह बारिश सौगात बन कर जरूर आई, लेकिन खरीफ सीजन में दलहन और तिलहन उपजाने वाले अधिकांश किसानों के लिए यह बारिश आफत बन गई. पूरे इलाके में अप्रत्याशित बारिश से खेत जलमग्न हैं. अब धान के किसानों की नजर अच्छी पैदावार होने पर और अन्य किसानों की नजर सरकार से मुआवजा मिलने पर टिकी हैं.
फसल नुकसान का होगा सर्वे
यूपी में योगी सरकार और एमपी में मोहन यादव सरकार ने बीते दो दिनों में हुई मूसलाधार बारिश से खरीफ की फसलों पर पड़े असर का जायजा लेने के लिए Agriculture and Revenue Dept. को निर्देश दिए हैं. इसका पालन करने के क्रम में संबद्ध जिलों के स्थानीय प्रशासन ने फसलों को हुए नुकसान का सर्वे करने की कवायद तेज कर दी है. संबंधित जिलाधिकारियों ने कृषि विभाग से एक सप्ताह में सर्वे रिपोर्ट मांगी है.
झांसी में जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि मंगलवार और बुधवार को जिले में अनवरत बारिश के कारण खेतों में पानी भरने की सूचना मिली है. इससे खरीफ की फसलों को खासा नुकसान पहुंचने की आशंका के मद्देनजर प्रभावित किसानों को फसल खराब होने का मुआवजा दिलाने के लिए सर्वे कराया जा रहा है. इसके लिए जिला कृषि अधिकारी और उप कृषि निदेशक को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर सर्वे करने के निर्देश दिए हैं.
फसलों का रकबा
सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अकेले झांसी जिले में चालू खरीफ सीजन में सबसे अधिक 1,14,502 हेक्टेयर में तिल की बुवाई की गई थी. वहीं, अन्य खरीफ फसलों में उड़द की 72,704 हेक्टेयर में, मूंग की 8617 हेक्टेयर में और मूंगफली की 27,710 हेक्टेयर रकबे में बुवाई हुई है.
प्रशासन की ओर से बताया गया कि पिछले 48 घंटों से हो रही बारिश के कारण झांसी, ललितपुर, महोबा और हमीरपुर में मूंगफली, उड़द और तिल की फसल को खासा नुकसान हुआ है. मूंग, उड़द एवं तिल की फसल में फलत शुरू हो गई है. मूंग की पहले दौर की तुड़ाई भी हाे गई थी. वहीं, मूंगफली की फसल में भी फलत शुरू होने के बाद उपज पकने की अवस्था में है.
ऐसे में ज्यादा बारिश के कारण जलभराव वाले खेतों की फसल सड़ना तय है. क्योंकि खरीफ सीजन की दलहनी एवं तिलहनी फसलें 24 घंटे से ज्यादा Water Logging को झेलने में सक्षम नहीं होती हैं. इसके अलावा तेज बारिश की बौछार से मूंग, उड़द और तिल की फसल जमींदोज होने से उपज का सड़ना तय है, क्योंकि मौसम साफ होने के बाद भी इन फसलों का पौधा गिरने के बाद खड़ा नहीं हो पाता है.
मौसम का पूर्वानुमान
मौसम विभाग ने North India के मध्यवर्ती मैदानी इलाकों में शुक्रवार को हवा के कम दबाव का क्षेत्र सुस्त पड़ने के कारण पश्चिमी विक्षोभ का असर कम होने की बात कही है. इससे इन इलाकों में आसमान धीरे धीरे साफ होगा. हालांकि अगले 24 घंटों तक इन इलाकों में रुक रुक हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश जारी रहने का पूर्वानुमान भी व्यक्त किया गया है.
गौरतलब है कि बुंदेलखंड इलाके में सामान्य औसत बारिश का स्तर 825 मिमी होता है. इस साल मंगलवार तक महज 500 मिमी ही बारिश हुई थी. मगर दो दिनों में हुई अतिवृष्टि के कारण यह स्तर 700 मिमी को पार कर गया. इससे पहले 2013-14 में सर्वाधिक 1380 मिमी बारिश हुई थी. इसके बाद बीते 10 साल में औसत बारिश का स्तर 390 मिमी से लेकर 635 मिमी तक ही पहुंच पाया है.
इस बीच पिछले 2 दिन की बारिश ने एक बार में सबसे ज्यादा वर्षा होने का 25 साल का रिकॉर्ड भी तोड़ा है. पिछले 48 घंटों में बुंदेलखंड इलाके में 180 मिमी तक बारिश दर्ज की गई है. यह पिछले 25 साल में सबसे ज्यादा है. इससे पहले साल 1999 में सितंबर में झांसी जिले में 24 घंटे में 155 मिमी बारिश दर्ज की गई थी.
इस क्षेत्र में माॅनसून का सीजन 15 जून से 15 सितंबर तक माना जाता है. मौसम विभाग ने पहले अच्छी बारिश की संभावना जताई गई थी, लेकिन जून में निराशा ही हाथ लगी और जुलाई में भी लोग गर्मी से बेहाल रहे. अगस्त में जरूर बारिश हुई, लेकिन खेती के लिहाज से यह बहुत कम थी.