विरोध प्रदर्शन का नतीजा….सोयाबीन की होगी एमएसपी पर खरीदी,एमपी के किसानों को नहीं मिलेगा फायदा

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केंद्र सरकार ने लगभग 2 महीने पहले सोयाबीन सहित अन्य खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया था। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4600 प्रति क्विंटल से बढ़कर 4892 रुपए प्रति क्विंटल किया था।सोयाबीन का समर्थन मूल्य तो बढ़ाया गया, लेकिन सोयाबीन की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं की जा रही थी, जबकि मार्केट में सोयाबीन के भाव लगातार कम होते जा रहे थे।

मंडी में सोयाबीन के भाव 4000 रुपए क्विंटल के लगभग हो गए। इससे किसानों में असंतोष पनप रहा था, पिछले 15 दिन से किसान सोयाबीन के भाव8000 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

इसी क्रम में किसान जगह-जगह धरना प्रदर्शन ज्ञापन सौंप रहे हैं। इसी विरोध प्रदर्शन का नतीजा है कि केंद्र सरकार ने सोयाबीन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने संबंधी बड़ा फैसला लिया है।केंद्र सरकार अब सोयाबीन को भी न्यूनतम समर्थन मूल्यअर्थात एमएसपी पर खरीदेंगी, इस संबंध में क्या है पूरी जानकारी आइए जानते हैं..

किसानों की मुहिम ने जोर पकड़ा

धीरे-धीरे सोयाबीन की रेट बढ़ाकर 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल करने की किसानों की मुहिम जोर पकड़ने लगी है। किसान आगामी 16 सितंबर को मध्य प्रदेश में बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। किसानों का समर्थन अब कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के नेता भी करने लगे हैं।

बताया जा रहा है कि कई भाजपा नेताओं ने भी इस मुहिम में शामिल होकर शासन को पत्र लिखे हैं तो वहीं किसान संघ भी प्रदेशभर में बड़े आंदोलन की तैयारी में है, इसके लिए किसान संघ गांव- गांव संपर्क कर रहा है।

किसानों का कहना है कि खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और खाद-बीज व खेती में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के दाम भी दो गुना हो गए हैं। लेकिन सोयाबीन की रेट 10-12 साल में बढ़ने की बजाय घट गए है।

इससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है और किसानों को सोयाबीन की खेती में आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। यही कारण है कि किसान अब केंद्र एवं राज्य शासन से सोयाबीन के रेट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

जल्द होगा शुरू सोयाबीन का सीजन

गौरतलब है कि सोयाबीन इस समय मंडी में चार हजार रुपए क्विंटल बिक रहा है, जबकि एक महीने में सोयाबीन की फसल आने वाली है। सीजन पर हर साल रेट घट जाती है। इससे किसानों की मांग है कि लागत ज्यादा है लेकिन मंडियों में रेट कम है।

इससे सोयाबीन की रेट कम से कम छह हजार रुपए क्विंटल होना चाहिए। ताकि सोया प्रदेश कहलाने वाले मप्र में सोयाबीन उत्पादक किसानों को लाभ मिल सके और उन्हें कम रेटों की वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान की समस्या से राहत मिल सके। इससे रोजाना ही सोशल मीडिया पर किसान सोयाबीन की कीमत 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल किए जाने की मांग कर रहे हैं।

MSP पर सोयाबीन खरीदी को लेकर सरकार ने लिया निर्णय

सोयाबीन उत्पादक किसानों Soybean MSP Purchase News की समस्याओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने सोयाबीन की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया है।

कृषि विभाग का आधिकारिक ट्वीट

किसानों के हितों की रक्षा हेतु केन्द्र सरकार ने केंद्रीय नोडल एजेंसियों को मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत सोयाबीन की खरीद के लिए दिशानिर्देश दिए हैं ताकि किसानों को सोयाबीन की फसल बेचने में कोई कठिनाई न हो और उन्हें वित्तीय सुरक्षा मिल सके।

एमपी के किसानों को नहीं मिलेगा फायदा

केंद्र सरकार ने सोयाबीन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया है, किंतु सरकार ने अपने दिशा निर्देश में कहा है कि कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में एमएसपी पर खरीद शुरू होगी।इसका आशय यह है कि मध्य प्रदेश के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी नहीं की जाएगी। केंद्र सरकार के इस निर्णय के पश्चात मध्य प्रदेश के किसानों में नाराजगी छा गई है।

प्रदेश के किस सोशल मीडिया के माध्यम से अपना आक्रोश जाहिर करते हुए कह रहे हैं कि प्रदेश में सबसे अधिक सोयाबीन की खेती होती है मध्य प्रदेश सोया स्टेट के रूप में विख्यात थे, लेकिन यहां के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी का लाभ नहीं मिलना, घोर निराशाजनक है।

एमएसपी पर यह एजेंसियां करेंगी सोयाबीन की खरीदी

केंद्र सरकार के निर्णय के पश्चात अब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों Soybean MSP Purchase News से खरीद होगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी केंद्रीय नोडल एजेंसियों जैसे नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से होगी। केंद्र सरकार ने संबंधित एजेंसियों को निर्देशित किया है कि किसानों को फसल बेचने में होने वाली कठिनाइयों से बचाने के लिए आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित किए जाए।

सोयाबीन की खेती से कमाई ना के बराबर

खेती में लगातार लागत बढ़ती जा रही है इसका अंदाजा इस बात से लग जा सकता है कि कृषि उपकरण खाद एवं बी दवाइयां तो महंगी हुई लेकिन उसकी तुलना में फसल के दाम नहीं बड़े। किसान के अनाज की रेट बढ़ने की वजाय घट गई इससे किसान की लागत भी पूरी नहीं निकल रही। Soybean MSP Purchase News

एक बीघा की सोयाबीन खेती का खर्चा (रुपए में) :–

दो बार खेत की जुताई : 800 रुपए

एक बार बोवनी : 400 रुपए

20 किलो बीज : 1250 रुपए

खरपतवार नाशक : 500 रुपए

कीटनाशक व टॉनिक : 2000 रुपए

कटाई का खर्च : 2000 रुपए.

फसल की थ्रेसिंग : 2000 रुपए

घर व मंडी तक भाड़ा : 500 रुपए

देखभाल पर खर्चा : 2000 रुपए

कुल खर्चा : 11450 रुपए

उत्पादन 3 क्विंटल : 12000 रुपए